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नेपाल के बच्चे की लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान मौत, पैसे लेने गए परिजन दोबारा नहीं लौटे

नेपाल से लखनऊ आए परिजनो एक बच्चे को इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराकर नेपाल चले गए. यहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई. पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है.

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Published : Jun 25, 2023, 10:54 PM IST


लखनऊ: नेपाल से 9 दिन के बच्चे का इलाज कराने लखनऊ पहुंचे परिजनों को निजी अस्पताल ने इलाज के नाम पर लूट लिया. यहां बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया. यहां डॉक्टरों ने बच्चे को भर्ती कर लिया. भर्ती के 2 दिन बाद परिजन पैसा जुटाने नेपाल लौट गए. 20 दिन बीतने के बाद भी परिजन वापस नहीं आए. इस दौरान रविवार को एनआईसीयू में भर्ती बच्चे ने दम तोड़ दिया. ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने बच्चे का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जानकारी पुलिस को दी.

नेपाल के बच्चे की इलाज के दौरान मौतः जानकारी के अनुसार नेपाल की रहने वाली ननकी को बीते माह नेपाल में प्रसव हुआ था. इस दौरान बच्चे का पेट और सांस की नली आपस में जुड़ी थी. नेपाल से परिजन बच्चे को इलाज के लिए लखनऊ लेकर आए. राजधानी में नेपाली सिडिकेंट के तहत काम करने वाले निजी अस्पतालों ने बच्चे के इलाज के नाम पर लूट किया. यहां बच्चे की हालत गंभीर बताकर ट्रॉमा सेंटर भेज दिया. ट्रॉमा सेंटर में करीब 20 दिन पहले बच्चे को भर्ती किया गया था. डॉक्टरों ने जांच पड़ताल के बाद ऑपरेशन की सलाह दी. परिजन इलाज की रकम जुटाने की बात कहकर नेपाल वापस लौट गए. भर्ती के 2 दिन बाद डॉक्टरों ने बच्चे की मुफ्त सर्जरी की. जिसके बाद से बच्चा एनआईसीयू में भर्ती था. रविवार की सुबह इलाज दौरान बच्चे की मौत हो गई. डॉक्टर व स्टॉफ ने बच्चे की फाइल पर लिखे नंबर पर कई दफा कॉल किया. लेकिन परिजनों ने बात नहीं हो सकी. ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने पुलिस को सूचना देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.



पीजीआई में ऑरबिट्ल सर्जरी का 8वां सम्मेलनः आंखों में सूजन के साथ आंख का आकार बढ़ रहा है. नजर कम होने के साथ ही धुंधला दिखना, जलन, पानी आना, लाल होना. रोशनी पड़ने पर आंखों का चमकना. यह लक्षण दिखने पर नजर अंदाज न करें. यह लक्षण आंख में ट्यूमर और थायराइड के हो सकते हैं. तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लें.

यह जानकारी रविवार को पीजीआई में ऑकुलोप्लास्टिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया और लखनऊ ऑप्थेलमिक सोसाइटी के तत्वाधान में ऑरबिट्ल सर्जरी पर आयोजित 8वें सम्मेलन में संस्थान की नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. रचना अग्रवाल ने दी. डॉ. रचना ने बताया कि शुरुआत में दवा से इलाज संभव है. दवाएं कारगर न होने पर ऑकुलोप्लास्टिक सर्जरी आखिरी विकल्प है. पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन कांफ्रेंस का उदघाटन किया.

ओपीडी में आ रहे 30 मरीजः डॉ. रचना अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर माह 20 मरीज थायराइड व करीब 10 मरीज ट्यूमर के आते हैं. इसमें बच्चे व बड़े शामिल हैं. अधिकांश मरीजों का दवाओं से इलाज संभव है. इसके अलावा करीब 50 फीसदी मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ रही है.

जन्मजात विकृतियों का इलाज संभवः पीजीआई के ऑप्थलमोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विकास कनौजिया ने बताया कि ऑकुलोप्लास्टिक सर्जरी से आंखों से जुड़ी जन्मजात विकृतियों का इलाज संभव है. पलक व आंख के आसपास की बनावट में विकृति के इलाज में यह तनकीक कारगर है. हालांकि यह ऑपरेशन ऑकुलोप्लास्टिक सर्जन से ही कराएं. सम्मेलन आयोजन की अध्यक्ष व केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अभिजीत कौर, डॉ निधि पांडेय, डॉ. पीके अग्रवाल, डॉ. जतिंदर वाही व डॉ. अंकिता समेत 200 डॉक्टर शामिल हुए.

