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यूपी में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की प्रोफेसरशिप पर विवाद, जानिए क्यों नाराज हैं गुरुजन - लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पाण्डेय

उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोफेसर पद प्रदान किए जाने के कटऑफ डेट को लेकर विवाद. कटऑफ डेट को लेकर सरकार की चुप्पी के कारण नाराज हैं शिक्षक. लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पाण्डेय ने कहा, अगर कटऑफ डेट शासनादेश के अनुसार निर्धारित तिथि को नहीं किया गया तो हजारों शिक्षकों का छीन लिया जाएगा हक.

लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पाण्डेय
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पाण्डेय
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Published : Dec 3, 2021, 3:00 PM IST

Updated : Dec 4, 2021, 12:19 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोफेसर पद प्रदान किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विवाद कटऑफ डेट को लेकर है. सरकार इन्हें प्रोफेसर पद देने के लिए तैयार है.

वहीं, शिक्षकों का कहना है कि प्रोन्नति के लिए पूर्व की भांति प्रोफेसर पद पर शासनादेश निर्गत होने की तिथि तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्रोन्नत शिक्षकों को उनकी देय तिथि से तीन वर्ष पूरा होने पर आदेश दिया जाए. वहीं, इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार की चुप्पी के कारण शिक्षक नाराज हैं.

यूपी में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की प्रोफेसरशिप पर विवाद, जानिए क्यों नाराज हैं गुरुजन

अभी तक उत्तर प्रदेश में डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोफेसर पद प्रदान किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके चलते वह वर्षों तक एक ही पद पर काम करते. लगातार इसको लेकर नाराजगी जताई जा रही थी. बीते दिनों सरकार की तरफ से इन्हें प्रोफेसर पद दिए जाने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन कटऑफ डेट को लेकर खड़ा हो गया.

यह भी पढ़ें- टिकट के दावेदारों के सहारे कार्यकर्ता बढ़ाने में जुटी कांग्रेस


लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि अगर कटऑफ डेट शासनादेश जारी करने की तिथि को नहीं किया गया तो हजारों शिक्षकों का हक छीन लिया जाएगा. बताया कि इसको लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है. सरकार ने अगर सुनवाई नहीं की तो बड़ा आंदोलन होगा.

यह हैं मुद्दे

1. महाविद्यालय के शिक्षकों को प्रोफेसर पद पर पदोन्नति पहली बार प्राप्त होगी.

2. प्रोफेसर पद पर महाविद्यालयों मे CAS से प्रोन्नति के लिए यूजीसी द्वारा 18 जुलाई 18 को नियमन जारी किया गया जिसे उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या 600/सत्तर-1-2019-16(114)/2010 दिनांक 28 जून 19 द्वारा कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों के साथ स्वीकार किया गया है.

3. वर्तमान में महाविद्यालयों मे एसोसिएट प्रोफेसर के पद तक ही प्रोन्नति होती है. बहुत सारे शिक्षकों को यदि तत्समय प्रचलित यूजीसी नियमन के अनुसार प्रोन्नति दी गई होती तो वे प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत हो गए होते.

4. यूजीसी नियमन 2018 के अनुसार प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति की जाएगी तो नियमों के कारण बहुत सारे शिक्षक प्रोन्नति से वंचित हो जाएंगे.

5. छठें वेतनमान में भी एपीआई के पूर्वप्रभावी प्रभाव के कारण प्रोन्नति में आ रही विसंगतियों को दूर करने के लिए यूजीसी नियमन 2010 को 30 जून 2010 के स्थान पर 28 मई 2015 से लागू किया गया एवं इस तिथि तक रीडर व चयन वेतनमान (8000 एजीपी) प्राप्त प्रोन्नत शिक्षकों को स्वतः तीन वर्ष पूरा होने पर ऐसोसियेट प्रोफेसर (पे बैंड-4ए जी पी 9000) के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोफेसर पद प्रदान किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विवाद कटऑफ डेट को लेकर है. सरकार इन्हें प्रोफेसर पद देने के लिए तैयार है.

वहीं, शिक्षकों का कहना है कि प्रोन्नति के लिए पूर्व की भांति प्रोफेसर पद पर शासनादेश निर्गत होने की तिथि तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्रोन्नत शिक्षकों को उनकी देय तिथि से तीन वर्ष पूरा होने पर आदेश दिया जाए. वहीं, इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार की चुप्पी के कारण शिक्षक नाराज हैं.

यूपी में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की प्रोफेसरशिप पर विवाद, जानिए क्यों नाराज हैं गुरुजन

अभी तक उत्तर प्रदेश में डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोफेसर पद प्रदान किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके चलते वह वर्षों तक एक ही पद पर काम करते. लगातार इसको लेकर नाराजगी जताई जा रही थी. बीते दिनों सरकार की तरफ से इन्हें प्रोफेसर पद दिए जाने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन कटऑफ डेट को लेकर खड़ा हो गया.

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लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि अगर कटऑफ डेट शासनादेश जारी करने की तिथि को नहीं किया गया तो हजारों शिक्षकों का हक छीन लिया जाएगा. बताया कि इसको लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है. सरकार ने अगर सुनवाई नहीं की तो बड़ा आंदोलन होगा.

यह हैं मुद्दे

1. महाविद्यालय के शिक्षकों को प्रोफेसर पद पर पदोन्नति पहली बार प्राप्त होगी.

2. प्रोफेसर पद पर महाविद्यालयों मे CAS से प्रोन्नति के लिए यूजीसी द्वारा 18 जुलाई 18 को नियमन जारी किया गया जिसे उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या 600/सत्तर-1-2019-16(114)/2010 दिनांक 28 जून 19 द्वारा कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों के साथ स्वीकार किया गया है.

3. वर्तमान में महाविद्यालयों मे एसोसिएट प्रोफेसर के पद तक ही प्रोन्नति होती है. बहुत सारे शिक्षकों को यदि तत्समय प्रचलित यूजीसी नियमन के अनुसार प्रोन्नति दी गई होती तो वे प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत हो गए होते.

4. यूजीसी नियमन 2018 के अनुसार प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति की जाएगी तो नियमों के कारण बहुत सारे शिक्षक प्रोन्नति से वंचित हो जाएंगे.

5. छठें वेतनमान में भी एपीआई के पूर्वप्रभावी प्रभाव के कारण प्रोन्नति में आ रही विसंगतियों को दूर करने के लिए यूजीसी नियमन 2010 को 30 जून 2010 के स्थान पर 28 मई 2015 से लागू किया गया एवं इस तिथि तक रीडर व चयन वेतनमान (8000 एजीपी) प्राप्त प्रोन्नत शिक्षकों को स्वतः तीन वर्ष पूरा होने पर ऐसोसियेट प्रोफेसर (पे बैंड-4ए जी पी 9000) के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया.

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Last Updated : Dec 4, 2021, 12:19 PM IST
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