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लखनऊ: हज यात्रा पर असमंजस बरकरार, उलमा ने कहा मायूस न हो आजमीन

कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इस बार हज यात्रा पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सउदी अरब सरकार की तरफ से अभी तक भी कोई दिशा निर्देश नहीं जारी किए गए हैं. ऐसे में उलमाओं ने कहा कि आजमीन मायूस न हों.

हज यात्रा पर असमंजस बरकरार
हज यात्रा पर असमंजस बरकरार
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Published : Jun 8, 2020, 3:38 AM IST

लखनऊ: मुसलमानों के पवित्र सफर हज पर इस साल असमंजस की स्तिथि बनी हुई है. सऊदी अरब सरकार की ओर से भारत सरकार को हज 2020 को लेकर कोई जवाब नहीं मिलने के चलते 2 लाख हज यात्रियों में सफर को लेकर बेचैनी है. ऐसे में उलमाओं ने आजमीन से मायूस नहीं होने के साथ हज को लेकर बेहतर उम्मीद जताई है. हालांकि हज के मामलों के जानकार सऊदी अरब और भारत सरकार के सामने इस वर्ष कई चुनौतियां मान रहे हैं, जिसके चलते इस वर्ष हज यात्रा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

हज यात्रा पर असमंजस बरकरार

इस्लाम के 5 मूल स्तंभ में से एक हज के सफर को माना जाता है. हर मुसलमान जो हज का खर्च उठा सकता है उस पर हज को फर्ज (जरूरी) करार दिया गया है. हर वर्ष हज करने दुनिया भर से 25 से 30 लाख मुसलमान सऊदी अरब में इकट्ठा होते हैं और हज के अरकान को अदा करते हैं, लेकिन इस साल कोरोना काल में सफर-ए-हज पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

सऊदी अरब सरकार ने भारत सरकार को अबतक हज से जुड़ी जानकारी नहीं दी है, जिससे भारत के 2 लाख आजमीन असमंजस में हैं. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने फैसला करते हुए देश के सभी प्रदेशों की हज समितियों को हज यात्रियों के आवेदन रद्द कराने पर उनका पूरा पैसा वापस करने का निर्देश दिया है. हालांकि उलमा ने आजमीने हज को मायूस नहीं होने और इस वर्ष भी हज होने की उम्मीद जताई है.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सऊदी अरब में हालात बेहतर हो रहे हैं, जिसके चलते मस्जिद अल हरम और मस्जिदे नबी भी ईद के बाद से दोबारा लोगों के लिए खोल दी गई हैं. हज में अभी वक्त है. इसलिए उम्मीद है कि तब तक हज के सफर की भी इजाजत मिलेगी.

हज के मामलों के जानकार मिर्जा मोहम्मद हलीम इस वर्ष सरकारों के सामने कई चुनौतियां देख रहे है, जिसके चलते हज इस वर्ष बेहद मुश्किल लग रहा है. इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर ने हज पर अपने नागरिकों को नहीं भेजने का फैसला किया है. क्योंकि एक वक्त में 25 से 30 लाख लोग एक साथ मौजूद रहते हैं, जिसके चलते सऊदी अरब सरकार के सामने भी कड़ी चुनौतियां हैं.

मिर्जा मोहम्मद हलीम का मानना है कि कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए सऊदी अरब अपने नागरिकों को ही इस साल हज कराने की रणनीति बना सकता है. भारत सरकार के सामने भी इतनी बड़ी तादाद में यात्रियों की सभी जांचों के साथ कोरोना टेस्ट और अन्य सर्टिफिकेट देना आसान नहीं होगा, जिसके चलते इस वर्ष भारत से हाजियों का सफर बेहद मुश्किल नजर आ रहा है.

लखनऊ: मुसलमानों के पवित्र सफर हज पर इस साल असमंजस की स्तिथि बनी हुई है. सऊदी अरब सरकार की ओर से भारत सरकार को हज 2020 को लेकर कोई जवाब नहीं मिलने के चलते 2 लाख हज यात्रियों में सफर को लेकर बेचैनी है. ऐसे में उलमाओं ने आजमीन से मायूस नहीं होने के साथ हज को लेकर बेहतर उम्मीद जताई है. हालांकि हज के मामलों के जानकार सऊदी अरब और भारत सरकार के सामने इस वर्ष कई चुनौतियां मान रहे हैं, जिसके चलते इस वर्ष हज यात्रा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

हज यात्रा पर असमंजस बरकरार

इस्लाम के 5 मूल स्तंभ में से एक हज के सफर को माना जाता है. हर मुसलमान जो हज का खर्च उठा सकता है उस पर हज को फर्ज (जरूरी) करार दिया गया है. हर वर्ष हज करने दुनिया भर से 25 से 30 लाख मुसलमान सऊदी अरब में इकट्ठा होते हैं और हज के अरकान को अदा करते हैं, लेकिन इस साल कोरोना काल में सफर-ए-हज पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

सऊदी अरब सरकार ने भारत सरकार को अबतक हज से जुड़ी जानकारी नहीं दी है, जिससे भारत के 2 लाख आजमीन असमंजस में हैं. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने फैसला करते हुए देश के सभी प्रदेशों की हज समितियों को हज यात्रियों के आवेदन रद्द कराने पर उनका पूरा पैसा वापस करने का निर्देश दिया है. हालांकि उलमा ने आजमीने हज को मायूस नहीं होने और इस वर्ष भी हज होने की उम्मीद जताई है.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सऊदी अरब में हालात बेहतर हो रहे हैं, जिसके चलते मस्जिद अल हरम और मस्जिदे नबी भी ईद के बाद से दोबारा लोगों के लिए खोल दी गई हैं. हज में अभी वक्त है. इसलिए उम्मीद है कि तब तक हज के सफर की भी इजाजत मिलेगी.

हज के मामलों के जानकार मिर्जा मोहम्मद हलीम इस वर्ष सरकारों के सामने कई चुनौतियां देख रहे है, जिसके चलते हज इस वर्ष बेहद मुश्किल लग रहा है. इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर ने हज पर अपने नागरिकों को नहीं भेजने का फैसला किया है. क्योंकि एक वक्त में 25 से 30 लाख लोग एक साथ मौजूद रहते हैं, जिसके चलते सऊदी अरब सरकार के सामने भी कड़ी चुनौतियां हैं.

मिर्जा मोहम्मद हलीम का मानना है कि कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए सऊदी अरब अपने नागरिकों को ही इस साल हज कराने की रणनीति बना सकता है. भारत सरकार के सामने भी इतनी बड़ी तादाद में यात्रियों की सभी जांचों के साथ कोरोना टेस्ट और अन्य सर्टिफिकेट देना आसान नहीं होगा, जिसके चलते इस वर्ष भारत से हाजियों का सफर बेहद मुश्किल नजर आ रहा है.

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