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महिलाओं और बच्चियों को न्याय दिलाने में नोएडा ने किया टॉप, दूसरे नंबर पर लखनऊ

यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली (Investigation Tracking System for Sexual Offence) की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं और बच्चियों को न्याय दिलाने में नोएडा पुलिस ने टॉप किया है. वहीं लखनऊ दूसरे स्थान पर है.

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Published : Jun 1, 2023, 7:26 AM IST

लखनऊ: महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध का निस्तारण करने में लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने पांच पुलिस कमिश्नरेट को पिछाड़ दिया है. मई में आई इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस की रिपोर्ट (ITSSO Report) के मुताबिक, यूपी के सभी सात कमिश्नरेेट में नोएडा ने टॉप किया है, जबकि लखनऊ कमिश्नरेट का दूसरा स्थान है.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की निगरानी: दरअसल, यूपी में महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाली घटनाएं खासकर (दुष्कर्म व पाक्सो) केस की ट्रैकिंग इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल (ITSSO) पोर्टल के माध्यम से होती है. इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी. इसका रखरखाव नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) करती है.

महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ होने वाले अपराधों के निस्तारण में सबसे निचले पायदान पर प्रयागराज कमिश्नरेट हैं. यहां पर कुल 27 मामले अभी निस्तारण होने को बाकी है, जबकि छठे स्थान पर कानपुर, 5वें पर वाराणसी, चौथे पर गाजियाबाद, तीसरे पर आगरा और दूसरे पर लखनऊ और पहले नंबर नोएडा कमिश्नरेट का नंबर आता है.


कमिश्नरेट में लंबित केस:

  • नोएडा- 2
  • लखनऊ- 4 (तीन केस में हाईकोर्ट से मध्यस्थता कराई जा रही है)
  • आगरा- 5
  • गाजियाबाद- 9
  • वाराणसी- 9
  • कानपुर- 23
  • प्रयागराज- 27

दुष्कर्म के मामले अधिक: आईटीएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के सभी सातों कमिश्नरेट के थानों में मार्च महीने के बाद से महिलाओं और बच्चियों से होने वाले अपराध को लेकर कुल 281 मुकदमे दर्ज करवाए गए. इनमें लखनऊ में कुल 71 FIR दर्ज करवाई गईं. इनमें पाक्सो के 33 और दुष्कर्म के 38 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें सभी केस का निस्तारण लखनऊ पुलिस ने कर लिया है, सिर्फ चार केस शेष हैं.


महिला अपराध सेल करती है मॉनिटरिंग: लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर थाने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है. इसकी विवेचना और कार्रवाई थानों से ही होती है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग महिला अपराध सेल भी करती है. दर्ज होने वाले मुकदमों में कई ऐसे होते है, जो आपसी समझौते या फिर पीडि़त पक्षों से बातचीत कर काउंसलिंग करने के बाद उनका निस्तारण हो जाता है.

ये भी पढ़ें- ऐसी संस्था का विलय कैसे होगा, जो अब तक बनी ही नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

लखनऊ: महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध का निस्तारण करने में लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने पांच पुलिस कमिश्नरेट को पिछाड़ दिया है. मई में आई इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस की रिपोर्ट (ITSSO Report) के मुताबिक, यूपी के सभी सात कमिश्नरेेट में नोएडा ने टॉप किया है, जबकि लखनऊ कमिश्नरेट का दूसरा स्थान है.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की निगरानी: दरअसल, यूपी में महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाली घटनाएं खासकर (दुष्कर्म व पाक्सो) केस की ट्रैकिंग इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल (ITSSO) पोर्टल के माध्यम से होती है. इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी. इसका रखरखाव नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) करती है.

महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ होने वाले अपराधों के निस्तारण में सबसे निचले पायदान पर प्रयागराज कमिश्नरेट हैं. यहां पर कुल 27 मामले अभी निस्तारण होने को बाकी है, जबकि छठे स्थान पर कानपुर, 5वें पर वाराणसी, चौथे पर गाजियाबाद, तीसरे पर आगरा और दूसरे पर लखनऊ और पहले नंबर नोएडा कमिश्नरेट का नंबर आता है.


कमिश्नरेट में लंबित केस:

  • नोएडा- 2
  • लखनऊ- 4 (तीन केस में हाईकोर्ट से मध्यस्थता कराई जा रही है)
  • आगरा- 5
  • गाजियाबाद- 9
  • वाराणसी- 9
  • कानपुर- 23
  • प्रयागराज- 27

दुष्कर्म के मामले अधिक: आईटीएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के सभी सातों कमिश्नरेट के थानों में मार्च महीने के बाद से महिलाओं और बच्चियों से होने वाले अपराध को लेकर कुल 281 मुकदमे दर्ज करवाए गए. इनमें लखनऊ में कुल 71 FIR दर्ज करवाई गईं. इनमें पाक्सो के 33 और दुष्कर्म के 38 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें सभी केस का निस्तारण लखनऊ पुलिस ने कर लिया है, सिर्फ चार केस शेष हैं.


महिला अपराध सेल करती है मॉनिटरिंग: लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर थाने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है. इसकी विवेचना और कार्रवाई थानों से ही होती है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग महिला अपराध सेल भी करती है. दर्ज होने वाले मुकदमों में कई ऐसे होते है, जो आपसी समझौते या फिर पीडि़त पक्षों से बातचीत कर काउंसलिंग करने के बाद उनका निस्तारण हो जाता है.

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