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बंद हुआ मुलाकातों का सिलसिला, कोरोना में ये क्या मिला सिला

कोरोना वायरस पूरे भारत में अपना कहर बरपा रहा है. वहीं राजधानी के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों और वृद्धाश्रम के संचालकों को भी इस महामारी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आश्रम के संचालकों का कहना है कि कोविड की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं बुजुर्गों का अपनों से ना मिल पाने के दर्द का कारण भी यह कोरोना वायरस ही है.

वृद्धाश्रम पर कोरोना का प्रभाव
वृद्धाश्रम पर कोरोना का प्रभाव
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Published : May 7, 2021, 9:24 PM IST

लखनऊ: वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग तो पहले से ही अपनों से दूर रह रहे थे. वहीं अब मुलाकातों के सिलसिले को इस कोरोना वायरस ने बंद कर दिया है, तो वहीं आश्रम के संचालकों को भी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

कहते हैं कि परिवार में बड़े बुज़ुर्ग के न होने से वह परिवार अधूरा रहता है पर आज के इस बदलते दौर में लोग बुजुर्गों को बोझ मनाने लगे हैं, जिन्होंने उनको चलना सिखाया काबिल बनाया वहीं मां-बाप अब घर में पड़ी रद्दी से भी गए गुजरे हो जाते हैं. तभी शायद उनके बुढ़ापे का सहारा बनने की जगह लोग बुजुर्गों को आश्रम में छोड़ आते हैं. पर मां बाप कभी भी अपने बच्चों को दुखी नहीं देख सकते. इसीलिए वह चुपचाप बिना कुछ कहे उनकी खुशी के लिए वृद्ध आश्रम में रहने लगते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

कोरोना ने बढ़ाई और परेशानी
रिश्तों की इस दूरी को भले ही वृद्धाश्रम में आकर वह अपने ही जैसों को पाकर भूल जाते हो, लेकिन इस महामारी ने वृद्धाश्रम में भी परेशानियों को बढ़ाने का काम किया है. जहां पहले दस पंद्रह दिनों में अपनों से मुलाकात हो जाती थी, नाती-पोतों की शक्ल देख लेते थे. थोड़ा हंस बोल लेते थे. वह सिलसिला भी अब महामारी ने बंद कर दिया है.

कोरोना की वजह से नहीं आ रहे लोग
वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्हें यहां किसी भी तरह की कोई तकलीफ तो नहीं है, लेकिन अपनों से मुलाकात न कर पाने का मलाल जरूर है. वहीं अब वृद्ध आश्रम के अंदर भी कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से कार्यक्रमों का आयोजन नहीं हो पाता है. जिनसे बुजुर्गों का मनोरंजन हुआ करता था. बहुत से लोग वृद्धाश्रम में आकर बुजुर्गों की सेवा किया करते थे उन्हें खाने-पीने का सामान दिया करते थे, लेकिन यह सब कुछ कोरोना की भेंट चढ़ गया है. अब कोई नहीं आता.

कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय.
कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय.

कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय
वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों का कहना है कि अब वह आपस में दूरी बनाकर रहते हैं. पहले की तरह न तो उनकी योगा क्लासेज हो पा रही है और न ही अन्य काम, मनोरंजन के लिए वह कैरम और लूडो का सहारा ही लेते हैं. वहीं अपने घर वालों से केवल फोन पर ही आधी अधूरी बात हो पाती है.

इसे भी पढ़ें-बेटी ने 5 दिन तक मांगा चंदा... फिर किया मां का अंतिम संस्कार

कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से विजिटर्स के आने पर रोक
वृद्धाश्रम के सीनियर मैनेजर ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से विजिटर्स के आने पर रोक लगा दी गई है. बुजुर्गों को निश्चित दिनों पर अस्पतालों में जांच के लिए ले जाया जाता था. जिसमें अब समस्याएं आ रही हैं. फिलहाल आश्रम में रहने वाले सभी बुजुर्गों को कोरोना का पहला टीका लग चुका है. सीनियर मैनेजर ने बताया कि उन्हें पहले लोगों से आर्थिक मदद मिल जाए करती थी, लेकिन इस महामारी के दौरान वह भी बंद हो गई है. इस आश्रम में लगभग 85 लोग रहते हैं, जिनके देखरेख और खाने-पीने का इंतजाम आश्रम द्वारा किया जाता है. समस्याएं तो आ रही है, लेकिन किसी तरह उन से निपटा जा रहा है. वहीं आश्रम में होने वाले सभी तरह के आयोजन व कार्यक्रमों को पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है.

