लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड-19 के दौरान जरूरतमंदों को अब तक मिलने वाले मुफ्त राशन पर जुलाई माह से रोक लगाने की बात कही है. केंद्र सरकार का कहना है कि अगर राज्य सरकारें चाहेंगी तो ही आगे राशन वितरण पर विचार किया जा सकता है. सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल विरोध करने लगे हैं.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव मण्डल ने केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में तीन महीने से मिल रहे मुफ्त राशन वितरण पर जुलाई माह से रोक लगाने का केंद्र का फैसला बिल्कुल सही नहीं है. माकपा इसका कड़ा विरोध करती है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव हीरालाल यादव का कहना है कि केंद्र सरकार स्वयं तो गरीबों को मुफ्त मिलने वाला राशन बंद करने की बात कर रही है और यह कहकर कि राज्य सरकारें यदि इसे चालू करने का अनुरोध करेंगी तो केन्द्र सरकार विचार कर सकती है. इसका सीधा सा अर्थ है कि अब सरकार गरीबों को मुफ्त भोजन देने के मूड में नहीं है.
उन्होंने कहा कि महामारी संकट के इस दौर में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी केंद्र सरकार के फैसले को मान लिया है और मुफ्त राशन वितरण के लिए मना कर दिया है. पार्टी संचिव मण्डल ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक गरीब प्रदेश है और बड़ी संख्या में यहां प्रवासी मजदूर भी आए हैं. इस स्थिति में मुुफ्त राशन व्यवस्था को अगले छह महीने तक लागू रखा जाए. इसके साथ ही हर व्यक्ति जो आयकर दायरे से बाहर है, उसको कम से कम 7500 रुपये अगले छह माह तक दिया जाएं.