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नृशंस हत्याओं के दोषी को उम्र कैद, गड़ासे से काटकर किया था दो लोगों का मर्डर

राजधानी लखनऊ के जिला एवं सत्र न्यायालय ने साल 2010 में हुए डबल मर्डर के एक मामले में दोषी अभियुक्त को उम्र कैद की सजा सुनाई है. अभियुक्त पर दो लोगों की गड़ासे काटकर दो लोगों की नृशंस हत्या किए जाने का आरोप है.

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Published : Dec 23, 2020, 10:18 PM IST

लखनऊ: विशेष जज अल्पना शुक्ला ने दोहरे हत्या के एक आपराधिक मामले में अभियुक्त घनश्याम को दोषी करार देते हुए अभियुक्त को उम्र कैद की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इस मामले के दो अन्य अभियुक्तों रक्षाराम और लाला की मुकदमे के विचारण के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है.

जानें पूरा मामला
सरकारी वकील दुष्यंत मिश्र के मुताबिक इस मामले की एफआईआर राम सरोज निषाद ने थाना नाका में दर्ज कराई थी. राम सरोज के पिता आशाराम व उसके चाचा झगरु और अभियुक्तगण ऐशबाग स्थित जगदीश ट्रांसपोर्ट में काम करते थे. ये सभी लोग वहीं झोपड़ी में रहते भी थे. अभियुक्तों ने गोण्डा जनपद के गांव कोडरी में आशाराम की जमीन पर कब्जा कर रखा था. आशाराम व उनके भाई झगरु जब भी अभियुक्तों से जमीन खाली करने की बात कहते, तो काट डालने की धमकी देते. 10 जुलाई, 2010 की सुबह अभियुक्तों ने सोते समय आशाराम व झगरु की गड़ासे से काटकर हत्या भी कर दी. हालांकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि घटना का कोई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है, लिहाजा अभियुक्तों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन, अदालत ने बचाव पक्ष की दलील को दरकिनार करते हुए कहा कि अभियोजन की ओर से पेश किए गए पारिस्थितिजन्य साक्ष्य ठोस हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता.

लखनऊ: विशेष जज अल्पना शुक्ला ने दोहरे हत्या के एक आपराधिक मामले में अभियुक्त घनश्याम को दोषी करार देते हुए अभियुक्त को उम्र कैद की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इस मामले के दो अन्य अभियुक्तों रक्षाराम और लाला की मुकदमे के विचारण के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है.

जानें पूरा मामला
सरकारी वकील दुष्यंत मिश्र के मुताबिक इस मामले की एफआईआर राम सरोज निषाद ने थाना नाका में दर्ज कराई थी. राम सरोज के पिता आशाराम व उसके चाचा झगरु और अभियुक्तगण ऐशबाग स्थित जगदीश ट्रांसपोर्ट में काम करते थे. ये सभी लोग वहीं झोपड़ी में रहते भी थे. अभियुक्तों ने गोण्डा जनपद के गांव कोडरी में आशाराम की जमीन पर कब्जा कर रखा था. आशाराम व उनके भाई झगरु जब भी अभियुक्तों से जमीन खाली करने की बात कहते, तो काट डालने की धमकी देते. 10 जुलाई, 2010 की सुबह अभियुक्तों ने सोते समय आशाराम व झगरु की गड़ासे से काटकर हत्या भी कर दी. हालांकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि घटना का कोई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है, लिहाजा अभियुक्तों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन, अदालत ने बचाव पक्ष की दलील को दरकिनार करते हुए कहा कि अभियोजन की ओर से पेश किए गए पारिस्थितिजन्य साक्ष्य ठोस हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता.

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