लखनऊ: किसान अपने धान को बेचने के लिए मारा-मारा फिर रहा है और सरकार उनकी तरफ आंख बंद कर बैठी है. तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में अभी भी धान क्रय केंद्र नहीं खुल पाए हैं, जो थोड़े बहुत खुले हैं वहां पर धान किसानों के साथ नमी के नाम पर भारी कटौती की जा रही है. इससे उन्हें अपनी फसल को बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर किया जा रहा है. यह आरोप यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार कुमार लल्लू ने लगाए हैं. इसके साथ ही उन्होंने धान खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि, कांग्रेस कार्यकर्ता 22 अक्टूबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
'धान की क्वालिटी खराब बताकर की जा रही कटौती'
न्यूनतम समर्थन मूल्य 1886 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा करने वाली भाजपा सरकार किसानों सें 1100-1200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीद रही है. इसके लिए धान में नमी आदि अनेक कारणों से धान को गुणवत्ताहीन बता कर कटौती कर रही है. सरकार की इस किसान विरोधी नीति के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.
'किसानों का तत्काल भुगतान करे सरकार'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने 2017 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में गन्ना किसानों से 14 दिन में पूर्ण भुगतान करने का वादा किया था. ऐसा न होने पर बकाये पर ब्याज देने की भी घोषणा की थी. लेकिन सरकार के साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी यह वादा अन्य वादों की तरह जुमला ही साबित हुआ. गन्ना किसानों का लगभग 14 हजार करोड़ रुपए अभी भी बकाया हैं. सरकार अपने वादे के मुताबिक गन्ना किसानों को तत्काल बकाया भुगतान सुनिश्चित करवाए.
'बढ़ी कीमतें वापस ले सरकार'
अजय कुमार लल्लू ने किसानों के निजी नलकूपों के बिजली की कीमत में की गई बढ़ोत्तरी का भी विरोध करते हुए बढ़ी हुई कीमतों को अविलम्ब वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि निजी नलकूपों की 5, 7.5 और 10 हार्स पॉवर के कनेक्शन की श्रेणी को समाप्त कर सभी नलकूपों को साढ़े बारह हार्स पॉवर के कनेक्शन की कीमत की अनिवार्यता आर्थिक रूप से तंगहाल किसानों के ऊपर बड़ा आर्थिक हमला है.
'किसानों को सब्सिडी दे सरकार'
कुछ किसानों को भूगर्भ जल स्तर की कमी के कारण यदि ज्यादा हार्स पॉवर के कनेक्शन की मजबूरी का सामना करना पड़ रहा है, तो सरकार को उन्हें सब्सिडी देनी चाहिए. सरकार ने किसानों के बिजली की कीमत में 2017 और 2019 में भी बढ़ोत्तरी की थी. यह सरकार की किसान विरोधी नीतियों का सुबूत है.
'किसानों से अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन'
किसानों की खरीफ की फसल पूरी तरह तैयार है. धान बेचने के लिए किसान को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. नमी के नाम पर कटौती की जा रही है. धान खरीद में भ्रष्टाचार व्याप्त है. 1886 रुपए प्रति कुंतल की कीमत वाला धान सिर्फ 1100 से 1200 रुपए में खरीदा जा रहा है. किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी 22 अक्टूबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी.