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लखनऊ विश्वविद्यालय हिंसा मामला : सपा के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह पर 10 नवम्बर को आएगा फैसला

समाजवादी पार्टी की सरकार के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप और अन्य के खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट 10 नवम्बर को अब फैसला सुनाएगा.

एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट
एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट
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Published : Nov 2, 2021, 9:27 PM IST

लखनऊ : एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने सपा सरकार में मंत्री रहे अरविंद सिंह गोप व अन्य के खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 10 नवम्बर की तारीख निश्चित की है.

26 साल पुराने एक मामले में लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के दौरान दो गुटों के बीच गोलीबारी, जानलेवा हमला व बलवा करने का आरोप है. मामले में अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें समाप्त होने के बाद विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.


उक्त मामले में थाना हसनगंज के एसआई बीएस सिंह ने 21 फरवरी 1994 को मामले की रिपोर्ट दर्ज करायी थी. एफआईआर में कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव में महामंत्री ओंकार भारती बाबा व अरविंद सिंह गोप अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. घटना के दिन दोनों छात्र नेताओं के समर्थक यूनिवर्सिटी कैम्पस में ही हथियारों से लैस होकर कैशियर ऑफिस के सामने भिड़ गये. गाली-गलौज, मारपीट के बाद एक-दूसरे पर बम और गोलियां चलानी शुरू कर दी. मौके से ओंकार भारती व मेराज को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में अरविंद सिंह गोप को भी गिरफ्तार किया गया.


उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान ही ओंकार भारती बाबा की मृत्यु हो चुकी है. अन्य आरोपियों में पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप के अलावा मेराज अहमद, मनोज सिंह, प्रद्युम्न वर्मा, विवेकानंद, शैलेंद्र सिंह, विष्णुकांत पांडेय, मुकेश शुक्ला, जितेंद्र मिश्र, राजीव कुमार सिंह, धीरेंद्र सिंह व रमेश सिंह के खिलाफ मुकदमे का विचारण विशेष न्यायालय द्वारा किया गया.


इसे भी पढ़ें - संजीव कुमार यादव बने हाईकोर्ट कर्मचारी एसोसिएशन के महासचिव, कार्यकारिणी के पांच सदस्य निर्विरोध निर्वाचित

लखनऊ : एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने सपा सरकार में मंत्री रहे अरविंद सिंह गोप व अन्य के खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 10 नवम्बर की तारीख निश्चित की है.

26 साल पुराने एक मामले में लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के दौरान दो गुटों के बीच गोलीबारी, जानलेवा हमला व बलवा करने का आरोप है. मामले में अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें समाप्त होने के बाद विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.


उक्त मामले में थाना हसनगंज के एसआई बीएस सिंह ने 21 फरवरी 1994 को मामले की रिपोर्ट दर्ज करायी थी. एफआईआर में कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव में महामंत्री ओंकार भारती बाबा व अरविंद सिंह गोप अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. घटना के दिन दोनों छात्र नेताओं के समर्थक यूनिवर्सिटी कैम्पस में ही हथियारों से लैस होकर कैशियर ऑफिस के सामने भिड़ गये. गाली-गलौज, मारपीट के बाद एक-दूसरे पर बम और गोलियां चलानी शुरू कर दी. मौके से ओंकार भारती व मेराज को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में अरविंद सिंह गोप को भी गिरफ्तार किया गया.


उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान ही ओंकार भारती बाबा की मृत्यु हो चुकी है. अन्य आरोपियों में पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप के अलावा मेराज अहमद, मनोज सिंह, प्रद्युम्न वर्मा, विवेकानंद, शैलेंद्र सिंह, विष्णुकांत पांडेय, मुकेश शुक्ला, जितेंद्र मिश्र, राजीव कुमार सिंह, धीरेंद्र सिंह व रमेश सिंह के खिलाफ मुकदमे का विचारण विशेष न्यायालय द्वारा किया गया.


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