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लखनऊ के नामी निजी अस्पताल में मनमानी, मरीज के परिजनों ने बनाया VIDEO, बोले- ये फर्जी बिल बनाते हैं

लखनऊ के एक नामी निजी अस्पताल पर तीमारदारों ने फर्जी बिल बनाने और सही तरीके से इलाज न करने का आरोप लगाया है. मामले से जुड़ा एक वीडियो (Lucknow Hospital Video) भी सामने आया है.

अस्पताल का वीडियो सामने आया है.
अस्पताल का वीडियो सामने आया है.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 2, 2024, 8:22 AM IST

अस्पताल का वीडियो सामने आया है.

लखनऊ : राजधानी के एक नामी अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की मनमानी के किस्से आए दिन आम हो रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही अस्पताल में मृतक मरीज के परिजनों से वसूली का एक वीडियो वायरल हुआ था. सोमवार को फिर से नया मामला सामने आया. आगरा से एक मरीज को उपचार के लिए लाया गया था. परिजनों ने आरोप लगाया कि बगैर वेंटिलेटर पर रखे ही फर्जी बिल बना दिया गया. मरीज की हालत में सुधार नहीं होने पर डिस्चार्ज करने के लिए कहा तो पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया. तीमारदारों ने एक वीडियो भी बनाकर वायरल किया है. हालांकि ईटीवी भारत इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

आशियाना निवासी रिंकू गोयल के पिता झम्मन लाल गोयल को यूरिन समेत कुछ अन्य परेशानियां थीं. उनका इलाज आगरा के एक अस्पताल में चल रहा था. वहां ज्यादा फायदा न होने पर रिंकू गोयल अपने पिता को वहां से लखनऊ के एक नामी अस्पताल में ले आए. 17 दिसंबर को उन्होंने पिता को भर्ती कराया, लेकिन करीब 14 दिन उपचार के बाद भी मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पिता को डिस्चार्ज करने को कहा. मरीज को डिस्चार्ज करने में अस्पताल प्रशासन में पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया.

मरीज झम्मन लाल गोयल के परिजन भगवती प्रसाद गोयल, रिंकू गोयल, मोहिनी ने बताया कि डिस्चार्ज के लिए बोला गया तो कहा कि वक्त लग जाएगा. दोपहर एक बजे डिस्चार्ज के लिए कहने के बाद शाम को छह बजे मरीज को डिस्चार्ज किया गया. अस्पताल ने 27 दिसंबर और आज का वेंटिलर चार्ज लगा रखा था, लेकिन पिता कभी वेंटिलेटर पर थे ही नहीं. वेंटिलेटर का एक्स्ट्रा चार्ज हटाने में इन्होंने दो घंटे का वक्त बर्बाद किया. अस्पताल प्रशासन ठीक से बात तक नहीं करता है. यहां के लोगों को केवल पैसा चाहिए. मामले से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, इसमें परिजनों और अस्पताल प्रशासन के बीच नोकझोंक होती दिखाई दे रही है. परिजन मरीज को डिस्चार्ज कराकर एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल में ले जा रहे हैं. इस दौरान अस्पताल को कोसते नजर आ रहे हैं. इस बारे में अस्पताल निदेशक से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ. अस्पताल प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने भी इस मसले पर चुप्पी साध रखी है.

यह भी पढ़ें : शर्मनाक! एंबुलेंस नहीं मिली तो मरीज को ठेले पर लेकर भागे अस्पताल, नहीं बचा पाए जान

अस्पताल का वीडियो सामने आया है.

लखनऊ : राजधानी के एक नामी अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की मनमानी के किस्से आए दिन आम हो रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही अस्पताल में मृतक मरीज के परिजनों से वसूली का एक वीडियो वायरल हुआ था. सोमवार को फिर से नया मामला सामने आया. आगरा से एक मरीज को उपचार के लिए लाया गया था. परिजनों ने आरोप लगाया कि बगैर वेंटिलेटर पर रखे ही फर्जी बिल बना दिया गया. मरीज की हालत में सुधार नहीं होने पर डिस्चार्ज करने के लिए कहा तो पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया. तीमारदारों ने एक वीडियो भी बनाकर वायरल किया है. हालांकि ईटीवी भारत इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

आशियाना निवासी रिंकू गोयल के पिता झम्मन लाल गोयल को यूरिन समेत कुछ अन्य परेशानियां थीं. उनका इलाज आगरा के एक अस्पताल में चल रहा था. वहां ज्यादा फायदा न होने पर रिंकू गोयल अपने पिता को वहां से लखनऊ के एक नामी अस्पताल में ले आए. 17 दिसंबर को उन्होंने पिता को भर्ती कराया, लेकिन करीब 14 दिन उपचार के बाद भी मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पिता को डिस्चार्ज करने को कहा. मरीज को डिस्चार्ज करने में अस्पताल प्रशासन में पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया.

मरीज झम्मन लाल गोयल के परिजन भगवती प्रसाद गोयल, रिंकू गोयल, मोहिनी ने बताया कि डिस्चार्ज के लिए बोला गया तो कहा कि वक्त लग जाएगा. दोपहर एक बजे डिस्चार्ज के लिए कहने के बाद शाम को छह बजे मरीज को डिस्चार्ज किया गया. अस्पताल ने 27 दिसंबर और आज का वेंटिलर चार्ज लगा रखा था, लेकिन पिता कभी वेंटिलेटर पर थे ही नहीं. वेंटिलेटर का एक्स्ट्रा चार्ज हटाने में इन्होंने दो घंटे का वक्त बर्बाद किया. अस्पताल प्रशासन ठीक से बात तक नहीं करता है. यहां के लोगों को केवल पैसा चाहिए. मामले से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, इसमें परिजनों और अस्पताल प्रशासन के बीच नोकझोंक होती दिखाई दे रही है. परिजन मरीज को डिस्चार्ज कराकर एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल में ले जा रहे हैं. इस दौरान अस्पताल को कोसते नजर आ रहे हैं. इस बारे में अस्पताल निदेशक से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ. अस्पताल प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने भी इस मसले पर चुप्पी साध रखी है.

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