लखनऊ: राजधानी में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा रोजाना बढ़ता जा रहा है. यहां के कोविड अस्पताल फुल हैं. आलम ये है कि मरीज अस्पताल, अस्पतालों में बेड और बेड में ऑक्सीजन और दवाइयां न मिलने से बेहद परेशान हैं. यहां तक की कई मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं. यहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.
मदद की आस लेकर भटकता रहा संक्रमित का परिवार
राजधानी स्थित रहीम नगर निवासी कोरोना संक्रमित नंदकिशोर मिश्रा की गुरुवार को हालत बिगड़ गई, उनका ऑक्सीजन लेवल 41 तक पहुंच गया. जिंदगी मौत के बीच फंसे नंदकिशोर ने मदद की आस से सभी दरवाजे खटखटाए. परिजन कहते हैं कि मुख्य चिकित्साधिकारी से लेकर जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री तक उन्होंने मदद की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से सहायता प्राप्त नहीं हुई. अभी भी पीड़ित जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं.
सोशल मीडिया पर लगाई गुहार, लेकिन नहीं मिली मदद
वहीं इंदिरा नगर निवासी कमलेश (61) की हालत भी गुरुवार को बिगड़ी तो उन्होंने भी आईसीयू के लिए कोविड-19 सेंटर से लेकर सभी अस्पतालों से सुविधा मुहैया कराने की गुहार लगायी. सोशल मीडिया पर भी मदद मांगी, मगर नतीजा ढाक के तीन पात रहे. यही हाल मरीज लक्ष्मी नारायण (55) को रेफर करने के बाद भी भर्ती नहीं किया गया. लिहाजा उनका ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे पहुंच गया. चौथा मामला आलम नगर निवासी वीरेंद्र का है. वीरेंद्र का ऑक्सीजन लेवल करीब 71 हो गया, मगर इन्हें किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला. इसी तरह के मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाले संदेश पूरे दिन सोशल मीडिया पर देखने को मिले.
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सीएमओ और कोविड प्रभारी ने नहीं उठाया फोन
कोविड से परेशान लोगों और उनके परिजनों ने जब जिम्मेदारों को फोन करना शुरू किया तो कॉल रिसीव नहीं हुए. इन मरीजों की आह सुनकर सीएमओ डॉ. संजय भटनागर और कोविड प्रबंधन प्रभारी डॉ. जीएस बाजपेई की कान पर जूं तक नहीं रेंगी.
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अस्पतालों पर लागू है सीएमओ का तुगलकी फरमान
राज्य मानवाधिकार आयोग ने भले ही कड़े शब्दों में मरीजों की भर्ती के लिए सीएमओ के रेफरल लेटर की अनिवार्यता को खत्म करने का आदेश दिया हो, मगर सीएमओ का तुगलकी फरमान ही अभी अस्पतालों में चल रहा है. कोई भी अस्पताल सीएमओ के रेफरल लेटर के बगैर मरीज को भर्ती नहीं कर रहा. इससे गंभीर मरीजों की जान मुश्किल में पड़ रही है.