लखनऊ: वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग तो पहले से ही अपनों से दूर रह रहे थे. वहीं अब मुलाकातों के सिलसिले को इस कोरोना वायरस ने बंद कर दिया है, तो वहीं आश्रम के संचालकों को भी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

कहते हैं कि परिवार में बड़े बुज़ुर्ग के न होने से वह परिवार अधूरा रहता है पर आज के इस बदलते दौर में लोग बुजुर्गों को बोझ मनाने लगे हैं, जिन्होंने उनको चलना सिखाया काबिल बनाया वहीं मां-बाप अब घर में पड़ी रद्दी से भी गए गुजरे हो जाते हैं. तभी शायद उनके बुढ़ापे का सहारा बनने की जगह लोग बुजुर्गों को आश्रम में छोड़ आते हैं. पर मां बाप कभी भी अपने बच्चों को दुखी नहीं देख सकते. इसीलिए वह चुपचाप बिना कुछ कहे उनकी खुशी के लिए वृद्ध आश्रम में रहने लगते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

कोरोना ने बढ़ाई और परेशानी
रिश्तों की इस दूरी को भले ही वृद्धाश्रम में आकर वह अपने ही जैसों को पाकर भूल जाते हो, लेकिन इस महामारी ने वृद्धाश्रम में भी परेशानियों को बढ़ाने का काम किया है. जहां पहले दस पंद्रह दिनों में अपनों से मुलाकात हो जाती थी, नाती-पोतों की शक्ल देख लेते थे. थोड़ा हंस बोल लेते थे. वह सिलसिला भी अब महामारी ने बंद कर दिया है.

कोरोना की वजह से नहीं आ रहे लोग
वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्हें यहां किसी भी तरह की कोई तकलीफ तो नहीं है, लेकिन अपनों से मुलाकात न कर पाने का मलाल जरूर है. वहीं अब वृद्ध आश्रम के अंदर भी कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से कार्यक्रमों का आयोजन नहीं हो पाता है. जिनसे बुजुर्गों का मनोरंजन हुआ करता था. बहुत से लोग वृद्धाश्रम में आकर बुजुर्गों की सेवा किया करते थे उन्हें खाने-पीने का सामान दिया करते थे, लेकिन यह सब कुछ कोरोना की भेंट चढ़ गया है. अब कोई नहीं आता.

कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय.
कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय.

कैरम और लूडो खेल कर काट रहे समय
वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों का कहना है कि अब वह आपस में दूरी बनाकर रहते हैं. पहले की तरह न तो उनकी योगा क्लासेज हो पा रही है और न ही अन्य काम, मनोरंजन के लिए वह कैरम और लूडो का सहारा ही लेते हैं. वहीं अपने घर वालों से केवल फोन पर ही आधी अधूरी बात हो पाती है.

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कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से विजिटर्स के आने पर रोक
वृद्धाश्रम के सीनियर मैनेजर ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से विजिटर्स के आने पर रोक लगा दी गई है. बुजुर्गों को निश्चित दिनों पर अस्पतालों में जांच के लिए ले जाया जाता था. जिसमें अब समस्याएं आ रही हैं. फिलहाल आश्रम में रहने वाले सभी बुजुर्गों को कोरोना का पहला टीका लग चुका है. सीनियर मैनेजर ने बताया कि उन्हें पहले लोगों से आर्थिक मदद मिल जाए करती थी, लेकिन इस महामारी के दौरान वह भी बंद हो गई है. इस आश्रम में लगभग 85 लोग रहते हैं, जिनके देखरेख और खाने-पीने का इंतजाम आश्रम द्वारा किया जाता है. समस्याएं तो आ रही है, लेकिन किसी तरह उन से निपटा जा रहा है. वहीं आश्रम में होने वाले सभी तरह के आयोजन व कार्यक्रमों को पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है.

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