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कोरोना महामारी के बीच कमीशन खोरी से बाज नहीं आ रहे स्वास्थ्य विभाग के अफसर

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान भी अफसर अपनी कमीशनखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों पर वेंटिलेटर खरीद को लेकर कमीशनखोरी का आरोप लग रहा है.

वेंटिलेटर खरीद में हो रही कमीशनखोरी.
वेंटिलेटर खरीद में हो रही कमीशनखोरी.
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Published : May 9, 2020, 2:20 PM IST

लखनऊ: पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अफसर कमीशनखोरी से बाज नहीं आ रहे. प्रदेश में कोरोना को देखते हुए सभी मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर खरीदे जाने हैं. इस पूरी प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों द्वारा अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलाने में जमकर कमीशनखोरी का खेल किया जा रहा है.

वेंटीलेटर खरीद को लेकर की गई थी शिकायतें
बीते दिनों वेंटीलेटर की खरीद को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तक शिकायतें हुईं. शिकायतें होने के बाद पूरे मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासन स्तर पर पूरे मामले का संज्ञान लिया. संज्ञान लेने के बाद उम्मीद जगी कि हालात सुधरेंगे, लेकिन तस्वीर जस की तस बनी हुई है. दरअसल, वेंटिलेटर खरीदने में चिकित्सा शिक्षा विभाग के ही अफसर अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलवाने में पूरी ताकत लगा दिए हैं.

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वेंटिलेटर खरीद में हो रही कमीशनखोरी.

इस दौरान सभी अफसर जमकर कमीशनखोरी का काम भी कर रहे हैं. अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर उनको टेंडर दिलवाने की पूरी प्रक्रिया में अफसर इस तरह से लिप्त हैं कि स्पेसिफिकेशन एक ही कंपनी के हिसाब से बनाए जा रहे हैं. इससे बाकी सभी कंपनियां स्वतः ही टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो जाती है और स्वतः ही अफसरों की चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में वरीयता मिल जाती है.

इस पूरे मामले की शिकायत होने पर शासन के द्वारा संज्ञान लिया गया. इसके बाद केजीएमयू में वेंटिलेटर को लेकर हुए टेंडर प्रक्रिया में शासन ने जवाब तलब किया, तो थोड़े दिन के लिए वेंटिलेटर की खरीद की प्रक्रिया टल गई, लेकिन चंद दिन बाद ही अफसर फिर से अपनी चहेती कंपनी को सिंगल बेड पर टेंडर दिलवाने में कामयाब रहे.

शासन द्वारा गठित टीम ने बनाया नया स्पेसिफिकेशन
अब इसी प्रक्रिया में शासन द्वारा स्पेसिफिकेशन में बदलाव करने का निर्णय लिया गया. इसको लेकर के एक टीम गठित की गई. इस टीम ने वेंटिलेटर को लेकर के एक नया स्पेसिफिकेशन जारी किया, जिससे सभी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिल सके. लेकिन एक बार फिर से इन तमाम नियमों को अफसरों ने धता बताते हुए नई रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन को दरकिनार करते हुए अपनी चहेती कंपनियों को ही टेंडर में शामिल करवाएं हैं.


पीजीआई और लोहिया संस्थान रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन पर ही कर रहे टेंडर
पीजीआई और लोहिया संस्थान ने शासन द्वारा बनाए गए नए स्पेसिफिकेशन को फॉलो किया. हालांकि पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में जो वेंटिलेटर खरीदे जाने हैं. उसमें इन रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन का पालन नहीं हो रहा.

वेंटिलेटर खरीद के लिए बनाया जा रहा है दबाव
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में कोरोना को देखते हुए वेंटिलेटर की खरीदारी होनी है. इन वेंटीलेटर की संख्या लगभग 151 है, जो प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में लगाए जाने हैं. इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा वेंटिलेटर खरीद के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड को वेंटिलेटर की खरीद के लिए बोला गया है.

शासन द्वारा दी गई रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन को दी गई है. लेकिन यहां भी अफसरों द्वारा अपनी चहेती कंपनी का मानक टेंडर में डालने के लिए कहा गया है, जिससे कि बाकी अन्य कंपनियां टेंडर प्रक्रिया में शामिल न हो पाए और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों की चहेती कंपनियों को यह टेंडर आसानी से मिल पाए.

टेंडर प्रक्रिया में शामिल तीन कंपनियों ने जताई आपत्ति
वेंटिलेटर खरीद के टेंडर प्रक्रिया में शामिल तीन कंपनियों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें इन कंपनियों की तरफ से इन मानकों को लेकर आपत्ति जताई गई है. इन तीनों ही कंपनियों ने अपने पत्र में यह साफ किया है की इन मानकों पर अन्य कंपनी टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो सकती.

