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गिरधारी एनकाउंटरः पुलिस आयुक्त समेत चार अधिकारियों के खिलाफ शिकायत

उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में गिरधारी विश्वकर्मा एनकाउंटर पर विवाद बढ़ता जा रहा है. गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दाखिल किया है. उन्होंने पुलिस आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को अभियुक्त बनाने की मांग की है.

गिरधारी एनकाउंटर
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Published : Feb 18, 2021, 6:14 AM IST

लखनऊः गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले में अब उसके भाई राकेश विश्वकर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दाखिल किया है. परिवाद में पुलिस आयुक्त ध्रुवकांत ठाकुर, डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर विभूति खंड चन्द्रशेखर सिंह को बतौर अभियुक्त तलब कर दंडित किए जाने की मांग की गई है. सीजेएम सुशील कुमारी ने मामले में अगली तिथि 20 फरवरी तय की है. इस दिन तय किया जाएगा कि परिवाद सुनवाई किए जाने योग्य है या नहीं.

पुलिस पर गंभीर आरोप
परिवाद में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. दावा किया गया है कि पुलिस ने 14/15 फरवरी की रात में गिरधारी की हत्या कर दी. कहा गया है कि पुलिस रिमांड पर दिए जाने का विरोध करते हुए गिरधारी की ओर से कहा भी गया था कि उसकी जान को खतरा है. पुलिस उसकी हत्या कर सकती है. परिवाद में आगे कहा गया है कि पुलिस अधिकारी गिरधारी की हत्या किए जाते समय यह भी भूल गए कि वह कानून की अभिरक्षा में था. यह भी आरोप लगाया गया है कि अपने अपराध को अंजाम देने के लिए पुलिस अधिकारियों ने फर्द बरामदगी व विवेचना संबंधी दस्तावेजों में भी कूटरचना की. कहा गया है कि घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों ने उक्त चार पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ तमाम दूसरे बड़े पुलिस अधिकारियों व ब्यूरोक्रेट्स के निगरानी में घटना को अंजाम दिया.

लखनऊः गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले में अब उसके भाई राकेश विश्वकर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दाखिल किया है. परिवाद में पुलिस आयुक्त ध्रुवकांत ठाकुर, डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर विभूति खंड चन्द्रशेखर सिंह को बतौर अभियुक्त तलब कर दंडित किए जाने की मांग की गई है. सीजेएम सुशील कुमारी ने मामले में अगली तिथि 20 फरवरी तय की है. इस दिन तय किया जाएगा कि परिवाद सुनवाई किए जाने योग्य है या नहीं.

पुलिस पर गंभीर आरोप
परिवाद में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. दावा किया गया है कि पुलिस ने 14/15 फरवरी की रात में गिरधारी की हत्या कर दी. कहा गया है कि पुलिस रिमांड पर दिए जाने का विरोध करते हुए गिरधारी की ओर से कहा भी गया था कि उसकी जान को खतरा है. पुलिस उसकी हत्या कर सकती है. परिवाद में आगे कहा गया है कि पुलिस अधिकारी गिरधारी की हत्या किए जाते समय यह भी भूल गए कि वह कानून की अभिरक्षा में था. यह भी आरोप लगाया गया है कि अपने अपराध को अंजाम देने के लिए पुलिस अधिकारियों ने फर्द बरामदगी व विवेचना संबंधी दस्तावेजों में भी कूटरचना की. कहा गया है कि घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों ने उक्त चार पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ तमाम दूसरे बड़े पुलिस अधिकारियों व ब्यूरोक्रेट्स के निगरानी में घटना को अंजाम दिया.

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