लखनऊ: देशभर में चर्चित बिकरू कांड में एसआईटी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है. वैसे-वैसे प्रशासन से लेकर पुलिस विभाग की किरकिरी होती दिख रही है. एसआईटी ने पुलिस विभाग के तीन पीपीएस अधिकारियों सहित 36 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया है. वहीं, बिकरु कांड की जांच कर रही एसआईटी ने जिन पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है. उसमें एक नाम इंस्पेक्टर हजरतगंज अंजनी पांडेय का भी नाम शामिल है. बताया जा रहा है जब एसटीएफ ने विकास दुबे को असलहे के साथ गिरफ्तार किया था. उस समय कृष्णानगर में तैनात रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर अंजनी पांडेय की लचर पैरवी से उसको जमानत मिल गई थी और असलहा लाइसेंस भी कैंसिल नहीं हुआ था.
एसआईटी जांच में रोज हो रहे नए खुलासे
बता दें कि, चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात्रि दबिश देने गई पुलिस टीम पर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे व उसके गुर्गों ने अधांधुंध फायरिंग कर दी थी. घटना में सीओ देवेन्द्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. घटना की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन कर दिया और एसआईटी जांच में अब रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं. हालांकि यह पहले से ही आशंका थी कि विकास दुबे के संपर्क प्रशासन और पुलिस विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक थे.
36 पुलिसकर्मी पाए गए दोषी
सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी ने अपनी जांच में प्रशासन विभाग के 19 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी माना और इनके खिलाफ जांच रिपोर्ट भी सौंप दी गई है. इसके बाद अब पुलिस विभाग के तीन पीपीएस अधिकारी और 36 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं. बताया जा रहा है कि इनमें पूर्व एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह, डीएसपी आरके चतुर्वेदी और डीएसपी सूक्ष्म प्रकाश का नाम सामने आया है. इसके साथ ही कई इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और आरक्षी भी शामिल हैं. इनमें कई का जनपद से तबादला भी हो चुका है, पर अब दोषी पाए जाने पर आगे की कार्रवाई होना तय है.