लखनऊ : देश भर में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के साथ ही विद्युत उपभोक्ताओं से जीएसटी की वसूली प्रस्ताव के संबंध में बीते बुधवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सभी राज्यों के ऊर्जा विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की. पहले चरण में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय चाहता है कि कमर्शियल और इंडस्ट्री के विद्युत उपभोक्ताओं पर जीएसटी की वसूली का कानून बनाया जाए, जिस पर सभी राज्यों की राय ली जा रही है. वीडियो कांफ्रेंसिंग में जो तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं उसमें उत्तर प्रदेश ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रस्ताव पर अभी ग्रीन सिग्नल नहीं दिया गया, बल्कि असहमति जताई है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विरोध पत्र भेजा है. जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि 'इससे देश का ऊर्जा सेक्टर तो तबाह होगा ही वहीं दूसरी ओर पूरे देश के विद्युत उपभोक्ता बडे़ संकट में आ जाएंगे. भारी आर्थिक बोझ पड़ जाएगा, इसलिए इस प्रकार के गैरकानूनी प्रस्ताव को अबिलंब खारिज किया जाए. देश के विद्युत उपभोक्ता बिजली बिल पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी देते हैं ऐसे में उन्हें जीएसटी के दायरे में लाना गैरकानूनी है. इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. उपभोक्ता परिषद जल्द ही इस गंभीर मामले पर पूरे देश के ऊर्जा सेक्टर में काम कर रहे उपभोक्ता प्रतिनिधियों की बैठक बुलाएगा. इसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ 26 लाख विद्युत उपभोक्ता बिजली निगमों को पांच फीसद से लेकर 7.5 फीसद तक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी अदा करते हैं. अगर पूरे साल में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की बात की जाए तो करीब 3032 करोड रुपए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी विद्युत उपभोक्ता राज्य सरकार के खजाने में जमा कर रहे हैं अब उन्हें गैर कानूनी तरीके से सिर्फ इसलिए जीएसटी के दायरे में लाने की साजिश की जा रही है, जिससे केंद्र सरकार का खजाना उपभोक्ताओं की जेब ढीली होकर भरा जा सके, जो पूरी तरह गलत है.'
उन्होंने कहा कि 'इसी तरह पहले भी चाहे विदेशी कोयला खरीद का मामला हो, स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद का मामला हो, सभी पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दबाव डालकर बड़ी साजिश की थी. वह बात अलग है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसी भी कीमत पर विदेशी कोयला खरीद की अनुमति नहीं दी. वर्तमान में जिस तरह से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय उपभोक्ता विरोधी कार्यों में लगा है उसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.'
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जीएसटी की वसूली वाले प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद ने जताई कड़ी आपत्ति, पीएम को लिखा पत्र
विद्युत उपभोक्ताओं से जीएसटी की वसूली प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद ने आपत्ति जताई है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विरोध पत्र भेजा है.
लखनऊ : देश भर में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के साथ ही विद्युत उपभोक्ताओं से जीएसटी की वसूली प्रस्ताव के संबंध में बीते बुधवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सभी राज्यों के ऊर्जा विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की. पहले चरण में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय चाहता है कि कमर्शियल और इंडस्ट्री के विद्युत उपभोक्ताओं पर जीएसटी की वसूली का कानून बनाया जाए, जिस पर सभी राज्यों की राय ली जा रही है. वीडियो कांफ्रेंसिंग में जो तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं उसमें उत्तर प्रदेश ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रस्ताव पर अभी ग्रीन सिग्नल नहीं दिया गया, बल्कि असहमति जताई है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विरोध पत्र भेजा है. जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि 'इससे देश का ऊर्जा सेक्टर तो तबाह होगा ही वहीं दूसरी ओर पूरे देश के विद्युत उपभोक्ता बडे़ संकट में आ जाएंगे. भारी आर्थिक बोझ पड़ जाएगा, इसलिए इस प्रकार के गैरकानूनी प्रस्ताव को अबिलंब खारिज किया जाए. देश के विद्युत उपभोक्ता बिजली बिल पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी देते हैं ऐसे में उन्हें जीएसटी के दायरे में लाना गैरकानूनी है. इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. उपभोक्ता परिषद जल्द ही इस गंभीर मामले पर पूरे देश के ऊर्जा सेक्टर में काम कर रहे उपभोक्ता प्रतिनिधियों की बैठक बुलाएगा. इसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ 26 लाख विद्युत उपभोक्ता बिजली निगमों को पांच फीसद से लेकर 7.5 फीसद तक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी अदा करते हैं. अगर पूरे साल में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की बात की जाए तो करीब 3032 करोड रुपए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी विद्युत उपभोक्ता राज्य सरकार के खजाने में जमा कर रहे हैं अब उन्हें गैर कानूनी तरीके से सिर्फ इसलिए जीएसटी के दायरे में लाने की साजिश की जा रही है, जिससे केंद्र सरकार का खजाना उपभोक्ताओं की जेब ढीली होकर भरा जा सके, जो पूरी तरह गलत है.'
उन्होंने कहा कि 'इसी तरह पहले भी चाहे विदेशी कोयला खरीद का मामला हो, स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद का मामला हो, सभी पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दबाव डालकर बड़ी साजिश की थी. वह बात अलग है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसी भी कीमत पर विदेशी कोयला खरीद की अनुमति नहीं दी. वर्तमान में जिस तरह से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय उपभोक्ता विरोधी कार्यों में लगा है उसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.'
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