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गैंगरेप मामले में गायत्री प्रजापति समेत तीन अभियुक्तों को उम्रकैद, पीड़िता की बेटी को जुर्माना राशि देने का आदेश - former minister gayatri prajapati

गैंगरेप मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति समेत 3 को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. एमपी-एमएलए कोर्ट ने गायत्री प्रजपाति सहित तीन अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

गायत्री प्रजापति
गायत्री प्रजापति
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Published : Nov 12, 2021, 5:51 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 8:52 PM IST

लखनऊः सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप के आरोपों को सही पाए जाने के बाद एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही इस मामले में दो और अभियुक्तों आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि तीनों ही अभियुक्तों के लिए उम्र कैद का आशय जीवन प्रयंत कारावास से होगा. वहीं, कोर्ट ने तीनों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी. क्योंकि इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए. उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है. ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है, जिसे पुर्नवास की आवश्यकता है. लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगा.

गायत्री प्रजापति ने पद का दुरुपयोग किया
विशेष जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, उसकी कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया. उसे खनन-पट्टे का लालच दिया और लखनऊ बुलाया. फिर उसके और उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया. ऐसे में अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है. जबकि एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवा करें. लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया.

सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति का उतरा चेहरा
सजा सुनने के लिए गायत्री व दोनों अन्य अभियुक्त अदालत में मौजूद रहे. सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति चेहरा उतर गया. वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद तीनों को सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया. उल्लेखनीय है कि तीनों को विशेष अदालत ने 10 नवम्बर को ही दोषी करार दे दिया था, जबकि अन्य आरोपी विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.

अभियुक्तों ने कम सजा देने की प्रार्थना की
सजा के बिन्दु पर बहस के दौरान तीनों अभियुक्तों की ओर से उदार रुख अपनाने की मांग कोर्ट से की गई और प्रार्थना की गई कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए. वहीं अभियोजन पक्ष ने तीनों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए कहा कि अभियुक्त गायत्री प्रजापति तत्कालीन मंत्री था, लिहाजा उसके द्वारा किये गए अपराधिक कृत्य से पूरे समाज में गलत संदेश गया. गायत्री प्रजापति ने खुद को कानून से बचाने के लिए एफआईआर दर्ज होने के बाद भी सभी गलत-सही जतन किए. विवेचना को प्रभावित करना और यहां तक कि ट्रायल को भी प्रभावित करने का प्रयास किया. हालांकि सजा के खिलाफ तीनों के पास हाईकोर्ट में अपील दाखिल करके विशेष अदालत के इस फैसले को चुनौती देने का विकल्प है.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थी एफआईआर
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था. साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी व 6 के तहत भी आरोप तय किया था. बाद में इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई. विचारण के दौरान अभियेाजन पक्ष ने 17 गवाह पेश किये.

पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश

वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है. पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त लखनऊ को दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले.

इसे भी पढे़ं - गायत्री प्रजापति समेत 7 आरोपियों को कोर्ट 10 नवंबर को सुनाएगी फैसला

गायत्री प्रजापति का राजनीति से जेल तक इतिहास
उल्लेखनीय है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति का जन्म अमेठी कस्बे के समीप परसावां गाव में एक सामान्य परिवार में हुआ था. 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इन्हें 1526 मत मिले थे. इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, जिसमे उन्हें 25112 मत मिले थे. 2002 में सपा ने फिर से चुनाव मैदान में गायत्री को उतारा, इस चुनाव में 217624 मत मिले और हार का सामना करना पड़ा. अचानक एक दशक के लिए राजनीति से गायब हो कर गायत्री प्रजापति ने प्रापर्टी का व्यवसाय शुरू कर दिया.

2012 में पहली बार बना विधायक
2012 के चुनाव में सपा से पुनः चुनावी मैदान में गायत्री प्रसाद प्रजापति अपनी किस्मत आजमाने आ गये. 2012 में समाज वादी पार्टी से अमेठी के विधायक निर्वाचित हुए. सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनी. मुलायम सिंह यादव के नजदीकी होने का फायदा गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिला. सपा की सरकार बनते ही राज्य मंत्री का पद इन्हें मिल गया. एक ही वर्ष के अंदर मुलायम सिंह यादव की कृपा पर गायत्री प्रजापति को भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री बनाया गया. खनिज मंत्री बनते ही गायत्री का कद पूरे प्रदेश बढ़ गया. इसके बाद खनिज विभाग व प्रदेश के अन्य विभागों से अकूत कमाही का खेल शुरू हुआ. प्रदेश के तमाम जिलो से बड़े से बड़े छोटे से छोटे लोग अपनी फरियाद लेकर मंत्री के दरबार में पहुंचने लगे. इसी बीच चित्रकूट की महिला भी फरियाद लेकर मंत्री के पास आ गयी. धीरे धीरे उसका आवागमन अधिक हो गया. गायत्री की टीम में उसका उठना-बैठना शुरू हो गया. यही से गायत्री के समेत अन्य साथियों के बुरे दिनों की शुरुआत हुई.

