लखनऊ: कांग्रेस पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ खास बिसात बिछाई है. पार्टी ने रणनीति के तहत दलितों को आकर्षित करने के लिए टिकटों में उन्हें सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया है तो भाजपा के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए उन्हें खास अहमियत दी है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि भाजपा से ब्राह्मणों की नाराजगी उन्हें कांग्रेस की तरफ खींच लाएगी. पार्टी 1952 से 1989 तक का जो ब्राह्मणों का यूपी की सत्ता तक कांग्रेस पार्टी को पहुंचाने का इतिहास रहा है, उसे फिर से दोहरा पाएगी.
2022 यूपी विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी सभी सीटों पर लड़ रही है. हालांकि दो सीटें समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी गई हैं. इनमें एक सीट अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट है तो दूसरी शिवपाल सिंह यादव के लिए जसवंत नगर विधानसभा सीट. यानी कुल मिलाकर पार्टी 401 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और इन सीटों पर रणनीति के तहत पार्टी ने इस तरह अलग-अलग वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया है जिससे सभी वर्गों में पार्टी की पैठ बन सके.
इस बार कांग्रेस पार्टी ने 77 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट दिया है. इससे पार्टी 1989 से पहले का इतिहास दोहराना चाहती है, जब कांग्रेस में ब्राह्मणों को खासी अहमियत मिलती थी और पार्टी की सरकार बनती थी. टिकटों के वितरण की बात करें तो तकरीबन 19 फीसदी सीटों पर पार्टी ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देने के पीछे पार्टी का मकसद है उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने ब्राह्मणों के साथ अत्याचार किया है और ब्राह्मण भाजपा से खासे नाराज हैं, इसलिए इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को मिले. हालांकि यह तो चुनावी नतीजों में तय हो पाएगा कि पार्टी ने जिस उद्देश्य के साथ ब्राह्मणों को टिकटों के वितरण में तवज्जो दी थी उसका कांग्रेस को कितना फायदा मिला है.
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जहां तक टिकटों के वितरण में अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधित्व की बात करें तो सबसे ज्यादा 22.3 फीसदी दलितों को कांग्रेस ने टिकट दिया है. पार्टी ने 89 दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में दलित सीटों की संख्या 84 है. पार्टी उत्तर प्रदेश में दलित कार्ड खेलकर सबसे नीचे तबके को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कवायद में जुटी है, इसलिए तमाम सारे कार्यक्रम पार्टी की तरफ से दलितों के लिए किए गए हैं. खासकर सदस्यता अभियान भी पार्टी ने डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस पर ही शुरू कराया था. भीम चौपाल लगवाई गई थी. अब उम्मीदवार भी पार्टी ने सबसे ज्यादा दलित वर्ग से ही दिए हैं. ऐसे में पार्टी इस वर्ग से चुनाव जीतने की उम्मीद भी लगाए बैठी है.
21.8 ओबीसी उम्मीदवार
जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने दलितों को सबसे ज्यादा अहमियत दी है. 22 फीसद से ज्यादा टिकट दलित वर्ग को दिया है तो पिछड़ा वर्ग को भी पार्टी ने आगे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 21.8% ओबीसी उम्मीदवारों को पार्टी ने मैदान में उतारा है. 85 से ज्यादा सीटें कांग्रेस पार्टी ने पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को दी हैं.
अल्पसंख्यकों को भी ज्यादा प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए भी कांग्रेस पार्टी ने टिकट देने से बिल्कुल भी परहेज नहीं किया है. दलितों को 22 फीसद से ज्यादा अल्पसंख्यकों को 21 फीसद से ज्यादा, ब्राह्मणों को 19 फीसद टिकटों के अलावा मुसलमानों को भी बड़ी भागीदारी दी है. 18% मुसलमानों को पार्टी ने टिकट दिया है.
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