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Gorakhnath Temple Attack : अहमद मुर्तजा अब्बासी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

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Published : Jan 30, 2023, 5:10 PM IST

Updated : Jan 30, 2023, 8:55 PM IST

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17:07 January 30

लखनऊ : एनआईए/एटीएस के विशेष जज विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवानों पर हमला करने के मामले में अभियुक्त अहमद मुर्तजा अब्बासी को मृत्यु दंड की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा है कि 'अभियुक्त को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए. कोर्ट ने अब्बासी को आईपीसी की धारा 121, 153क, 186, 307, 332, 333, 394 व आर्म्स एक्ट की धारा 4/25 के साथ ही विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 16/20/40 तथा 7 सीएलए एक्ट के तहत दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उस पर 44 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके साथ ही फांसी की सजा की पुष्टि के लिए मामले की समस्त पत्रावली को हाईकोर्ट भेजने का भी आदेश दिया है.


विशेष जज ने अपने 145 के पृष्ठों के फैसले में कहा है कि 'अभियुक्त अब्बासी ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित होकर लोन वुल्फ अटैक शैली में जेहाद के इरादे से भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध कर देश की एकता व अखंडता को चुनौती दी है, यदि इसे मृत्यु दंड से कम की सजा दी गई, तो आईएसआईएस, अलकायदा व लश्कर-ए-तोएबा से प्रशिक्षित अनेक कट्टर जेहादी जो लोन वुल्फ अटैक के लिए तत्पर व तैयार हैं, अब्बासी से प्रेरित होकर भविष्य में ऐसे ही अनेक प्रतीकात्मक स्थलों को चुनकर भारत राष्ट्र्र की एकता व अखंडता को चुनौती देते रहेंगे.


कोर्ट ने अपने आदेश में लोन वुल्फ अटैक की अवधारणा को समझने में सहायक द हिब्रू युनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम के एक रिसर्च पेपर का लेख तथा इंटरनेशनल सेंटर फार काउंटर टेररिज्म द हेग के शोधपत्र व इसके शोधकर्ताओं डा. एडविन बेकर तथा डा. बेट्रिराइस डी ग्राफ के प्रति आभार भी व्यक्त किया है. एटीएस के वरिष्ठ लोक अभियोजक नागेन्द्र गोस्वामी ने दलील दी थी कि लोन वुल्फ अटैक शैली आतंकवाद का नया चेहरा बनकर उभरा है, यह काउंटर टेरिरिज्म के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है.

यह है मामला : चार अप्रैल 2022 को इस मामले की एफआईआर विनय कुमार मिश्र ने थाना गोरखनाथ में दर्ज कराई थी. सरकारी वकील एमके सिंह व एलके दीक्षित के मुताबिक, एक दिन पहले अभियुक्त ने गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवान अनिल कुमार पासवान पर अचानक बांके से हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया था. उनका असलहा भी छीनने का प्रयास किया. उन्हें बचाने के लिए दूसरा जवान आया, तो जान से मारने की नियत से उस पर भी धारदार हथियार से हमला कर दिया. मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने घायल जवान व उनके राइफल को उठाया. इस दौरान बांका लहराते हुए व नारा-ए-तकबीर, अल्ला-हू-अकबर का नारा लगाते हुए पीएसी पोस्ट की ओर दौड़ा. इससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई. इसके हाथ पर एक बड़े बांस से प्रहार किया गया. इसके हाथ से बांका गिर गया. फिर आवश्यक बल प्रयोग कर इसे पकड़ लिया गया. इसके पास से अन्य वस्तुओं के अलावा उर्दू भाषा में लिखी हुई एक धार्मिक किताब भी बरामद हुई थी. विवेचना के दौरान हासिल साक्ष्यों के आधार पर इस मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई. 25 अप्रैल, 2022 को विशेष अदालत में पेश कर एटीएस ने इसका न्यायिक व पुलिस कस्टडी रिमांड भी हासिल किया था. विवेचना के पश्चात इसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. नौ माह से कम समय में सुनवाई पूरी कर विशेष अदालत ने मुल्जिम अब्बासी को दोषी करार दिया और अपना फैसला सुनाया.

