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उपभोक्ताओं को मिले सस्ती बिजली तो बंद होनी चाहिए विदेशी कोयले की खरीद: उपभोक्ता परिषद

सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा पीएम को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि देश में विदेशी कोयले को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. इससे उपभोक्ताओं को काफी लाभ मिलेगा.

बिजली
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Published : Apr 5, 2023, 10:37 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि देश में विदेशी कोयले को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. इससे उपभोक्ताओं को काफी लाभ मिलेगा. उन्हें सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी. उन्होंने कहा है कि देश के आठ राज्यों का आंकडा साबित कर रहा है कि वर्ष वर्ष 2021-22 में राज्यों को कोयला कंपनियों ने करोडों अरबों रुपये की रॉयल्टी भी दी है. देशी कोयला से सस्ती बिजली भी मिली है.

उत्तर प्रदेश को वर्ष 2020-21 में रुपये 638 करोड रॉयल्टी मिली है. वर्ष 2021-22 में 475 करोड रुपए रॉयल्टी मिली है. पूरे देश के उर्जा सेक्टर में जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है. उसमें सबसे ज्यादा फायदा जिस देश से कोयला खरीदा जाता है. उसका होता है. उसके बाद फायदा उन निजी घरानों का होता है, जिनके पास कोयले की खदानें होती हैं. देशी कोयला से जहां बिजली सस्ती उपलब्ध होती है तो राज्य को बडे पैमाने पर रॉयल्टी भी मिलती है. इससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. देशी कोयला भंडारण को बढ़ावा देने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. देश के राज्यों को सस्ती बिजली भी उपलब्ध होती है. ऐसे में अब समय आ गया है कि जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को इस दिशा पर भी सोचना चाहिए कि विदेशी कोयला खरीद कम से कम की जानी चाहिए. वर्ष 2020-21 की बात करें तो भारत ने 116037 करोड का विदेशी कोयला खरीदा था.

उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अब विदेशी कोयला खरीद पर प्रतिबंध लगाया जाए. देश के कोयला भंडारों को विकसित कर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जहां भारत देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 650 मिलियन टन के ऊपर कोयला खदानों से प्राप्त होता है. वहीं, जहां देशी कोयला रुपये 2600 से रुपये 3000 प्रति टन में मिलता है तो विदेशी कोयला रुपये 20000 टन के ऊपर मिलता है. सबसे बडा दूसरा फायदा राज्यों को कोयला खदानों की करोडों रुपए की रॉयल्टी से होता है तो एक तरह से डबल फायदा सस्ता कोयला प्राप्त होने से सस्ती बिजली भी पैदा हो गई और राज्यों को करोडों की रॉयल्टी भी मिल गई, इसलिए अब समय आ गया है जब विदेशी कोयले की खरीद पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा है कि वह राज्य जहां पर कोयला खदानें हैं, जिनमें छत्तीसगढ, झारखंड, उडीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश उनको प्रत्येक वर्ष करोडों अरबों रुपये कोयला कंपनियां रॉयल्टी मिलती है.

यह भी पढ़ें- धर्म छिपाकर यौन शोषण करने वाले आरोपी को कोर्ट ने नहीं दी जमानत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि देश में विदेशी कोयले को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. इससे उपभोक्ताओं को काफी लाभ मिलेगा. उन्हें सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी. उन्होंने कहा है कि देश के आठ राज्यों का आंकडा साबित कर रहा है कि वर्ष वर्ष 2021-22 में राज्यों को कोयला कंपनियों ने करोडों अरबों रुपये की रॉयल्टी भी दी है. देशी कोयला से सस्ती बिजली भी मिली है.

उत्तर प्रदेश को वर्ष 2020-21 में रुपये 638 करोड रॉयल्टी मिली है. वर्ष 2021-22 में 475 करोड रुपए रॉयल्टी मिली है. पूरे देश के उर्जा सेक्टर में जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है. उसमें सबसे ज्यादा फायदा जिस देश से कोयला खरीदा जाता है. उसका होता है. उसके बाद फायदा उन निजी घरानों का होता है, जिनके पास कोयले की खदानें होती हैं. देशी कोयला से जहां बिजली सस्ती उपलब्ध होती है तो राज्य को बडे पैमाने पर रॉयल्टी भी मिलती है. इससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. देशी कोयला भंडारण को बढ़ावा देने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. देश के राज्यों को सस्ती बिजली भी उपलब्ध होती है. ऐसे में अब समय आ गया है कि जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को इस दिशा पर भी सोचना चाहिए कि विदेशी कोयला खरीद कम से कम की जानी चाहिए. वर्ष 2020-21 की बात करें तो भारत ने 116037 करोड का विदेशी कोयला खरीदा था.

उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अब विदेशी कोयला खरीद पर प्रतिबंध लगाया जाए. देश के कोयला भंडारों को विकसित कर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जहां भारत देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 650 मिलियन टन के ऊपर कोयला खदानों से प्राप्त होता है. वहीं, जहां देशी कोयला रुपये 2600 से रुपये 3000 प्रति टन में मिलता है तो विदेशी कोयला रुपये 20000 टन के ऊपर मिलता है. सबसे बडा दूसरा फायदा राज्यों को कोयला खदानों की करोडों रुपए की रॉयल्टी से होता है तो एक तरह से डबल फायदा सस्ता कोयला प्राप्त होने से सस्ती बिजली भी पैदा हो गई और राज्यों को करोडों की रॉयल्टी भी मिल गई, इसलिए अब समय आ गया है जब विदेशी कोयले की खरीद पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा है कि वह राज्य जहां पर कोयला खदानें हैं, जिनमें छत्तीसगढ, झारखंड, उडीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश उनको प्रत्येक वर्ष करोडों अरबों रुपये कोयला कंपनियां रॉयल्टी मिलती है.

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