लखनऊ: साल 2018 से बिजली कम्पनियों के बिलिंग सॉफ्टवेयर का टेंडर फाइनल नहीं हो पा रहा है. इसके पीछे वजह अभियंताओं की जबरदस्त लॉबिंग है. इसी लॉबिंग के इशारों पर टेंडर निकलता है और फिर कैंसिल होता है. यहां पर अभियंताओं के दो पक्ष हैं. अभियंताओं की एक लॉबी अपनी चहेती कंपनी को लाना चाहती है, तो दूसरी अपनी चहेती कंपनी को लाने का गणित लगाने में लग जाती है. इसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है. राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इस मामले पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात की. लोकमहत्व प्रस्ताव सौपते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों को कठोर सजा दिलाने की मांग की.
कई बार निकला टेंडर पर नहीं हुआ फाइनल
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पूरे प्रदेश के लिए बिलिंग सॉफ्टवेयर जो काम कर रहे हैं. उसमें वर्तमान में शहरी क्षेत्र में एचसीएल व ग्रामीण क्षेत्र में फ्लुएड ग्रिड है. दोनों की प्रोजेक्ट टाइम लाइन पूरी हो गई है. पिछले वर्ष 2018 से अनेक बार नया टेंडर निकला, लेकिन फाइनल नहीं हुआ. इसकी वजह है शक्तिभवन में तैनात कुछ अभियंता टेंडर निकलता है फिर उनकी आपसी लॉबिंग की वजह से कैंसिल हो जाता है. खास बात ये है कि यह बात उच्च प्रबंधन के भी संज्ञान में है. एक बार डाटा सेंटर बंद भी हो चुका है. आए दिन इसमें सुधार के लिए करोड़ों रुपए खर्च हो रहा है, जो बहुत गंभीर मामला है.
नए टेंडर में मिल सकती हैं इंटीग्रेटेड सुविधाएं
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री को सुझाव दिया कि पूरा सिस्टम एक ही सॉफ्टवेयर व एप्लीकेशन पर इंटीग्रेटेड होना चाहिए, लेकिन अलग-अलग कम्पनियों के 25 से ज्यादा एप्लीकेशन सिस्टम में इंटीग्रेटेड हैं. अगर नया टेंडर फाइनल हो जाए, तो सभी सुविधाएं एक ही साथ ली जा सकती हैं. अबिलम्ब बिलिंग की नई व्यवस्था लागू कराई जाए और पूरे बिलिंग सहित आईटी बिंग की उच्च स्तरीय तकनीकी कमेटी से जांच कराई जाए. इससे यह पता चल सकेगा कि अब तक कितनी फिजूलखर्ची हुई है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है.
उपभोक्ताओं को सिक्योरिटी पर नहीं मिला ब्याज
अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जब तक जबाबदेही तय नहीं होगी, तब तक यही चलता रहेगा. पिछले लगभग पांच साल से 70 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को उनकी सिक्योरटी पर ब्याज इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनकी जमा सिक्योरटी जीरो फीड है या नाममात्र है. अब तक उपभोक्ताओं का अरबों रुपय बिजली कम्पनियों ने हड़प लिया है.