लखनऊः सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप के आरोपों को सही पाए जाने के बाद एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही इस मामले में दो और अभियुक्तों आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि तीनों ही अभियुक्तों के लिए उम्र कैद का आशय जीवन प्रयंत कारावास से होगा. वहीं, कोर्ट ने तीनों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी. क्योंकि इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए. उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है. ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है, जिसे पुर्नवास की आवश्यकता है. लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगा.

गायत्री प्रजापति ने पद का दुरुपयोग किया
विशेष जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, उसकी कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया. उसे खनन-पट्टे का लालच दिया और लखनऊ बुलाया. फिर उसके और उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया. ऐसे में अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है. जबकि एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवा करें. लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया.

सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति का उतरा चेहरा
सजा सुनने के लिए गायत्री व दोनों अन्य अभियुक्त अदालत में मौजूद रहे. सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति चेहरा उतर गया. वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद तीनों को सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया. उल्लेखनीय है कि तीनों को विशेष अदालत ने 10 नवम्बर को ही दोषी करार दे दिया था, जबकि अन्य आरोपी विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.

अभियुक्तों ने कम सजा देने की प्रार्थना की
सजा के बिन्दु पर बहस के दौरान तीनों अभियुक्तों की ओर से उदार रुख अपनाने की मांग कोर्ट से की गई और प्रार्थना की गई कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए. वहीं अभियोजन पक्ष ने तीनों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए कहा कि अभियुक्त गायत्री प्रजापति तत्कालीन मंत्री था, लिहाजा उसके द्वारा किये गए अपराधिक कृत्य से पूरे समाज में गलत संदेश गया. गायत्री प्रजापति ने खुद को कानून से बचाने के लिए एफआईआर दर्ज होने के बाद भी सभी गलत-सही जतन किए. विवेचना को प्रभावित करना और यहां तक कि ट्रायल को भी प्रभावित करने का प्रयास किया. हालांकि सजा के खिलाफ तीनों के पास हाईकोर्ट में अपील दाखिल करके विशेष अदालत के इस फैसले को चुनौती देने का विकल्प है.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थी एफआईआर
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था. साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी व 6 के तहत भी आरोप तय किया था. बाद में इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई. विचारण के दौरान अभियेाजन पक्ष ने 17 गवाह पेश किये.

पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश

वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है. पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त लखनऊ को दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले.

इसे भी पढे़ं - गायत्री प्रजापति समेत 7 आरोपियों को कोर्ट 10 नवंबर को सुनाएगी फैसला

गायत्री प्रजापति का राजनीति से जेल तक इतिहास
उल्लेखनीय है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति का जन्म अमेठी कस्बे के समीप परसावां गाव में एक सामान्य परिवार में हुआ था. 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इन्हें 1526 मत मिले थे. इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, जिसमे उन्हें 25112 मत मिले थे. 2002 में सपा ने फिर से चुनाव मैदान में गायत्री को उतारा, इस चुनाव में 217624 मत मिले और हार का सामना करना पड़ा. अचानक एक दशक के लिए राजनीति से गायब हो कर गायत्री प्रजापति ने प्रापर्टी का व्यवसाय शुरू कर दिया.

2012 में पहली बार बना विधायक
2012 के चुनाव में सपा से पुनः चुनावी मैदान में गायत्री प्रसाद प्रजापति अपनी किस्मत आजमाने आ गये. 2012 में समाज वादी पार्टी से अमेठी के विधायक निर्वाचित हुए. सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनी. मुलायम सिंह यादव के नजदीकी होने का फायदा गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिला. सपा की सरकार बनते ही राज्य मंत्री का पद इन्हें मिल गया. एक ही वर्ष के अंदर मुलायम सिंह यादव की कृपा पर गायत्री प्रजापति को भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री बनाया गया. खनिज मंत्री बनते ही गायत्री का कद पूरे प्रदेश बढ़ गया. इसके बाद खनिज विभाग व प्रदेश के अन्य विभागों से अकूत कमाही का खेल शुरू हुआ. प्रदेश के तमाम जिलो से बड़े से बड़े छोटे से छोटे लोग अपनी फरियाद लेकर मंत्री के दरबार में पहुंचने लगे. इसी बीच चित्रकूट की महिला भी फरियाद लेकर मंत्री के पास आ गयी. धीरे धीरे उसका आवागमन अधिक हो गया. गायत्री की टीम में उसका उठना-बैठना शुरू हो गया. यही से गायत्री के समेत अन्य साथियों के बुरे दिनों की शुरुआत हुई.

Last Updated : Nov 12, 2021, 8:52 PM IST
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