लखनऊ: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए 40 दिन के जन जागरण अभियान का ऐलान कर दिया है. अभियान के दौरान कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 12,000 नुक्कड़ सभाएं करेगी और दो करोड़ से ज्यादा किसानों से सीधा संपर्क किया जाएगा. उनकी समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का घेराव भी किया जाएगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो उत्तर प्रदेश विधानसभा भी घेरेंगे.
कांग्रेस ने किया जन जागरण अभियान का ऐलान
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने किसान जन जागरण अभियान की घोषणा की. उन्होंने बताया कि 40 दिनों के इस अभियान को 5 चरणों में बांटा गया है. भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ कांग्रेस का यह आंदोलन है. प्रदेश में निराश्रित पशुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है. किसान इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. सरकार किसानों को मुआवजा भत्ता दे, बिजली मूल्य आधे किए जाएं, किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ किया जाए.
किसानों से होगा सीधा संपर्क
किसानों के धान का मूल्य उन्हें 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दिया जाए और गेहूं का दाम भी बढ़ाकर 3200 रुपये प्रति कुंटल किया जाए. गन्ना किसानों का सारा बकाया तुरंत भुगतान किया जाए और दाम भी 400 रुपये प्रति कुंतल किया जाए. उन्होंने बताया कि किसान जन जागरण अभियान के दौरान पार्टी कार्यकर्ता 2,71,26,000 किसानों से सीधा संपर्क करेंगे. प्रत्येक विकासखंड में रोजाना 300 किसान परिवारों से मिलकर कांग्रेस कार्यकर्ता एक किसान मांग पत्र भरवाएंगे, जिसमें किसानों की समस्याओं की पूरी जानकारी दी गई होगी.
दो-दो नुक्कड़ सभा का होगा आयोजन
17 से 23 फरवरी तक प्रदेश के सभी ब्लॉकों में दो-दो नुक्कड़ सभा का आयोजन किया जाएगा. इस तरह पूरे प्रदेश में 12,000 नुक्कड़ सभाएं की जाएंगी. किसान की बात नाम से किसान मांग पत्र उनसे भरवाया जाएगा और इसे सरकार के पास भेजा जाएगा. अभियान के दूसरे चरण में भाजपा के विधायकों और सांसदों को सरकार जगाओ किसान बचाओ नारे के साथ ज्ञापन दिया जाएगा.
जिला अधिकारी का किया जाएगा घेराव
तीसरे चरण में तहसील दिवस पर अधिकारियों को ज्ञापन दिया जाएगा और पीड़ित किसानों की समस्याओं को हाईलाइट किया जाएगा, ताकि प्रशासन किसान की समस्या को हल कर सके. अभियान के चौथे चरण में जिला अधिकारी का घेराव किया जाएगा. पूरे अभियान के दौरान 800 प्रदर्शनों के जरिए जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों को किसानों की समस्याओं पर घेरा जाएगा. अभियान के पांचवें चरण में लखनऊ में बड़ा किसान मार्च होगा. अगर सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो विधान भवन का घेराव भी किया जाएगा.