यह भी पढ़ें : Bird Festival 2023 : उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा, महोबा में 1 फरवरी से बर्ड फेस्टिवल

17:07 January 30

लखनऊ : एनआईए/एटीएस के विशेष जज विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवानों पर हमला करने के मामले में अभियुक्त अहमद मुर्तजा अब्बासी को मृत्यु दंड की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा है कि 'अभियुक्त को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए. कोर्ट ने अब्बासी को आईपीसी की धारा 121, 153क, 186, 307, 332, 333, 394 व आर्म्स एक्ट की धारा 4/25 के साथ ही विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 16/20/40 तथा 7 सीएलए एक्ट के तहत दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उस पर 44 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके साथ ही फांसी की सजा की पुष्टि के लिए मामले की समस्त पत्रावली को हाईकोर्ट भेजने का भी आदेश दिया है.


विशेष जज ने अपने 145 के पृष्ठों के फैसले में कहा है कि 'अभियुक्त अब्बासी ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित होकर लोन वुल्फ अटैक शैली में जेहाद के इरादे से भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध कर देश की एकता व अखंडता को चुनौती दी है, यदि इसे मृत्यु दंड से कम की सजा दी गई, तो आईएसआईएस, अलकायदा व लश्कर-ए-तोएबा से प्रशिक्षित अनेक कट्टर जेहादी जो लोन वुल्फ अटैक के लिए तत्पर व तैयार हैं, अब्बासी से प्रेरित होकर भविष्य में ऐसे ही अनेक प्रतीकात्मक स्थलों को चुनकर भारत राष्ट्र्र की एकता व अखंडता को चुनौती देते रहेंगे.


कोर्ट ने अपने आदेश में लोन वुल्फ अटैक की अवधारणा को समझने में सहायक द हिब्रू युनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम के एक रिसर्च पेपर का लेख तथा इंटरनेशनल सेंटर फार काउंटर टेररिज्म द हेग के शोधपत्र व इसके शोधकर्ताओं डा. एडविन बेकर तथा डा. बेट्रिराइस डी ग्राफ के प्रति आभार भी व्यक्त किया है. एटीएस के वरिष्ठ लोक अभियोजक नागेन्द्र गोस्वामी ने दलील दी थी कि लोन वुल्फ अटैक शैली आतंकवाद का नया चेहरा बनकर उभरा है, यह काउंटर टेरिरिज्म के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है.

यह है मामला : चार अप्रैल 2022 को इस मामले की एफआईआर विनय कुमार मिश्र ने थाना गोरखनाथ में दर्ज कराई थी. सरकारी वकील एमके सिंह व एलके दीक्षित के मुताबिक, एक दिन पहले अभियुक्त ने गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवान अनिल कुमार पासवान पर अचानक बांके से हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया था. उनका असलहा भी छीनने का प्रयास किया. उन्हें बचाने के लिए दूसरा जवान आया, तो जान से मारने की नियत से उस पर भी धारदार हथियार से हमला कर दिया. मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने घायल जवान व उनके राइफल को उठाया. इस दौरान बांका लहराते हुए व नारा-ए-तकबीर, अल्ला-हू-अकबर का नारा लगाते हुए पीएसी पोस्ट की ओर दौड़ा. इससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई. इसके हाथ पर एक बड़े बांस से प्रहार किया गया. इसके हाथ से बांका गिर गया. फिर आवश्यक बल प्रयोग कर इसे पकड़ लिया गया. इसके पास से अन्य वस्तुओं के अलावा उर्दू भाषा में लिखी हुई एक धार्मिक किताब भी बरामद हुई थी. विवेचना के दौरान हासिल साक्ष्यों के आधार पर इस मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई. 25 अप्रैल, 2022 को विशेष अदालत में पेश कर एटीएस ने इसका न्यायिक व पुलिस कस्टडी रिमांड भी हासिल किया था. विवेचना के पश्चात इसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. नौ माह से कम समय में सुनवाई पूरी कर विशेष अदालत ने मुल्जिम अब्बासी को दोषी करार दिया और अपना फैसला सुनाया.

यह भी पढ़ें : Bird Festival 2023 : उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा, महोबा में 1 फरवरी से बर्ड फेस्टिवल

Last Updated : Jan 30, 2023, 8:55 PM IST
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