लखनऊ: पासपोर्ट, भारतीय नागरिकता को प्रमाणित करने का एक बड़ा दस्तावेज है, लेकिन जिस तरीके से हाल के दिनों में फर्जी पासपोर्ट के मामले सामने आए हैं, वह खुफिया तंत्र के साथ पुलिस और पासपोर्ट विभाग को भी सचेत करने वाला है. पासपोर्ट बनवाने के लिए पहले के मुकाबले अब नियम शर्तों में सरकार ने बदलाव किये हैं. जिसके चलते अब पासपोर्ट 15 दिन के भीतर आवेदकों को मिल भी रहे हैं लेकिन पासपोर्ट आवेदन के बाद जिस तरीके की जांच प्रक्रिया होती है. उसमें कई अफसरों पर लापरवाही के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी व्याप्त है.
दरअसल, पासपोर्ट के पुलिस वेरिफिकेशन का मामला हो या एलआईयू की जांच दोनों ही मामलों में पैसे के बल पर बहुत सारी सूचनाओं से खिलवाड़ होता है. जिसके चलते ही हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में पकड़े गए रोहिंग्या के पास भारतीय पासपोर्ट मिले हैं. जबकि वह यहां के वह नागरिक नहीं हैं. लेकिन पैसों के बल पर उनके पास सभी भारतीय दस्तावेज तैयार मिले. इस मामले को लेकर जहां पुलिस सतर्क है तो वहीं क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारी आज भी बेफिक्र हैं
दरकिनार होते नियम
पासपोर्ट की जरूरत विदेश यात्रा के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय नागरिकता को प्रमाणित करने की एक दस्तावेज के रूप में भी यह अहम दस्तावेज माना जाता है. लेकिन जिस तरीके से पीएफआई जैसे संगठन जिसके कई आतंकी संगठनों से मिले हुए हैं. उनके पास भी एक नहीं बल्कि कई कई पासपोर्ट बरामद हुए हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश में विगत एक महीने के दौरान आधा दर्जन रोहिंग्या पकड़े गए हैं. जिनके पास पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. लेकिन नियंता पासपोर्ट जारी होने के लिए यह नियम शर्तों को भी पूरी नहीं कर पाते हैं. फिर भी पैसे के बल पर इन्हें पासपोर्ट आखिर कैसे मिल रहे हैं.
जरूरी दस्तावेज
1. डेटऑफ बर्थ के लिए 10वीं की मार्कशीट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस(इनमें से कोई एक दस्तावेज).
2. पते के प्रूव के लिए बिजली या पानी का बिल, राशन कार्ड, इनकम टैक्स विभाग का असेसमेंट ऑर्डर, वोटर आईडी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक.
3. एनेक्चर फार्मेट-1- भारत की नागरिकता और क्रिमिनल रिकार्ड न होने का एफिडेविट.
पासपोर्ट की कितनी है फीस
पासपोर्ट बनवाने के लिए 1500 से 2000 रुपए तक फीस चुकानी पड़ती है. जबकि तत्काल पासपोर्ट के लिए कुछ एक्सट्रा फीस लगती है.
विदेश मंत्रालय ने नियमों में किए बदलाव
पासपोर्ट बनवाना पहले काफी कठिन काम होता था. जिसमें पैसे के साथ-साथ लोगों के समय की भी काफी बर्बादी होती थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने पासपोर्ट के नियमों में कुछ बदलाव किए और इसमें कागजी कार्रवाई को ऑनलाइन तरीके से कम किया गया. जिसकी बदौलत आवेदकों को 15 दिन के भीतर ही पासपोर्ट मुहैया कराया जा रहा है. जबकि पुलिस और एलआईयू जांच में ही पासपोर्ट आवेदकों का काफी समय बर्बाद होता था. वहीं, यहां पर अपनी रिपोर्ट लगवाने के लिए आवेदकों को पुलिस को पैसे भी देने पड़ते थे.
क्या कहते हैं क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी
राजधानी लखनऊ में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयुष वर्मा बताते हैं कि पासपोर्ट के लिए जो भी नियम निर्धारित हैं उसके तहत आवेदन ऑनलाइन आवेदन करने के बाद उसकी सारी जांच रिपोर्ट को देखकर ही पासपोर्ट जारी किए जाते हैं. आवेदकों के अपराधी या भारतीय नागरिकता प्रमाणित करने का काम उनका नहीं है.