लखनऊ : अमेठी के संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस निलंबन मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 अक्टूबर की तिथि नियत करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त कर यह अवगत कराने को कहा है कि मामले में जांच कब तक पूरी हो जाएगी. न्यायालय ने फिलहाल अस्पताल को कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी है. दरअसल न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि अस्पताल को सर्जरी के लिए लाइसेंस नहीं मिला था. बावजूद इसके वहां सर्जरी की जा रही थी. उल्लेखनीय है कि सर्जरी के दौरान एक महिला की मृत्यु होने के पश्चात अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है. जिसके खिलाफ अस्पताल प्रबंधन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व संजय गांधी अस्पताल में पथरी का ऑपरेशन कराने आई महिला की मौत हो गई थी. महिला के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था. परिजनों का कहना था कि उनके मरीज को एनेस्थीसिया के इंजेक्शन का ओवरडोज दिया गया था. जिससे उसकी मौत हो गई. शिकायत के बाद पुलिस ने CEO समेत तीन डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी. इस मामले में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने सीएमओ अमेठी को तीन सदस्यीय टीम बना कर पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया था. जिसके क्रम में सीएमओ अमेठी ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करते हुए अस्पताल में मरीजों की भर्ती व ओपीडी चलाने पर रोक लगा दी थी.
संजय गांधी अस्पताल बंद करने के मामले में कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह के नेतृत्व में सीएमओ कार्यालय के बाहर सत्याग्रह आंदोलन भी किया था. दूसरी तरफ अस्पताल में स्वास्थ सेवाएं बहाली को लेकर ग्रामीणों ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया था. ग्रामीणों का आरोप था कि संजय गांधी अस्पताल राजनीतिक साजिश के तहत स्मृति ईरानी ने बंद करवाया है. बहरहाल संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित होते ही अमेठी की राजनीति में उथल पुथल मची हुई है. अस्पताल के लाइसेंस बहाल करने पर मुंशीगंज के व्यपारियों ने भी विरोध जताया है.
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