लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पशुपालन विभाग में वर्ष 2018 में टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर के व्यापारी से करोड़ों रुपये ठगने के आरोपी कथित पत्रकार अनिल राय की दूसरी जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि पीड़ित से करोड़ों रुपये की ठगी के मामले में अभियुक्त अनिल राय प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक था. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने अनिल राय की जमानत याचिका पर पारित किया है.
इसके पहले न्यायालय अनिल राय की पहली जमानत याचिका खारिज कर चुकी थी. हालांकि इसके पश्चात अभियुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत पर रिहा करने की मांग की, जिसे शीर्ष अदालत ने अस्वीकार कर दिया. हालांकि छह माह बाद पुनः ट्रायल कोर्ट में जमानत की मांग करने की छूट भी दी. इस पर अभियुक्त ने पुनः ट्रायल कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई. जिसके खारिज होने के पश्चात उसने वर्तमान जमानत याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थीय
न्यायालय ने पिछले आदेश में कहा था कि अभियुक्त ने अन्य सह-अभियुक्तों जिनमें पूर्व डीआईजी अरविंद सेन भी शामिल हैं के साथ मिलकर बहुत ही सुनियोजित तरीके से अपराध को अंजाम दिया. सरकारी वकीलों ने न्यायालय को बताया कि विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आया कि सभी अभियुक्तों ने व्यापारी से ऐठें गए रुपये आपस में बांट लिए हैं. इन रुपयों का लेन देन बैंक एकांउट में भी किया गया है. कहा गया कि सचिवालय परिसर को इस अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया जो कि अपराध की गंभीरता को और बढ़ा देता है. उल्लेखनीय है कि इंदौर के व्यापारी ने इस मामले की प्राथमिकी हजरतगंज थाने पर आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज कराई थी.
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