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यूपी में फैले डेंगू के प्रकोप को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा, कहा, सरकारी मशीनरी सरकार चलाने में विफल - कांग्रेस प्रवक्ता कृष्ण कान्त पाण्डेय

कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार को उत्तर प्रदेश में फैले डेंगू (Dengue spread in Uttar Pradesh) के प्रकोप को लेकर घेरा है. प्रदेश सरकार के लिए सबसे शर्मनाक बात यह है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रदेश सरकार के ब्यूरोक्रेसी की कार्य प्रणाली पर असंतोष जाहिर किया गया.

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Published : Nov 7, 2022, 8:17 PM IST

लखनऊ : कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार को उत्तर प्रदेश में फैले डेंगू (Dengue spread in Uttar Pradesh) के प्रकोप को लेकर घेरा है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने प्रदेश के डेंगू के हालात को स्वत संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को तलब किया है. ये प्रदेश की गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बताने के लिए काफी है. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार शासन चलाने में पूरी तरह से असमर्थ है. प्रदेश सरकार के लिए सबसे शर्मनाक बात यह है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रदेश सरकार के ब्यूरोक्रेसी की कार्य प्रणाली पर असंतोष जाहिर किया गया.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कृष्ण कान्त पाण्डेय ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूरी सरकार और सरकारी मशीनरी सरकार चलाने में विफल हो चुकी है, अब मुख्यमंत्री को यह निर्णय करना है कि अपनी कार्यप्रणाली बदलते हैं अथवा ब्यूरोक्रेसी के आगे समर्पण कर देते हैं. दोनों स्थितियों में जनता का हित ही प्रभावित होगा. पूरा प्रदेश डेंगू की चपेट में बुरी तरह फंसा हुआ है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी अन्य जनपदों के साथ ही बुरी तरह से प्रभावित है. उन्होंने कहा कि फाॅगिंग की कहीं कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. भाजपा पार्षद द्वारा स्वयं स्वीकार किया जा रहा है कि फाॅगिंग के लिए नगर आयुक्त ना तो तेल दे रहे हैं और ना ही केमिकल दे रहे हैं. यह अपने आप में सरकार, नगर निगम की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत है. शहर के कई मुहल्लों में कूड़ा हफ्तों तक नहीं उठ पा रहा है. यही स्थिति पूरे प्रदेश में बनी हुई है.

कृष्ण्कांत पाण्डेय ने कहा कि जनपद बरेली में एक टेंट व्यापारी सहित कई लोगों के दम तोड़ने का जहां समाचार मिला, वहीं डेंगू मरीजों का आकड़ा भी सैकड़ा पार कर चुका है. बाराबंकी में तेज बुखार से कई लोगों की मृत्यु की सूचना है, जबकि बुखार से पीड़ित दर्जनों मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. जिला अस्पतालों पर मरीजों की भीड़ देखी जा सकती है. प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड़ों का आभाव देखने को मिल रहा है. जनवरी 2022 से अब तक लगभग आठ हजार रोगी सामने आ चुके हैं. पूरे प्रदेश के अधिकांश नगर निगमों में भाजपा के मेयर व पार्षद हैं तथा देश व प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, इसके बावजूद फाॅगिंग, छिड़काव व कूड़ा प्रबन्धन की समुचित व्यवस्था ना हो पाना पूरी तरह से सरकार की लापरवाही का नतीजा है. प्रदेश की स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विवश हैं.


कृष्ण्कांत पाण्डेय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जो उपमुख्यमंत्री भी हैं, उनकी विवशता किसी से छिपी नहीं है. उनके अधिकारी ही उनकी बात नहीं मानते यह पहले ही उजागर हो चुका है. लखनऊ स्थित केजीएमयू के निरीक्षण के उपरान्त भी स्ट्रेचर ना मिलने की वजह से एम्बुलेंस में तड़प कर महिला मरीज की मौत, खुले बाजार में एचआरएफ स्टोर की बिक रही दवाइयां, तीमारदार का स्वयं ही ग्लूकोज स्टैंड बन जाना अल्ट्रासाउंड के लिए दो-दो घंटे की लाइन तथा लंबी वेटिंग डेट उपमुख्यमंत्री की विवशता ही दर्शाता है. लखनऊ की मेडिकल यूनिवर्सिटी जो 23वें स्थान पर हुआ करती थी, मात्र पांच साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में 75वें स्थान पर पहुंच गई.

