लखनऊ: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कोरोना काल में हुई मौतों व व्यवस्थाओं को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछते हुए जमकर हमला बोला है. प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि महासचिव ने कहा कि पिछले महीने भारतीय संगीत को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले पंडित राजन मिश्रा का दिल्ली में वेंटीलेटर बेड न मिलने की वजह से निधन हो गया. इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया. सबने इस घटना को सरकारी लापरवाही और व्यवस्था की नाकामी के रूप में देखा. अप्रैल 2021 में भारत में कोरोना के लगभग 66 लाख मामले आये. लोग अस्पतालों के सामने, अधिकारियों के दफ्तरों के सामने, सोशल मीडिया पर एक-एक बेड की गुहार लगा रहे थे.
प्रियंका गांधी ने 'जिम्मेदार कौन' श्रृंखला के तहत ट्वीट कर कहा है कि कोरोना विजय की घोषणा कर चुकी सरकार इस मौके पर इतना भी नहीं कर पाई कि आरोग्य सेतु या किसी अन्य डाटाबेस पर सभी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का डाटा ही अपडेट कर देती, ताकि बेड के लिए इधर-उधर धक्के खा रहे लोगों को कुछ सहूलियत मिल सकती. लोग सरकार के सामने बेबस थे, कितनों ने अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया. इस दर्दनाक मंजर के पीछे सरकार की लापरवाही एवं दिशाहीनता की एक पूरी गाथा है. 2021 की शुरुआत में प्रधानमंत्री अपने बड़बोलेपन और प्रचारमयी अंदाज में बार-बार कोरोना की जंग जीतने का एलान राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर करते रहे.
हिंदुस्तान ये कभी नहीं भूलेगा कि यही वो समय था जब कोरोना के लिए अलॉटेड बेडों की संख्या मोदी सरकार द्वारा कम की गई. ऑक्सीजन बेड, आईसीयू एवं वेंटीलेटर बेड घटाए गए. मोदी जी ने 2014 में सत्ता में आते ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य बजट में 20 प्रतिशत की कटौती कर दी थी. पिछले साल स्वास्थ्य मामलों की संसद की स्थाई समिति ने कोरोना की भयावहता का जिक्र करते हुए अस्पताल के बेडों, ऑक्सीजन आदि की उपलब्धता पर विशेष फोकस करने की बात कही थी. लेकिन सरकार का ध्यान कहीं और था.
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देश की जनता पूछ रही सवाल?
➢ मोदी सरकार के पास तैयारी के लिए एक साल था. आखिर क्यों केंद्र सरकार ने ये समय “हम कोरोना से युद्ध जीत गए हैं” जैसी झूठी बयानबाजी में गुजार दिया और बेडों की संख्या बढ़ाने के बजाय बेडों की संख्या कम कर दी?
➢ मोदी सरकार ने विशेषज्ञों और स्वास्थ्य मामलों की संसद की स्थाई समिति की चेतावनी को नकारते भारत के हर जिले में उन्नत स्वास्थ सुविधाओं को उपलब्ध करने का कार्य क्यों नहीं किया?
➢ 2014 से आज तक, एक भी एम्स सक्रिय नहीं हुआ मगर मोदी जी का राजनिवास और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को “अनिवार्य सेवा” का दर्जा देकर केंद्र की पूरी ताकत और पैसा झोंकते हुए क्यों तैयार किया जा रहा है? क्या प्रधानमंत्री निवास और नई संसद का निर्माण देश के करोड़ों लोगों की स्वास्थ सुविधाओं से ज्यादा “अनिवार्य” है?