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हिस्ट्रीशीटर के घरों की होगी क्रॉस चेकिंग, पता गलत मिला तो होगी ये कार्रवाई

प्रदेश सरकार लगातार अपराधियों पर लगाम कसने के लिए कार्रवाई कर रही है. डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि जांच के दौरान हिस्ट्रीशीटर का पता गलत निकलने पर कार्रवाई की जाएगी.

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Published : May 18, 2023, 7:48 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पेशेवर अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोलते समय उनके घर के पता का देशांतर और अक्षांश नोट करना थाना प्रभारियों के लिए जरूरी होगा. यदि जांच के दौरान पता गलत निकला तो थाना प्रभारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. बुधवार को डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने इस बाबत सभी जिलों के एसपी और जोन के एडीजी को निर्देश जारी कर दिए हैं.

डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने कहा है कि 'सभी हिस्ट्रीशीटर के देशांतर और अक्षांश को हिस्ट्रीशीट में लिखना जरूरी होगा. यदि क्रॉस चेकिंग के दौरान थाना प्रभारी द्वारा रिकॉर्ड किया गया देशांतर और अक्षांश गलत पाया गया तो थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि हिस्ट्रीशीटर के देशांतर और अक्षांश की गलत रिकॉर्डिंग से आम लोगों को समस्या हो सकती है, ऐसे में इससे बचना होगा. डीजीपी ने सभी थाना प्रभारियों को तीन दिन के अंदर रिकॉर्ड को क्लाउड पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा एडीजी 112 को डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि हर जिले के किसी एक हिस्ट्रीशीटर का देशांतर और अक्षांश डेटा लेकर गूगल अर्थ के जरिए पीआरवी को भेजकर जांच करवाएंगे और उसकी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेंगे.'


दरअसल, हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी के लिए पहले से ही कई दिशा-निर्देश जारी हैं. पुलिस स्टेशनों में बाकायदा हिस्ट्रीशीटरों के लेखा जोखा के लिए एक रजिस्टर होता है. चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार सामने आया है कि इन हिस्ट्रीशीटर की निगरानी करने वाले हल्का सिपाही से लेकर थानेदार कई शातिर हिस्ट्रीशीटरों का चेहरा भी नहीं पहचानते हैं. ऐसे में डीजीपी ने इन्हीं कमियों को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं.

ग्राफिक
ग्राफिक

हिस्ट्रीशीट खोलते हुए किन बातों का रखना होता है ध्यान

- 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट नहीं खोली जाती है

- सिर्फ शौकिया अपराध करने वालों की ही हिस्ट्रीशीट खोली जाती है. इसके अलावा जो अपराधी सक्रिय हैं, उन्हीं की हिस्ट्रीशीट खोली जाती है.

- जो केस पेशबंदी या रंजिश में दर्ज कराए जाते हैं, उनके आधार पर हिस्ट्रीशीट न खोली जाए.

- नियमानुसार, यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम की कारवाई को हिस्ट्रीशीट खोलने का आधार न बनाया जाए.

कितनी तरह की होती है हिस्ट्रीशीट

A कैटेगरी : इसमें चोरी, लूट, डकैती से संबंधित अपराध से जुड़े अपराधी होते हैं.

B कैटेगरी : इसमें हिस्ट्रीशीट पेशेवर अपराधियों की खोली जाती है.

यह भी पढ़ें : योगी सरकार ने यूपी पुलिस के 4350 आरक्षियों को दिया प्रमोशन का तोहफा, बने हेड कांस्टेबल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पेशेवर अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोलते समय उनके घर के पता का देशांतर और अक्षांश नोट करना थाना प्रभारियों के लिए जरूरी होगा. यदि जांच के दौरान पता गलत निकला तो थाना प्रभारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. बुधवार को डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने इस बाबत सभी जिलों के एसपी और जोन के एडीजी को निर्देश जारी कर दिए हैं.

डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने कहा है कि 'सभी हिस्ट्रीशीटर के देशांतर और अक्षांश को हिस्ट्रीशीट में लिखना जरूरी होगा. यदि क्रॉस चेकिंग के दौरान थाना प्रभारी द्वारा रिकॉर्ड किया गया देशांतर और अक्षांश गलत पाया गया तो थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि हिस्ट्रीशीटर के देशांतर और अक्षांश की गलत रिकॉर्डिंग से आम लोगों को समस्या हो सकती है, ऐसे में इससे बचना होगा. डीजीपी ने सभी थाना प्रभारियों को तीन दिन के अंदर रिकॉर्ड को क्लाउड पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा एडीजी 112 को डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि हर जिले के किसी एक हिस्ट्रीशीटर का देशांतर और अक्षांश डेटा लेकर गूगल अर्थ के जरिए पीआरवी को भेजकर जांच करवाएंगे और उसकी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेंगे.'


दरअसल, हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी के लिए पहले से ही कई दिशा-निर्देश जारी हैं. पुलिस स्टेशनों में बाकायदा हिस्ट्रीशीटरों के लेखा जोखा के लिए एक रजिस्टर होता है. चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार सामने आया है कि इन हिस्ट्रीशीटर की निगरानी करने वाले हल्का सिपाही से लेकर थानेदार कई शातिर हिस्ट्रीशीटरों का चेहरा भी नहीं पहचानते हैं. ऐसे में डीजीपी ने इन्हीं कमियों को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं.

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हिस्ट्रीशीट खोलते हुए किन बातों का रखना होता है ध्यान

- 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट नहीं खोली जाती है

- सिर्फ शौकिया अपराध करने वालों की ही हिस्ट्रीशीट खोली जाती है. इसके अलावा जो अपराधी सक्रिय हैं, उन्हीं की हिस्ट्रीशीट खोली जाती है.

- जो केस पेशबंदी या रंजिश में दर्ज कराए जाते हैं, उनके आधार पर हिस्ट्रीशीट न खोली जाए.

- नियमानुसार, यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम की कारवाई को हिस्ट्रीशीट खोलने का आधार न बनाया जाए.

कितनी तरह की होती है हिस्ट्रीशीट

A कैटेगरी : इसमें चोरी, लूट, डकैती से संबंधित अपराध से जुड़े अपराधी होते हैं.

B कैटेगरी : इसमें हिस्ट्रीशीट पेशेवर अपराधियों की खोली जाती है.

यह भी पढ़ें : योगी सरकार ने यूपी पुलिस के 4350 आरक्षियों को दिया प्रमोशन का तोहफा, बने हेड कांस्टेबल

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