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32 Years Old Bribery Matter : 32 साल पहले सौ रुपये ली थी घूस, कोर्ट ने सुनाई ये सजा

रेलवे के बाबू को मेडिकल बनवाने के नाम पर 150 रुपए घूस (32 Years Old Bribery Matter) लेना भारी पड़ा. 32 साल पुराने मामले में सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को रेलवे के तत्कालीन क्लर्क को दोषी ठहराया.

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Published : Feb 3, 2023, 1:11 AM IST

Updated : Feb 3, 2023, 6:19 AM IST

लखनऊ : 32 साल पहले अपने ही विभाग के सेवानिवृत्त ड्राइवर से सौ रुपये की घूस लेने वाले रेलवे के बाबू (लिपिक) राज नारायण वर्मा को सीबीआई की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने एक वर्ष के कारावास तथा 15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.


सीबीआई के अनुसार लोको फोरमैन आलमबाग के सेवानिवृत्त इंजन ड्राइवर राम कुमार तिवारी ने 6 अगस्त 1991 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक सीबीआई को दिया था कि उसे अपनी पेंशन के सम्बंध में मेडिकल कराना है. शिकायती अर्जी में कहा गया कि उत्तर रेलवे अस्पताल में तैनात लिपिक आरएन वर्मा से वह 19 जुलाई 1991 को मिला तथा मेडिकल के लिए कहा जिस पर आरोपी ने जल्दी से काम कराने के नाम पर डेढ़ सौ रुपये की मांग की. कहा गया कि कुछ दिन बाद जब वह 5 अगस्त को गया तो आरोपी ने कहा कि अगर उसने डेढ़ सौ रुपये नहीं दिए तो काम नहीं होगा. जिस पर शिकायतकर्ता ने 50 रुपये देकर बाकी रुपये दो दिन बाद देने को कहा. बताया गया है कि दो दिन बाद 7 अगस्त को जब वह बाकी के सौ रुपये देने गया तभी सीबीआई टीम ने उसे मौके पर रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था.


यह मुकदमा लगभग 32 साल चला. अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि यद्यपि आरोपी की आयु एवं उसके पास से बरामद रिश्वत की धनराशि को देखा जाए तो यह बहुत बड़ा मामला नहीं है, परंतु 32 वर्ष पूर्व सौ रुपये की धनराशि उस व्यक्ति के लिए बहुत अधिक थी, जिसे मात्र पेंशन के रूप में 382 रुपये मिलते हों. अदालत ने कहा है कि यदि आरोपी को उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जाएगा तो समाज में उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.


यह भी पढ़ें : Lucknow News : कश्मीरी युवकों ने गोमती नदी में ड्राई फ्रूट्स फेंकने का लगाया आरोप, सुनाई आपबीती

लखनऊ : 32 साल पहले अपने ही विभाग के सेवानिवृत्त ड्राइवर से सौ रुपये की घूस लेने वाले रेलवे के बाबू (लिपिक) राज नारायण वर्मा को सीबीआई की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने एक वर्ष के कारावास तथा 15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.


सीबीआई के अनुसार लोको फोरमैन आलमबाग के सेवानिवृत्त इंजन ड्राइवर राम कुमार तिवारी ने 6 अगस्त 1991 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक सीबीआई को दिया था कि उसे अपनी पेंशन के सम्बंध में मेडिकल कराना है. शिकायती अर्जी में कहा गया कि उत्तर रेलवे अस्पताल में तैनात लिपिक आरएन वर्मा से वह 19 जुलाई 1991 को मिला तथा मेडिकल के लिए कहा जिस पर आरोपी ने जल्दी से काम कराने के नाम पर डेढ़ सौ रुपये की मांग की. कहा गया कि कुछ दिन बाद जब वह 5 अगस्त को गया तो आरोपी ने कहा कि अगर उसने डेढ़ सौ रुपये नहीं दिए तो काम नहीं होगा. जिस पर शिकायतकर्ता ने 50 रुपये देकर बाकी रुपये दो दिन बाद देने को कहा. बताया गया है कि दो दिन बाद 7 अगस्त को जब वह बाकी के सौ रुपये देने गया तभी सीबीआई टीम ने उसे मौके पर रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था.


यह मुकदमा लगभग 32 साल चला. अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि यद्यपि आरोपी की आयु एवं उसके पास से बरामद रिश्वत की धनराशि को देखा जाए तो यह बहुत बड़ा मामला नहीं है, परंतु 32 वर्ष पूर्व सौ रुपये की धनराशि उस व्यक्ति के लिए बहुत अधिक थी, जिसे मात्र पेंशन के रूप में 382 रुपये मिलते हों. अदालत ने कहा है कि यदि आरोपी को उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जाएगा तो समाज में उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.


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Last Updated : Feb 3, 2023, 6:19 AM IST
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