वेंटिलेटर खरीद की चल रही है प्रक्रिया
इस पूरे मामले पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने बताया कि वेंटिलेटर खरीदारी प्रक्रिया भी चल रही है अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है. तो वहीं वह एक कंपनी के मानक के अनुसार बने टेंडर को लेकर के हुए सवाल से भी बचते दिखे.

लखनऊ: पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अफसर कमीशनखोरी से बाज नहीं आ रहे. प्रदेश में कोरोना को देखते हुए सभी मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर खरीदे जाने हैं. इस पूरी प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों द्वारा अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलाने में जमकर कमीशनखोरी का खेल किया जा रहा है.

वेंटीलेटर खरीद को लेकर की गई थी शिकायतें
बीते दिनों वेंटीलेटर की खरीद को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तक शिकायतें हुईं. शिकायतें होने के बाद पूरे मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासन स्तर पर पूरे मामले का संज्ञान लिया. संज्ञान लेने के बाद उम्मीद जगी कि हालात सुधरेंगे, लेकिन तस्वीर जस की तस बनी हुई है. दरअसल, वेंटिलेटर खरीदने में चिकित्सा शिक्षा विभाग के ही अफसर अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलवाने में पूरी ताकत लगा दिए हैं.

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वेंटिलेटर खरीद में हो रही कमीशनखोरी.

इस दौरान सभी अफसर जमकर कमीशनखोरी का काम भी कर रहे हैं. अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर उनको टेंडर दिलवाने की पूरी प्रक्रिया में अफसर इस तरह से लिप्त हैं कि स्पेसिफिकेशन एक ही कंपनी के हिसाब से बनाए जा रहे हैं. इससे बाकी सभी कंपनियां स्वतः ही टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो जाती है और स्वतः ही अफसरों की चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में वरीयता मिल जाती है.

इस पूरे मामले की शिकायत होने पर शासन के द्वारा संज्ञान लिया गया. इसके बाद केजीएमयू में वेंटिलेटर को लेकर हुए टेंडर प्रक्रिया में शासन ने जवाब तलब किया, तो थोड़े दिन के लिए वेंटिलेटर की खरीद की प्रक्रिया टल गई, लेकिन चंद दिन बाद ही अफसर फिर से अपनी चहेती कंपनी को सिंगल बेड पर टेंडर दिलवाने में कामयाब रहे.

शासन द्वारा गठित टीम ने बनाया नया स्पेसिफिकेशन
अब इसी प्रक्रिया में शासन द्वारा स्पेसिफिकेशन में बदलाव करने का निर्णय लिया गया. इसको लेकर के एक टीम गठित की गई. इस टीम ने वेंटिलेटर को लेकर के एक नया स्पेसिफिकेशन जारी किया, जिससे सभी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिल सके. लेकिन एक बार फिर से इन तमाम नियमों को अफसरों ने धता बताते हुए नई रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन को दरकिनार करते हुए अपनी चहेती कंपनियों को ही टेंडर में शामिल करवाएं हैं.


पीजीआई और लोहिया संस्थान रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन पर ही कर रहे टेंडर
पीजीआई और लोहिया संस्थान ने शासन द्वारा बनाए गए नए स्पेसिफिकेशन को फॉलो किया. हालांकि पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में जो वेंटिलेटर खरीदे जाने हैं. उसमें इन रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन का पालन नहीं हो रहा.

वेंटिलेटर खरीद के लिए बनाया जा रहा है दबाव
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में कोरोना को देखते हुए वेंटिलेटर की खरीदारी होनी है. इन वेंटीलेटर की संख्या लगभग 151 है, जो प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में लगाए जाने हैं. इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा वेंटिलेटर खरीद के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड को वेंटिलेटर की खरीद के लिए बोला गया है.

शासन द्वारा दी गई रिवाइज्ड स्पेसिफिकेशन उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन को दी गई है. लेकिन यहां भी अफसरों द्वारा अपनी चहेती कंपनी का मानक टेंडर में डालने के लिए कहा गया है, जिससे कि बाकी अन्य कंपनियां टेंडर प्रक्रिया में शामिल न हो पाए और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों की चहेती कंपनियों को यह टेंडर आसानी से मिल पाए.

टेंडर प्रक्रिया में शामिल तीन कंपनियों ने जताई आपत्ति
वेंटिलेटर खरीद के टेंडर प्रक्रिया में शामिल तीन कंपनियों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें इन कंपनियों की तरफ से इन मानकों को लेकर आपत्ति जताई गई है. इन तीनों ही कंपनियों ने अपने पत्र में यह साफ किया है की इन मानकों पर अन्य कंपनी टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो सकती.

वेंटिलेटर खरीद की चल रही है प्रक्रिया
इस पूरे मामले पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने बताया कि वेंटिलेटर खरीदारी प्रक्रिया भी चल रही है अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है. तो वहीं वह एक कंपनी के मानक के अनुसार बने टेंडर को लेकर के हुए सवाल से भी बचते दिखे.

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