लखनऊ: पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने की कोशिशें लगातार जारी है. इन्ही सबके बीच अब पुराने साथियों की उपेक्षा का मसला गहराता दिखाई दे रहा है. बृहस्पतिवार को नेहरू जयंती के मौके पर कांग्रेस के पुराने नेताओं की बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें हकीकत से वाकिफ कराया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ लड़ाई का एलान करने वाली कांग्रेस पार्टी अपने पुराने साथियों को ही संभाल कर रखने में नाकाम दिखाई दे रही है. कांग्रेस की प्रदेश कमेटी का ऐलान होने के बाद पिछले महीने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिराज मेहंदी ने पुराने कांग्रेसी नेताओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए एआईसीसी और यूपीसीसी के पदों से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद उनके निवास पर कांग्रेस नेताओं की एक बैठक भी हुई, जिसमें पुराने कांग्रेसी नेताओं की उपेक्षा का सवाल उठा. बृहस्पतिवार को जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की मौजूदगी में कांग्रेस नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती मना रहे थे, ठीक उसी समय युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद संतोष सिंह के गोमती नगर स्थित आवास पर पुराने कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा हुआ.
इसमें सिराज मेहंदी, सत्यदेव त्रिपाठी, बोध नारायण मिश्र, रामकृष्ण द्विवेदी, केके शर्मा, स्वयं प्रकाश गोस्वामी समेत वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी उल्लेखनीय रही. इस बैठक में कांग्रेसी नेताओं ने तय किया कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में पुराने कांग्रेसी नेताओं की उपेक्षा हो रही है, ऐसे में उन्हें पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर अपनी बात कहना चाहिए.
पूर्व सांसद संतोष सिंह ने ईटीवी भारत को बताया की बैठक का कोई विशेष मकसद नहीं था. पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के अवसर पर पुराने कांग्रेसी नेताओं ने मिलने का प्रोग्राम बनाया था. मुलाकात के दौरान पार्टी को मजबूत करने और आगे बढ़ने के लिए कुछ बिंदुओं पर विचार विमर्श हुआ है. यह तय किया गया है कि पार्टी आलाकमान को अपनी चिंताओं से अवगत कराया जाएगा.
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सोनिया गांधी के निजी सचिव से उन लोगों की बात भी हुई है. उन्हें मुलाकात का समय मिल जाएगा, सभी लोग दिल्ली जाकर पार्टी आलाकमान को अपनी पीड़ा बताएंगे.
-सिराज मेहंदी, पूर्व एआईसीसी सदस्य