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पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दाखिल परिवाद खारिज - harishankar tiwari

पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दाखिल परिवाद को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह परिवाद राजेश अरोड़ा ने दाखिल किया था. परिवाद में देश-विदेश में होने वाली आतंकवादी गतिविधि व नक्सलवाद और माओवाद का संरक्षक होने का आरोप लगाया गया था.

लखनऊ कोर्ट
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Published : Mar 3, 2021, 10:36 PM IST

लखनऊ: मुख्य न्ययिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दाखिल परिवाद को खारिज कर दिया है. यह परिवाद राजेश अरोड़ा ने दाखिल किया था. परिवाद में देश-विदेश में होने वाली आतंकवादी गतिविधि व नक्सलवाद और माओवाद का संरक्षक होने का आरोप लगाया गया था.

अदालत ने परिवाद को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि परिवाद के कथन विश्वसनीय नहीं हैं. परिवादी ने महज काल्पनिक आधार पर अपनी मनःस्थिति को परिवाद का रूप दिया है. परिवाद में विपक्षी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला बनना परिलक्षित नहीं है.

बीमा कम्पनी के वरिष्ठ सहायक को चार साल की सजा
वहीं एक अन्य मामले में सीबीआई की विशेष जज मीना श्रीवास्तव ने बीमा का क्लेम पास करने के एवज में तीन हजार की रिश्वत लेने के मामले में नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के तत्कालीन वरिष्ठ सहायक चेतराम सुमन को चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. यह शाहजहांपुर में कंपनी की डिविजनल ऑफिस में तैनात था. उन्होंने इस पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

सीबीआई के लोक अभियोजक डॉ. एलसी पाल के मुताबिक शिकायतकर्ता बिजेंद्र की पत्नी की एक भैंस की मौत हो गई थी. उन्होंने कम्पनी में इसका बीमा दावा दाखिल किया था, लेकिन अभियुक्त ने उनके बीमा दावे के प्रॉसेस के लिए तीन हजार की रिश्वत मांगी. 4 अप्रैल 2012 को सीबीआई ने इस शिकायत पर उसे रिश्वत की इस रकम के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. विवेचना के बाद इसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया गया.

लखनऊ: मुख्य न्ययिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दाखिल परिवाद को खारिज कर दिया है. यह परिवाद राजेश अरोड़ा ने दाखिल किया था. परिवाद में देश-विदेश में होने वाली आतंकवादी गतिविधि व नक्सलवाद और माओवाद का संरक्षक होने का आरोप लगाया गया था.

अदालत ने परिवाद को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि परिवाद के कथन विश्वसनीय नहीं हैं. परिवादी ने महज काल्पनिक आधार पर अपनी मनःस्थिति को परिवाद का रूप दिया है. परिवाद में विपक्षी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला बनना परिलक्षित नहीं है.

बीमा कम्पनी के वरिष्ठ सहायक को चार साल की सजा
वहीं एक अन्य मामले में सीबीआई की विशेष जज मीना श्रीवास्तव ने बीमा का क्लेम पास करने के एवज में तीन हजार की रिश्वत लेने के मामले में नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के तत्कालीन वरिष्ठ सहायक चेतराम सुमन को चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. यह शाहजहांपुर में कंपनी की डिविजनल ऑफिस में तैनात था. उन्होंने इस पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

सीबीआई के लोक अभियोजक डॉ. एलसी पाल के मुताबिक शिकायतकर्ता बिजेंद्र की पत्नी की एक भैंस की मौत हो गई थी. उन्होंने कम्पनी में इसका बीमा दावा दाखिल किया था, लेकिन अभियुक्त ने उनके बीमा दावे के प्रॉसेस के लिए तीन हजार की रिश्वत मांगी. 4 अप्रैल 2012 को सीबीआई ने इस शिकायत पर उसे रिश्वत की इस रकम के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. विवेचना के बाद इसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया गया.

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