लखनऊ : कांग्रेस ने 10 फरवरी से शुरू हो रहे हैं इन्वेस्टर समिट को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 'उत्तर प्रदेश में 24 करोड़ की आबादी है और चुनाव के लिए 15 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन का वादा किया जा रहा है. जिस प्रदेश में 60 प्रतिशत की आबादी 5 किलो राशन पर निर्भर है उस प्रदेश की सरकार रोजगार पर जरा भी चिंतित नहीं, यह आश्चर्यचकित करने वाला है. राशन पर खर्च किया जाने वाला पैसा रोजगार पर खर्च किया जाना चाहिए, जिससे कि प्रदेशवासी आत्मसम्मान भरा जीविकोपार्जन कर सकें. मगर योगी सरकार प्रदेशवासियों को रोजगार के माध्यम से आत्मसम्मान भरा जीवन देने के बजाय 5 किलो राशन देकर भिखारी जैसा जीवन देना ज्यादा उचित समझा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.'
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी बयान में बताया कि 'केंद्र सरकार ने मनरेगा बजट की 30 प्रतिशत की कटौती की है, जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश पर होगा. मनरेगा गरीबों को रोजगार देता है, मगर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस कटौती का कोई विरोध नहीं किया. कोरोना में प्रवासी मजदूरों की गांव वापसी के बाद उत्तर प्रदेश के गांवों पर बेरोजगारी का बोझ बढ़ा है, जिसे मनरेगा ही दूर कर सकता है. मनरेगा में बजट की कटौती डबल इंजन की सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है और यह बताता है कि डबल इंजन की सरकार गरीब विरोधी है.'
कांग्रेस ने कहा कि 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से रोजगार आने की कोई संभावना नहीं दिखती है, क्योंकि इससे पहले भी जितने समिट हुए वह रोजगार देने में असफल रहे. रोजगार के लिए उत्तर प्रदेश के युवाओं का दूसरे प्रदेशों को पलायन जारी है. इन्वेस्टर्स समिट कराए जाने के नाम पर राजधानी में चीनी झालर लगाई जा रही है. दीवारों पर तस्वीरें बनाई जा रही है, गमले लगाए जा रहे हैं. इन्वेस्टर समिट कराने के लिए खूब पैसे की बर्बादी हो रही है, पर सड़क चौड़ीकरण के लिए पटरी के किनारे बैठे वैध दुकानदारों को दुकानें बंद करने का अवैध आदेश दिया गया है. रोज कमाकर खाने वाले यह दुकानदार सरकारी आदेश से चिंतित हैं. रोजगार को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इस आदेश से साफ जाहिर होता है. जिस इन्वेस्टर्स समिट में रोजगार देने का वादा किया जा रहा है, उस इन्वेस्टर समिट को कराने के लिए तमाम लोगों का रोजगार छीना जा रहा है.'