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अपनों की तलाश करने वाले हो जाएं सावधान, साइबर जालसाज के निशाने पर हो सकते हैं आप

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 8:01 AM IST

अपनों को तलाश करने वालों के साथ साइबर जालसाज ठगी कर रहे हैं. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया कि साइबर क्रिमिनल ऐसे लोगों से रुपये मांगकर ठगी की वारदात को अंजाम दें रहे हैं.

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लखनऊ: सोचिए आपका बेटा-बेटी, मां-बाप या भाई बहन कहीं खो जाएं और जब आप उन्हें ढूंढना शुरू करें तो कोई आपकी मजबूरी का फायदा उठा कर ठगी कर ले. जी हां यूपी के कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं. इनमें गुमशुदा को ढूंढने के लिए लगाए गए पोस्टर और सोशल मीडिया में पोस्ट को देख जालसाज फर्जी पुलिस बन कर ठगी कर रहे है. साइबर पुलिस जालसाजों के इस नए तरीके को देखकर हैरान है.


केस 1: राजधानी के अलीगंज में रहने वाले रोहित अग्रवाल की बेटी छह माह पहले अचानक गायब हो गई. रोहित ने इंटरनेट पर अपनी बेटी को ढूंढने का अभियान चलाया. इसमें उन्होंने अपनी बेटी की सभी जानकारी के साथ खुद का फोन नम्बर भी उपलब्ध कराया. 23 सितम्बर को उनके पास एक कॉल आई. कॉलर ने खुद को इटावा पुलिस में इंस्पेक्टर बताया और कहा कि उनकी बेटी झांसी के पास देखी गई है. तत्काल उन्हे वहां जाना होगा, लेकिन विभाग से कोई गाड़ी नहीं मिलती है.

ऐसे में गाड़ी करने के लिए 30 हजार रुपये खर्च होंगे. जल्दी भेज दीजिए ताकि पहुंच कर बच्ची को बरामद कर लें. रोहित के लिए बेटी के मिल जाने की सूचना ही काफी थी. तत्काल उन्होंने कॉलर द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड में तीस हजार भेज दिए. पैसे भेजे जाने के दो घंटे बाद से ही वह नम्बर स्विच ऑफ हो गया. कई दिन बाद फिर कॉल की तब भी वह नंबर स्विच ऑफ ही मिला. रोहित समझ चुके थे कि उनके साथ ठगी हुई है.

केस 2: कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले राम सजीवन की पत्नी शांति देवी अगस्त माह में शाम को मंदिर के लिए निकली थीं. शांति देवी को भूलने को बीमारी थी, लिहाजा वो कई दिनों तक घर वापस नहीं आई. राम सजीवन ने कई जगह गुमशुदा को तलाश को लेकर पोस्टर लगाए थे. इतना ही नहीं उनके बेटे ने सोशल मीडिया में मां की तलाश करने के लिए पोस्ट शेयर की थीं.

एक दिन राम सजीवन को कॉल आई और कॉल करने वाले ने खुद को क्राइम ब्रांच का दारोगा बताया. उसने बताया कि उनकी पत्नी दिल्ली रेलवे स्टेशन में मिली है. उन्हें वहां से लेने टीम के साथ निकलना है. ट्रेन से जाने में समय लगेगा, इसलिए वो गाड़ी की व्यवस्था करवा दें. राम सजीवन ने कहा कि वो पैसे दे दे रहे हैं गाड़ी बुक कर लें और कॉल करने वाले के द्वारा भेजे गए यूपीआई में 50 हजार रुपये भेज दिए. इसके बाद कॉल करने वाले का फोन नहीं उठा.


कैसे ठगी से बचें: साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे (Cyber ​​Expert Amit Dubey) कहते हैं कि जालसाजों को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो जिसे ठग रहे हैं, वह किस स्थिति से गुजर रहा है. उन्हें बस रुपये दिखते हैं. इसलिए वो हर शख्स की मजबूरी का फायदा उठाते हैं. अपनों को तलाशने वालों को ठगने का साइबर जालसाजों का यह नया तरीका सामने आया है. इससे बचने की जरूरत है. अमित दुबे कहते है कि इससे बचने का एक ही उपाय है कि आप जितना भी परेशान हो, लेकिन किसी भी अज्ञात नम्बर से आई कॉल का भरोसा न करें. (Cyber crime in UP)

जब भी ऐसे समय में आपको कॉल आए और खुद को पुलिसकर्मी बताए तो ध्यान रखें कि कॉल करने वाले का नम्बर 945440 से शुरू हो, तो उस पर ही भरोसा करें. ये नंबर पुलिस का सीयूजी नंबर होता है. दूसरा यदि वह खुद को सब इंस्पेक्टर बताए, तो उससे थाने का नाम पूछें और फिर उस संबंधित थाने के सीयूजी नम्बर पर संपर्क कर, उसे वेरीफाई करें. उसके बाद ही उनसे बात करें. पुलिस कभी भी किसी गुमशुदा की बरामदगी के लिए पैसों की डिमांड नहीं करती, लिहाजा कभी भी पैसे न दें. (Crime News UP)

ये भी पढ़ें- महाराजगंज में दलित युवती से रेप के आरोपी पूर्व भाजपा नेता को भेजा गया जेल

लखनऊ: सोचिए आपका बेटा-बेटी, मां-बाप या भाई बहन कहीं खो जाएं और जब आप उन्हें ढूंढना शुरू करें तो कोई आपकी मजबूरी का फायदा उठा कर ठगी कर ले. जी हां यूपी के कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं. इनमें गुमशुदा को ढूंढने के लिए लगाए गए पोस्टर और सोशल मीडिया में पोस्ट को देख जालसाज फर्जी पुलिस बन कर ठगी कर रहे है. साइबर पुलिस जालसाजों के इस नए तरीके को देखकर हैरान है.


केस 1: राजधानी के अलीगंज में रहने वाले रोहित अग्रवाल की बेटी छह माह पहले अचानक गायब हो गई. रोहित ने इंटरनेट पर अपनी बेटी को ढूंढने का अभियान चलाया. इसमें उन्होंने अपनी बेटी की सभी जानकारी के साथ खुद का फोन नम्बर भी उपलब्ध कराया. 23 सितम्बर को उनके पास एक कॉल आई. कॉलर ने खुद को इटावा पुलिस में इंस्पेक्टर बताया और कहा कि उनकी बेटी झांसी के पास देखी गई है. तत्काल उन्हे वहां जाना होगा, लेकिन विभाग से कोई गाड़ी नहीं मिलती है.

ऐसे में गाड़ी करने के लिए 30 हजार रुपये खर्च होंगे. जल्दी भेज दीजिए ताकि पहुंच कर बच्ची को बरामद कर लें. रोहित के लिए बेटी के मिल जाने की सूचना ही काफी थी. तत्काल उन्होंने कॉलर द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड में तीस हजार भेज दिए. पैसे भेजे जाने के दो घंटे बाद से ही वह नम्बर स्विच ऑफ हो गया. कई दिन बाद फिर कॉल की तब भी वह नंबर स्विच ऑफ ही मिला. रोहित समझ चुके थे कि उनके साथ ठगी हुई है.

केस 2: कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले राम सजीवन की पत्नी शांति देवी अगस्त माह में शाम को मंदिर के लिए निकली थीं. शांति देवी को भूलने को बीमारी थी, लिहाजा वो कई दिनों तक घर वापस नहीं आई. राम सजीवन ने कई जगह गुमशुदा को तलाश को लेकर पोस्टर लगाए थे. इतना ही नहीं उनके बेटे ने सोशल मीडिया में मां की तलाश करने के लिए पोस्ट शेयर की थीं.

एक दिन राम सजीवन को कॉल आई और कॉल करने वाले ने खुद को क्राइम ब्रांच का दारोगा बताया. उसने बताया कि उनकी पत्नी दिल्ली रेलवे स्टेशन में मिली है. उन्हें वहां से लेने टीम के साथ निकलना है. ट्रेन से जाने में समय लगेगा, इसलिए वो गाड़ी की व्यवस्था करवा दें. राम सजीवन ने कहा कि वो पैसे दे दे रहे हैं गाड़ी बुक कर लें और कॉल करने वाले के द्वारा भेजे गए यूपीआई में 50 हजार रुपये भेज दिए. इसके बाद कॉल करने वाले का फोन नहीं उठा.


कैसे ठगी से बचें: साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे (Cyber ​​Expert Amit Dubey) कहते हैं कि जालसाजों को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो जिसे ठग रहे हैं, वह किस स्थिति से गुजर रहा है. उन्हें बस रुपये दिखते हैं. इसलिए वो हर शख्स की मजबूरी का फायदा उठाते हैं. अपनों को तलाशने वालों को ठगने का साइबर जालसाजों का यह नया तरीका सामने आया है. इससे बचने की जरूरत है. अमित दुबे कहते है कि इससे बचने का एक ही उपाय है कि आप जितना भी परेशान हो, लेकिन किसी भी अज्ञात नम्बर से आई कॉल का भरोसा न करें. (Cyber crime in UP)

जब भी ऐसे समय में आपको कॉल आए और खुद को पुलिसकर्मी बताए तो ध्यान रखें कि कॉल करने वाले का नम्बर 945440 से शुरू हो, तो उस पर ही भरोसा करें. ये नंबर पुलिस का सीयूजी नंबर होता है. दूसरा यदि वह खुद को सब इंस्पेक्टर बताए, तो उससे थाने का नाम पूछें और फिर उस संबंधित थाने के सीयूजी नम्बर पर संपर्क कर, उसे वेरीफाई करें. उसके बाद ही उनसे बात करें. पुलिस कभी भी किसी गुमशुदा की बरामदगी के लिए पैसों की डिमांड नहीं करती, लिहाजा कभी भी पैसे न दें. (Crime News UP)

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