यह भी पढ़ें : तीन घंटे ठप्प रहा आरटीओ कार्यालय का सर्वर, परेशान हुए आवेदक

लखनऊ : कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार को उत्तर प्रदेश में फैले डेंगू (Dengue spread in Uttar Pradesh) के प्रकोप को लेकर घेरा है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने प्रदेश के डेंगू के हालात को स्वत संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को तलब किया है. ये प्रदेश की गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बताने के लिए काफी है. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार शासन चलाने में पूरी तरह से असमर्थ है. प्रदेश सरकार के लिए सबसे शर्मनाक बात यह है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रदेश सरकार के ब्यूरोक्रेसी की कार्य प्रणाली पर असंतोष जाहिर किया गया.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कृष्ण कान्त पाण्डेय ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूरी सरकार और सरकारी मशीनरी सरकार चलाने में विफल हो चुकी है, अब मुख्यमंत्री को यह निर्णय करना है कि अपनी कार्यप्रणाली बदलते हैं अथवा ब्यूरोक्रेसी के आगे समर्पण कर देते हैं. दोनों स्थितियों में जनता का हित ही प्रभावित होगा. पूरा प्रदेश डेंगू की चपेट में बुरी तरह फंसा हुआ है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी अन्य जनपदों के साथ ही बुरी तरह से प्रभावित है. उन्होंने कहा कि फाॅगिंग की कहीं कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. भाजपा पार्षद द्वारा स्वयं स्वीकार किया जा रहा है कि फाॅगिंग के लिए नगर आयुक्त ना तो तेल दे रहे हैं और ना ही केमिकल दे रहे हैं. यह अपने आप में सरकार, नगर निगम की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत है. शहर के कई मुहल्लों में कूड़ा हफ्तों तक नहीं उठ पा रहा है. यही स्थिति पूरे प्रदेश में बनी हुई है.

कृष्ण्कांत पाण्डेय ने कहा कि जनपद बरेली में एक टेंट व्यापारी सहित कई लोगों के दम तोड़ने का जहां समाचार मिला, वहीं डेंगू मरीजों का आकड़ा भी सैकड़ा पार कर चुका है. बाराबंकी में तेज बुखार से कई लोगों की मृत्यु की सूचना है, जबकि बुखार से पीड़ित दर्जनों मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. जिला अस्पतालों पर मरीजों की भीड़ देखी जा सकती है. प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड़ों का आभाव देखने को मिल रहा है. जनवरी 2022 से अब तक लगभग आठ हजार रोगी सामने आ चुके हैं. पूरे प्रदेश के अधिकांश नगर निगमों में भाजपा के मेयर व पार्षद हैं तथा देश व प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, इसके बावजूद फाॅगिंग, छिड़काव व कूड़ा प्रबन्धन की समुचित व्यवस्था ना हो पाना पूरी तरह से सरकार की लापरवाही का नतीजा है. प्रदेश की स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विवश हैं.


कृष्ण्कांत पाण्डेय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जो उपमुख्यमंत्री भी हैं, उनकी विवशता किसी से छिपी नहीं है. उनके अधिकारी ही उनकी बात नहीं मानते यह पहले ही उजागर हो चुका है. लखनऊ स्थित केजीएमयू के निरीक्षण के उपरान्त भी स्ट्रेचर ना मिलने की वजह से एम्बुलेंस में तड़प कर महिला मरीज की मौत, खुले बाजार में एचआरएफ स्टोर की बिक रही दवाइयां, तीमारदार का स्वयं ही ग्लूकोज स्टैंड बन जाना अल्ट्रासाउंड के लिए दो-दो घंटे की लाइन तथा लंबी वेटिंग डेट उपमुख्यमंत्री की विवशता ही दर्शाता है. लखनऊ की मेडिकल यूनिवर्सिटी जो 23वें स्थान पर हुआ करती थी, मात्र पांच साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में 75वें स्थान पर पहुंच गई.

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