लखनऊ: प्रदेश सरकार ने मंडी समिति में होने वाली कर चोरी पर नियंत्रण करने के लिए 1 मार्च से ई-मण्डी प्रणाली शुरू कर दी है. प्रदेश की सभी मंडियों में ई-मंडी व्यवस्था लागू हुई है. इससे व्यापारियों के द्वारा जमा किए जाने वाले कर में किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार न हो सके. कृषि उत्पादों के मंडी फार्म 6 और 9 गेट पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही मान्य हैं. ई-मंडी पोर्टल के माध्यम से जारी फार्म ही वैध होंगे. इससे कर चोरी पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा. वही कागजी कार्रवाई खत्म होने से खरीद और बिक्री की प्रक्रिया आसानी से पूरी होगी.
ई-मंडी से मिलेगा किसानों को ऑनलाइन गेट पास
क्रय-विक्रय को आसान बनाने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सहयोग से ई-मंडी विकसित की गई है. पोर्टल पर मंडी से जुड़े हुए व्यापारियों के लिए लाइसेंस प्रपत्र-9 और गेट पास आवेदन मॉडल उपलब्ध हैं. सभी लाइसेंसों के कार्यों के अनुसार उनके लॉगिन बनाए हैं. ई-मंडी से किसानों को ऑनलाइन गेट पास की सुविधा प्राप्त हो रही है. इससे व्यापारियों के स्टॉक और डिमांड कनेक्शन की गणना भी स्वतः हो रही है. इसी के साथ व्यापारियों की सुविधा के लिए मंडी समितियों में हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं. व्यापारी कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग कर मंडी के कार्यों को नि:शुल्क कर सकते हैं.
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मण्डी सचिव संजय सिंह ने बताया कि मंडी परिषद के इस कदम से कर चोरी प्रपत्रों के कारण होने वॉल्यूम को कम किया जा सकेगा. व्यापारी और किसानों के बहुमूल्य विभिन्न संवर्धन सेवाएं प्राप्त होंगी.