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अब तो डॉ. कफील से माफी मांग लें सीएम योगी : कांग्रेस

कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि सीएम योगी को डॉक्टर कफील खान से मांफी मांगनी चाहिए. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद योगी सरकार ने डॉ. कफील खान के खिलाफ चल रही जांच वापस ले ली है. जिसके बाद कांग्रेस ने योगी सरकार पर निशाना साधा है.

प्रियंका गांधी के साथ डॉक्टर कफील खान
प्रियंका गांधी के साथ डॉक्टर कफील खान
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Published : Aug 10, 2021, 10:27 AM IST

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद योगी सरकार ने डॉ. कफील खान के खिलाफ चल रही जांच वापस ले ली है. जिसके बाद यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने योगी सरकार के लिए एक और शर्मिंदगी करार दिया है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से जारी बयान में शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत का यह पूछना कि डॉ. कफील को चार वर्षों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है. ये योगी सरकार के आपराधिक कार्यशैली को उजागर करता है.



उन्होंने कहा कि 2019 में हुई पहली जांच में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में डॉ. कफील के खिलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिले थे, अब दूसरी जांच से भी योगी सरकार पीछे हट गई है. इसका सीधा मतलब है कि उन 60 मौतों के लिए योगी सरकार जिम्मेदार है, जिसने ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं की और लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया. शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत में योगी सरकार के बैकफुट पर आ गई है, ऐसे में अब सीएम योगी को चाहिए की वे व्यक्तिगत तौर पर डॉ. कफील से मिलकर या मीडिया के माध्यम से उनसे माफी मांग लें.

कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम
कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम

प्रियंका गांधी से डॉ. कफील ने की थी मुलाकात

बता दें कि डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने पिछले साल 15 दिनों का लंबा अभियान चलाया था. मथुरा जेल से डॉक्टर कफील की रिहाई के बाद उनके लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पहल पर राजस्थान में रहने की व्यवस्था की गई. इस दौरान डॉ. कफील ने प्रियंका गांधी से मिलकर उनका आभार भी व्यक्त किया था.


गौरतबल है कि डॉक्टर कफील खान गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में तैनात थे. अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था. जिसके बाद डॉ. कफील खान सुर्खियों में आए थे. उनके ऊपर आरोप था कि हंड्रेड बेड वार्ड का चार्ज उनके पास था और ऑक्सीजन की कमी की जानकारी होने के बाद भी सही समय पर अफसरों को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी.


इसे भी पढे़ं : अखबारों में विज्ञापन देकर किसानों की बदहाली नहीं छिपा सकती योगी सरकार: प्रियंका

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद योगी सरकार ने डॉ. कफील खान के खिलाफ चल रही जांच वापस ले ली है. जिसके बाद यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने योगी सरकार के लिए एक और शर्मिंदगी करार दिया है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से जारी बयान में शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत का यह पूछना कि डॉ. कफील को चार वर्षों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है. ये योगी सरकार के आपराधिक कार्यशैली को उजागर करता है.



उन्होंने कहा कि 2019 में हुई पहली जांच में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में डॉ. कफील के खिलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिले थे, अब दूसरी जांच से भी योगी सरकार पीछे हट गई है. इसका सीधा मतलब है कि उन 60 मौतों के लिए योगी सरकार जिम्मेदार है, जिसने ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं की और लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया. शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत में योगी सरकार के बैकफुट पर आ गई है, ऐसे में अब सीएम योगी को चाहिए की वे व्यक्तिगत तौर पर डॉ. कफील से मिलकर या मीडिया के माध्यम से उनसे माफी मांग लें.

कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम
कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम

प्रियंका गांधी से डॉ. कफील ने की थी मुलाकात

बता दें कि डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने पिछले साल 15 दिनों का लंबा अभियान चलाया था. मथुरा जेल से डॉक्टर कफील की रिहाई के बाद उनके लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पहल पर राजस्थान में रहने की व्यवस्था की गई. इस दौरान डॉ. कफील ने प्रियंका गांधी से मिलकर उनका आभार भी व्यक्त किया था.


गौरतबल है कि डॉक्टर कफील खान गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में तैनात थे. अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था. जिसके बाद डॉ. कफील खान सुर्खियों में आए थे. उनके ऊपर आरोप था कि हंड्रेड बेड वार्ड का चार्ज उनके पास था और ऑक्सीजन की कमी की जानकारी होने के बाद भी सही समय पर अफसरों को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी.


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