लखनऊ: यजदान बिल्डर्स के बिल्डिंग ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर कोर्ट ने (Court bans building demolition of Yazdan Builders) रोक लगा दी है. सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) पूर्णिमा प्रांजल ने याजदान बिल्डर्स के हजरतगंज स्थित बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है. यह रोक 29 नवंबर तक रहेगी. कोर्ट ने यह आदेश उक्त बिल्डिंग की एक फ्लैट खरीददार दिव्या श्रीवास्तव की ओर से दाखिल सिविल वाद पर पारित किया है.
एलडीए ने यजदान बिल्डर्स की बिल्डिंग तोड़ने का काम फिर शुरू कर दिया है. आरोप है कि कोर्ट के स्टे ऑर्डर को एलडीए नहीं मान रहा है. आरोप यह भी है कि सिविल कोर्ट के आदेश को एलडीए ने मानने से इनकार कर दिया है. मौजूद अधिकारियों ने सर्टिफाइड कॉपी लेकर आने को कहा है. एलडीए के दोबारा काम शुरू करने से बायर्स की धड़कनें एक बार फिर बढ़ गई हैं. उधर बिल्डिंग को तोड़ने का काम बदस्तूर जारी है.
कोर्ट का स्टे आर्डर लेकर पहुंचे बायर्स और वकील स्टे आर्डर दिखाकर काम रोकने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन, एलडीए के अधिकारियों का तर्क है कि स्टे आर्डर की सर्टिफाइड कॉपी के बगैर कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी. बायर्स का आरोप है कि स्टे आर्डर दिखाने के बाद भी एलडीए काम रोकने को तैयार नहीं है. प्रवर्तन दल के अधिकारी उच्च अधिकारियों से कर रहे बात कर रहे हैं.
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यजदान बिल्डर को सिविल जज से राहत मिल गई थी. सिविल जज ने बिल्डिंग न तोड़ने का आदेश दिया था. आदेश में हाई कोर्ट की सुनवाई पूरी होने तक बिल्डिंग न तोड़ने को कहा गया था. आदेश के बावजूद एलडीए का हथोड़ा बिल्डिंग गिराने के लिए लगातार चल रहा है, जिससे फ्लैट खरीदने वाले बायर्स की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है.
इस संबंध में एलडीए सूत्रों का कहना है कि बिल्डर्स ने एलडीए के समक्ष नक्शा प्रस्तुत किया था, लेकिन यह उन्हें जारी नहीं किया गया था. इसके बावजूद उन्होंने निर्माण शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि जब उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं मिला था तो उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.
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