लखनऊ: कोविड-19 संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की अंतरराज्यीय बस सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है. सरकार के इस आदेश के बाद रोडवेज के संविदा चालक-परिचालकों की रोजी-रोटी छिन गई है. करीब 1800 संविदा चालक-परिचालक इस आदेश से प्रभावित हुए हैं. 596 बसों के पहिए सरकार के आदेश से थम गए और इन ड्राइवर-कंडक्टर की ड्यूटी खत्म हो गई. संविदा कर्मचारी यूनियन के नेताओं की मांग है कि जब तक बसों का संचालन शुरू न हो संविदा कर्मियों को सरकार वेतन उपलब्ध कराए.
इन परिक्षेत्रों से चलती हैं बसें
फैलते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने उत्तर प्रदेश से अन्य प्रदेशों के लिए संचालित बस सेवाओं रोक लगा दी है. इससे बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा के लिए संचालित होने वाली कुल 596 बसें डिपो में खड़ी हो गईं. इन बसों में लखनऊ रीजन की 20 बसें, आगरा की 180, सहारनपुर की 200, गाजियाबाद की 50, बरेली की 25 और वाराणसी की 25 बसें शामिल हैं. इन सभी रीजन के संविदा ड्राइवर-कंडक्टर की ड्यूटी भी नहीं लग रही है, जिससे इन संविदा कर्मियों की मुसीबत बढ़ गई है.
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संविदा कर्मचारी संघ के नेता प्रबंध निदेशक से करेंगे मुलाकात
बसों के बंद होने से बाहरी राज्यों से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में आने-जाने वाले यात्रियों के सामने भी दिक्कत खड़ी हो गई है. अन्य प्रदेशों के लिए बसें संचालित न होने से रोडवेज की इनकम पर भी बड़ा असर पड़ेगा. संविदा कर्मचारी संगठन के नेता कौशलेंद्र प्रताप सिंह और रोडवेज कर्माचारी यूनियन के लखनऊ क्षेत्र के अध्यक्ष रूपेश कुमार ने कहा है कि इसके लिए एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से मुलाकात करेगा. सभी संविदा कर्मियों को वेतन देने की मांग रखी जाएगी.