लखनऊ : प्रयागराज से मेरठ के बीच गंगा एक्सप्रेसवे आकार लेने लगा है. कई स्ट्रेच में काम बहुत तेजी से चल रहा है. 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ से पहले या एक्सप्रेस वे संचालित हो जाएगा. जिसको लेकर तेजी से काम किया जा रहा है. कई जिलों में एक्सप्रेसवे का निर्माण ऊपरी सतह तक पहुंच चुका है.
मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित 17,000 करोड़ रुपये की लागत की 594 किमी लंबे छह लेन वाला गंगा एक्सप्रेस वे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे है. बदायूं से प्रयागराज तक 464 किमी के निर्माण को अडानी समूह मूर्त रूप दे रहा है. यह समूह बदायूं से हरदोई तक 151.7 किमी, हरदोई से उन्नाव तक 155.7 किमी और उन्नाव से प्रयागराज तक 157 किमी के तीन समूहों का निर्माण कर रहा है, जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है. उन्नत मशीनों और तकनीकी से लैस कुशल तकनीशियनों से दक्ष इंजीनियरों की टीम एक्सप्रेस वे को मूर्त रूप देने में तत्परता से जुटी है. गंगा एक्सप्रेस वे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा. डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर लागू होने वाला यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है.
निर्माणकर्ता कंपनी उत्तर प्रदेश में छह लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा. इसकी रियायत की अवधि 30 वर्ष होगी. जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि 'भारत के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण का यह टास्क, देश के लिए जटिल, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के प्रबंधन में एक निर्माणकर्ता कंपनी को दिया गया है. कंपनी के पास 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत के 13 ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिनके तहत पांच हजार किमी से ज्यादा की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. जो नौ राज्यों छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है.'
12 जिलों से गुजरेगा एक्सप्रेस वे : पर्यावरण फ़्रेंडली यह गंगा एक्सप्रेस-वे 12 जिलों से होते हुए गुजरेगा. ये एक्सप्रेस-वे मेरठ से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होते हुए प्रयागराज पर समाप्त होगा.
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