ETV Bharat / state

कोर्ट ने फर्जी किसान विकास पत्र से लोन लेने के मामले में आरोपी को दिया दोषी करार - लखनऊ हाई कोर्ट जज

लखनऊ हाईकोर्ट ने फर्जी किसान विकास पत्र गिरवी रखकर लोन लेने के मामले में अभियुक्त अभिषेक श्रीवास्तव को दोषी करार दिया है. मामले में साल 2009 में मुकदमा दर्ज कराया गया था. दोषी को सात साल की सजा सुनाई गई है.

फर्जी किसान विकास पत्र के जरिये लिया था 30 लाख का लोन
फर्जी किसान विकास पत्र के जरिये लिया था 30 लाख का लोन
author img

By

Published : Feb 25, 2021, 9:16 PM IST

लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने फर्जी किसान विकास पत्र गिरवी रखकर लाखों का लोन लेने के एक मामले में अभियुक्त अभिषेक श्रीवास्तव को दोषी करार दिया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई के उपरांत कोर्ट ने अभियुक्त को सात साल कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही अभियुक्त पर 85 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अभियुक्त कैपिटल ट्रेडर्स का प्रोपराइटर है.

2009 मेंं दर्ज हुआ था मुकदमा
सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर 29 जनवरी 2009 को दर्ज की थी. इसके अनुसार बैंक ऑफ इंडिया की काकोरी शाखा में 79 फर्जी किसान विकास पत्र को रखकर 30 लाख रुपये का ऋण प्राप्त कर लिया गया. विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि अभियुक्त अभिषेक श्रीवास्तव ने एक साजिश के तहत बैंक में अभियुक्त शिवांश का खाता खुलवाया था. 5 जुलाई 2008 को फर्जी किसान विकास पत्र रखकर लोन के लिए आवेदन दिया गया. उसी दिन वरिष्ठ बैंक प्रबंधक आलोक कुमार मिश्रा ने लोन मंजूर भी कर दिया. सीबीआई ने विवेचना के बाद इस मामले में अभिषेक श्रीवास्तव समेत वरिष्ठ बैंक प्रंबधक आलोक, शिवांश पाठक और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इस मामले में अन्य अभियुक्तों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है.

लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने फर्जी किसान विकास पत्र गिरवी रखकर लाखों का लोन लेने के एक मामले में अभियुक्त अभिषेक श्रीवास्तव को दोषी करार दिया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई के उपरांत कोर्ट ने अभियुक्त को सात साल कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही अभियुक्त पर 85 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अभियुक्त कैपिटल ट्रेडर्स का प्रोपराइटर है.

2009 मेंं दर्ज हुआ था मुकदमा
सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर 29 जनवरी 2009 को दर्ज की थी. इसके अनुसार बैंक ऑफ इंडिया की काकोरी शाखा में 79 फर्जी किसान विकास पत्र को रखकर 30 लाख रुपये का ऋण प्राप्त कर लिया गया. विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि अभियुक्त अभिषेक श्रीवास्तव ने एक साजिश के तहत बैंक में अभियुक्त शिवांश का खाता खुलवाया था. 5 जुलाई 2008 को फर्जी किसान विकास पत्र रखकर लोन के लिए आवेदन दिया गया. उसी दिन वरिष्ठ बैंक प्रबंधक आलोक कुमार मिश्रा ने लोन मंजूर भी कर दिया. सीबीआई ने विवेचना के बाद इस मामले में अभिषेक श्रीवास्तव समेत वरिष्ठ बैंक प्रंबधक आलोक, शिवांश पाठक और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इस मामले में अन्य अभियुक्तों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.