लखनऊ : चर्म रोग के रोगी को इलाज के नाम पर कैंसर की दवा चढ़ाने व इससे रोगी की मौत हो जाने के मामले में इंदुश्री स्किन क्लीनिक (Indushree Skin Clinic) के डॉक्टर अबीर सास्वत के विरुद्ध अग्रिम विवेचना करने का आदेश विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम) साक्षी गर्ग ने थानाध्यक्ष गाजीपुर को दिया है. मामले में पुलिस ने डॉक्टर को क्लीन चिट देते हुए अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी.
अदालत के समक्ष पीड़िता अतिका सिंह (Victim Atika Singh before the court) की ओर से अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति अर्जी प्रस्तुत कर कहा गया कि पीड़िता के पति अशोक कुमार सिंह को चर्म रोग की बीमारी थी. जिनका इलाज इंदुश्री क्लीनिक के डॉक्टर अबीर सास्वत कर रहे थे. 25 जून 2018 से आरोपी डॉक्टर उनके पति के इलाज कर रहे थे. 25 जून 2018 को अभियुक्त ने उनके पति का बॉयोप्सी की और 3 अगस्त को कैंसर का इलाज करने वाली दवा दे दी. इससे उसके पति की तबीयत बिगड़ गई और उनकी इस दवा के कारण मृत्यु हो गई. इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन गाजीपुर पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखी गई तब प्रार्थना पत्र अदालत में दिया गया.
पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट (FINAL REPORT FILED BY THE POLICE) के विरुद्ध आपत्ति पर वकीलों का तर्क था कि अदालत के आदेश से पुलिस ने डॉक्टर के विरुद्ध 3 फरवरी 2021 को मुकदमा दर्ज किया. कहा गया है कि अनेक साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद पुलिस ने सही विवेचना न करके आरोपी को प्रत्यक्ष रुप से लाभ पहुंचाते हुए अंतिम रिपोर्ट लगा दी है. अदालत ने पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि पत्रावली पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं तथा विवेचक द्वारा त्रुटि पूर्ण विवेचना की गई है. ऐसी स्थिति में मामले की अग्रिम विवेचना कराया जाना न्याय संगत होगा.
रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लेखपाल को जमानत नहीं : प्लॉट का दाखिल खारिज कराने के नाम पर तीस हजार रुपये घूस मांगने और दस 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होने वाले चिनहट क्षेत्र के लेखपाल आनंद श्रीवास्तव की जमानत अर्जी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दी है. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक कमल अवस्थी का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर इंस्पेक्टर नुरुलहुदा खान द्वारा 21 सितंबर 2022 को ट्रैप करने के उपरांत रुपयों के साथ गिरफ्तारी करने के पश्चात चिनहट थाने में दर्ज कराई गई थी.
शिकायतकर्ता समीउल्ला (Complainant Samiullah) ने आरोप लगाया है कि उसने शीला गुप्ता से एक आवासीय भूखंड सराय शेख थाना चिनहट में 2 अगस्त 2008 को खरीदकर रजिस्ट्री कराई थी. जमानत के विरोध में कहा गया कि इस प्लॉट का दाखिल खारिज कराने के लिए हल्का लेखपाल आनंद श्रीवास्तव से जब संपर्क किया गया तो उसने 30 हजार रुपए के रिश्वत की मांगी थी, जिसे न देने पर आरोपी ने दाखिल खारिज पर रिपोर्ट लगाने से मना कर दिया. कहा गया है कि काफी अनुनय विनय करने पर वह इस शर्त पर माना कि पहले 10 हजार रुपये देने होंगे. उसके बाद 20 हजार रुपये देना होगा. घटना की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण के पुलिस अधीक्षक से की गई थी. जहां से जांच के उपरांत मामला सही पाए जाने पर ट्रैप की योजना बनाई गई थी.
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