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ट्रेन रोकने के मामले में पूर्व सांसद अन्नू टंडन समेत 3 को कोर्ट ने माना दोषी, लगाया जुर्माना - ट्रेन रोकने के मामले में तीन दोषी

वर्ष 2017 में प्रदर्शन के दौरान ट्रेन रोकने के मामले में पूर्व सांसद अन्नू टंडन व 3 अन्य लोगों को हाईकोर्ट ने राहत दी है.

लखनऊ हाईकोर्ट
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Published : Sep 1, 2022, 8:52 PM IST

लखनऊ: वर्ष 2017 में प्रदर्शन के दौरान उन्नाव रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व सांसद अन्नू टंडन व 3 अन्य को दोषी करार दिया है. हालांकि न्यायालय ने सजा के बिंदुओं पर अपीलार्थियों को राहत दी है. कोर्ट ने अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई दो-दो साल का कारावास व 25-25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा अधिक है. लिहाजा अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई जाती है, अपीलार्थी जुर्माना जमा कर चुके हैं. यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने पूर्व सांसद अन्नू टंडन व 3 अन्य की अपील पर दिया है.

इस मामले में 12 जून 2017 को आरपीएफ पोस्ट, उन्नाव ने शिकायत दर्ज की थी. जिसमें कहा गया कि ट्रेन नंबर-18191, टाटा-छपरा एक्सप्रेस को कांग्रेस पार्टी के 150 से 200 कार्यकर्ताओं ने उन्नाव स्टेशन के प्लेटफार्म नबंर-2 पर पहुंचने से पहले ही रोक लिया है. शिकायत में कहा गया था कि कांग्रेस कार्यकर्त गाड़ी के इंजन पर चढ़ गए हैं. प्रदर्शन का नेतृत्व अन्नू टंडन के अतिरिक्त कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सूर्य नारायण यादव, शहर अध्यक्ष अमित शुक्ला व अंकित परिहार कर रहे थे.

इन सभी के खिलाफ रेलवेज एक्ट की धारा 174(ए) में चार्जशीट दाखिल की गई थी. ट्रायल के बाद 18 मार्च 2021 को ट्रायल कोर्ट ने चारो को दोष सिद्ध करार देते हुए, दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. अब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने निर्णय में कहा कि विरोध करना नागरिक का मौलिक अधिकार है. लेकिन इससे किसी कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस मामले में ट्रेन सिर्फ 15 मिनट के लिए रोकी गई थी. इसमें किसी सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान नहीं किया गया. अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई जाती है.

इसे पढ़ें- 46 सालों से जेल में बंद कैदी की रिहाई के लिए हाईकोर्ट ने UP सरकार को दिया आदेश

लखनऊ: वर्ष 2017 में प्रदर्शन के दौरान उन्नाव रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व सांसद अन्नू टंडन व 3 अन्य को दोषी करार दिया है. हालांकि न्यायालय ने सजा के बिंदुओं पर अपीलार्थियों को राहत दी है. कोर्ट ने अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई दो-दो साल का कारावास व 25-25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा अधिक है. लिहाजा अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई जाती है, अपीलार्थी जुर्माना जमा कर चुके हैं. यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने पूर्व सांसद अन्नू टंडन व 3 अन्य की अपील पर दिया है.

इस मामले में 12 जून 2017 को आरपीएफ पोस्ट, उन्नाव ने शिकायत दर्ज की थी. जिसमें कहा गया कि ट्रेन नंबर-18191, टाटा-छपरा एक्सप्रेस को कांग्रेस पार्टी के 150 से 200 कार्यकर्ताओं ने उन्नाव स्टेशन के प्लेटफार्म नबंर-2 पर पहुंचने से पहले ही रोक लिया है. शिकायत में कहा गया था कि कांग्रेस कार्यकर्त गाड़ी के इंजन पर चढ़ गए हैं. प्रदर्शन का नेतृत्व अन्नू टंडन के अतिरिक्त कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सूर्य नारायण यादव, शहर अध्यक्ष अमित शुक्ला व अंकित परिहार कर रहे थे.

इन सभी के खिलाफ रेलवेज एक्ट की धारा 174(ए) में चार्जशीट दाखिल की गई थी. ट्रायल के बाद 18 मार्च 2021 को ट्रायल कोर्ट ने चारो को दोष सिद्ध करार देते हुए, दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. अब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने निर्णय में कहा कि विरोध करना नागरिक का मौलिक अधिकार है. लेकिन इससे किसी कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस मामले में ट्रेन सिर्फ 15 मिनट के लिए रोकी गई थी. इसमें किसी सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान नहीं किया गया. अपीलार्थियों को सिर्फ जुर्माने की सजा सुनाई जाती है.

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