लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश भर में कोरोना टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई गई है. कोरोना की जांच सैंपल टेस्ट एंटीजन किट से करने की व्यवस्था की गई, लेकिन अब यह मालूम चल रहा है कि एंटीजन टेस्ट की कोरोना जांच सिर्फ 80 फीसदी तक ही सही होती है.
दोबारा होनी चाहिए जांच
लखनऊ में मास कैम्प लगाकर कोरोना की जांच करवाई जा रही है. इसमें एंटीजन किट का इस्तेमाल किया जा रहा है. पूरे देश में एक ही कंपनी टेस्ट किट सप्लाई कर रही है. खुद कंपनी का मानना है कि इस किट की 80 फीसदी तक रिपोर्ट सही होती है. इसके साथ आईसीएमआर की गाइडलाइंस भी कहती है कि अस्पताल में एंटीजन टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव होने पर आरटीपीसीआर से दोबारा जांच होनी चाहिए.
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर शीतल वर्मा ने बताया कि जब टेस्ट किट बनाने वाली कंपनी दावा नहीं करती कि उसकी रिपोर्ट पूरी तरह से सही है तो दोबारा जांच करवानी ही चाहिए. उन्होंने कहा कि कंटेनमेंट जोन में मास टेस्टिंग में सभी निगेटिव रिपोर्ट की मॉनिटरिंग के साथ पांचवें और दसवें दिन फिर से जांच और जरूरत पड़ने पर आरटी पीसीआर टेस्ट से कंफर्म करवाना चाहिए.
इस पूरे मामले पर राजधानी लखनऊ के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमके सिंह ने बताया कि राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद कैंप लगाकर कोरोना एंटीजन टेस्ट कराए गए. इनमें शुरुआत में एंटीजन के बाद आरटीपीसीआर से जांच करवाई जाती है. दोनों के नतीजे एक जैसे होने के बाद दोबारा जांच बंद करवा दी गई है.