लखनऊ : आजकल उत्तर प्रदेश में इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A. गठबंधन) के यूपी में सबसे अहम सहयोगी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है. प्रदेश कांग्रेस समाजवादी पार्टी के पिछड़ी जाति और मुस्लिम नेताओं पर विशेष नजर गड़ाए है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के प्रयासों से सपा के कई बड़े नेता कांग्रेस की सदस्यता ले चुके हैं तो कुछ और कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश में पिछले कई चुनावों से मुस्लिम मतदाताओं ने सपा का साथ दिया है, लेकिन कई मौकों पर सपा नेतृत्व ने उनके मुद्दे उस मुखर अंदाज में नहीं उठाए, जिस प्रकार से इस समाज की अपेक्षा थी. यही कारण है कि कांग्रेस समझती है कि यदि वह इस समय सक्रिय हो जाए तो मुस्लिम मतदाता उसके साथ आ सकते हैं, क्योंकि केंद्र में भाजपा को हटाने की कूबत सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस में है. वहीं प्रदेश में सबसे बड़ा वोट बैंक होने के कारण पिछड़ी जाति के नेता भी कांग्रेस की नजर में हैं.
इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को सपा को बड़ा झटका दिया है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रवि प्रकाश वर्मा ने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है और उन्होंने सपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र भी दे दिया है. वह छह नवंबर को कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं. रवि वर्मा तीन बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. उनका शुमार कुर्मी बिरादरी के बड़े नेताओं में किया जाता है. इनके माता-पिता पुराने कांग्रेस नेता रहे हैं. पिता बालगोविंद वर्मा भी तीन बार मां ऊषा वर्मा भी दो बार सांसद रही हैं. रवि वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा ने लखीमपुर खीरी सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अजय मिश्रा 'टेनी' के खिलाफ सपा के टिकट पर किस्मत आजमाई थी. हालांकि उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा. अब पूर्वी भी पिता के साथ कांग्रेस का दामन थामेंगी. रवि वर्मा का प्रभाव लखीमपुर ही नहीं आसपास के जिलों सीतापुर, शाहजहांपुर, बाराबंकी आदि में भी है. इन जिलों में कुर्मी बिरादरी का अच्छा खासा वोट बैंक है. सपा के एक और कद्दावर कुर्मी नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. यदि कांग्रेस पार्टी ओबीसी-मुस्लिम वोट बैंक पर अपना प्रभाव डालने में सफल हुई तो कई संसदीय सीटों पर समीकरण बदल जाएंगे.
इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुस्लिम नेता इमरान मसूद भी दोबारा कांग्रेस में लौट आए थे. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे, लेकिन वहां उन्हें वह सम्मान नहीं मिला. जिसकी अपेक्षा के साथ वह पार्टी में शामिल हुए थे. यही कारण है कि उन्होंने पार्टी में दोबारा वापसी की. इनके साथ ही एक और मुस्लिम नेता फिरोज आफताब ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली थी. 18 अक्टूबर 2023 को सपा के पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी दोबारा कांग्रेस में लौट आए. वह 2021 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. गयादीन अनुरागी दलित समाज से आते हैं और हमीरपुर जिले की राठ विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. पूर्व विधायक पशुपतिनाथ राय ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली है. कांग्रेस की नजर सपा गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल पर भी है. यही कारण है कि राष्ट्रीय लोकदल के नेता नवाब हमीद अहमद भी अक्टूबर में कांग्रेस में शामिल हुए थे. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था, लेकिन इनका अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है. इनके पिता नवाब कोकब हमीद राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं.
10 अक्टूबर 2023 को सपा नेता और पूर्व मंत्री ओमवीर तोमर ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली थी. स्वाभाविक है कि उन नेताओं को कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी में अपना भविष्य नजर आता होगा. इससे पहले जून के महीने में भी कांग्रेस ने सपा को बड़े झटके दिए थे. तब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निकट सहयोगी माने जाने वाले सीपी राय ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. इनके साथ ही सीतापुर के पूर्व विधायक राकेश राठौर भी कांग्रेस में शामिल हुए थे. राकेश 2017 में भाजपा के टिकट पर जीते थे और फिर 2022 के चुनावों के मौके पर समा में शामिल हो गए थे. सूत्र बताते हैं कि बसपा सांसद दानिश अली भी कांग्रेस के संपर्क में हैं. हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इनसे मुलाकात की थी. वह भी आगामी चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
लोकसभा चुनाव में आसान नहीं होगा सपा कांग्रेस में सीटों का बंटवारा