यह भी पढे़ं- जीभ के ऑपरेशन की जगह बच्चे का खतना करने की शिकायत डिप्टी सीएम तक पहुंची, जांच शुरू


लखनऊ: नेपाल से 9 दिन के बच्चे का इलाज कराने लखनऊ पहुंचे परिजनों को निजी अस्पताल ने इलाज के नाम पर लूट लिया. यहां बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया. यहां डॉक्टरों ने बच्चे को भर्ती कर लिया. भर्ती के 2 दिन बाद परिजन पैसा जुटाने नेपाल लौट गए. 20 दिन बीतने के बाद भी परिजन वापस नहीं आए. इस दौरान रविवार को एनआईसीयू में भर्ती बच्चे ने दम तोड़ दिया. ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने बच्चे का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जानकारी पुलिस को दी.

नेपाल के बच्चे की इलाज के दौरान मौतः जानकारी के अनुसार नेपाल की रहने वाली ननकी को बीते माह नेपाल में प्रसव हुआ था. इस दौरान बच्चे का पेट और सांस की नली आपस में जुड़ी थी. नेपाल से परिजन बच्चे को इलाज के लिए लखनऊ लेकर आए. राजधानी में नेपाली सिडिकेंट के तहत काम करने वाले निजी अस्पतालों ने बच्चे के इलाज के नाम पर लूट किया. यहां बच्चे की हालत गंभीर बताकर ट्रॉमा सेंटर भेज दिया. ट्रॉमा सेंटर में करीब 20 दिन पहले बच्चे को भर्ती किया गया था. डॉक्टरों ने जांच पड़ताल के बाद ऑपरेशन की सलाह दी. परिजन इलाज की रकम जुटाने की बात कहकर नेपाल वापस लौट गए. भर्ती के 2 दिन बाद डॉक्टरों ने बच्चे की मुफ्त सर्जरी की. जिसके बाद से बच्चा एनआईसीयू में भर्ती था. रविवार की सुबह इलाज दौरान बच्चे की मौत हो गई. डॉक्टर व स्टॉफ ने बच्चे की फाइल पर लिखे नंबर पर कई दफा कॉल किया. लेकिन परिजनों ने बात नहीं हो सकी. ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने पुलिस को सूचना देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.



पीजीआई में ऑरबिट्ल सर्जरी का 8वां सम्मेलनः आंखों में सूजन के साथ आंख का आकार बढ़ रहा है. नजर कम होने के साथ ही धुंधला दिखना, जलन, पानी आना, लाल होना. रोशनी पड़ने पर आंखों का चमकना. यह लक्षण दिखने पर नजर अंदाज न करें. यह लक्षण आंख में ट्यूमर और थायराइड के हो सकते हैं. तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लें.

यह जानकारी रविवार को पीजीआई में ऑकुलोप्लास्टिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया और लखनऊ ऑप्थेलमिक सोसाइटी के तत्वाधान में ऑरबिट्ल सर्जरी पर आयोजित 8वें सम्मेलन में संस्थान की नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. रचना अग्रवाल ने दी. डॉ. रचना ने बताया कि शुरुआत में दवा से इलाज संभव है. दवाएं कारगर न होने पर ऑकुलोप्लास्टिक सर्जरी आखिरी विकल्प है. पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन कांफ्रेंस का उदघाटन किया.

ओपीडी में आ रहे 30 मरीजः डॉ. रचना अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर माह 20 मरीज थायराइड व करीब 10 मरीज ट्यूमर के आते हैं. इसमें बच्चे व बड़े शामिल हैं. अधिकांश मरीजों का दवाओं से इलाज संभव है. इसके अलावा करीब 50 फीसदी मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ रही है.

जन्मजात विकृतियों का इलाज संभवः पीजीआई के ऑप्थलमोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विकास कनौजिया ने बताया कि ऑकुलोप्लास्टिक सर्जरी से आंखों से जुड़ी जन्मजात विकृतियों का इलाज संभव है. पलक व आंख के आसपास की बनावट में विकृति के इलाज में यह तनकीक कारगर है. हालांकि यह ऑपरेशन ऑकुलोप्लास्टिक सर्जन से ही कराएं. सम्मेलन आयोजन की अध्यक्ष व केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अभिजीत कौर, डॉ निधि पांडेय, डॉ. पीके अग्रवाल, डॉ. जतिंदर वाही व डॉ. अंकिता समेत 200 डॉक्टर शामिल हुए.

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