लखनऊ: जिला प्रशासन इस समय शहर में अवैध कब्जों को ढहाने या सील करने पर आमादा है. प्रशासन ने कुछ दिनों पहले माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण को तोड़ दिया था. प्रशासन की इस कार्रवाई से इसमें दूसरे रसूखदार भी बेनकाब हो सकते हैं.
सरकारी जमीनों पर हैं अवैध कब्जे
शहर में निष्क्रांत संपत्तियों के अलावा शत्रु संपत्ति और सरकारी विभागों की बहुत सी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं. इन जमीनों पर अवैध कब्जे करने वाले अभी तक रसूख के चलते बच रहे थे, लेकिन आने वाले दिनों में अब सब बेनकाब हो सकते हैं.
प्रशासन ने कमेटी का किया गठन
प्रशासन ने ऐसी संपत्तियों के लिए एक कमेटी का गठन किया है. प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि जब माफिया मुख्तार अंसारी के परिवार का नाम खतौनी पर चढ़ा था. उसी समय कई जमीनों के रिकॉर्ड में खेल किया गया. अब यह कमेटी इस तरह के मामलों की जड़ तक जाएगी. प्रशासन द्वारा गठित की गई इस हाईप्रोफाइल कमेटी में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमरपाल सिंह, अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी, एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास, तहसीलदार सदर शंभूशरण और एलडीए के तहसीलदार असलम को सम्मिलित किया गया है.
नियम को ताक पर रखकर किया खेल
अभी तक जो सूचना मिली है. उसके मुताबिक सरकारी संपत्तियों में फर्जीवाड़े के साथ ही बंदरबांट किया गया है. राजधानी के पॉश इलाके हजरतगंज में अधिकांश शत्रु संपत्तियों में नियमों को ताक पर रखकर उनके मूल स्वरूप में बदलाव किया गया. उसके बाद किराए पर उठाया गया.
प्रशासन की नोटिस को किया गया नजरंदाज
प्रशासन की नोटिस के बावजूद अब तक तमाम किराएदारों ने सालों से इन संपत्तियों का किराया भी नहीं जमा किया है. लखनऊ मंडल के मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने जिला प्रशासन को इस बारे में कदम उठाने के निर्देश देते हुए कहा कि 1 हफ्ते के भीतर जवाब दिया जाए.
मंडलायुक्त ने दी जानकारी
लखनऊ मंडल के मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने इस मामले पर कहा कि इन जमीनों के रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं. जिनकी जांच करना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि फिर भी उनकी कोशिश जारी है और जो भी सरकारी जमीनों पर कब्जा है. उनको जल्द से जल्द अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सरकारी संपत्तियों के मूल स्वरूप में बगैर अनुमति के छेड़छाड़ की है, उनकी जांच होगी.
दो कैटगरी में किया गया बंटवारा
प्रशासन ने इन संपत्तियों को दो श्रेणियों में रखा है. एक को निष्क्रांत संपत्ति और दूसरे को शत्रु संपत्ति कहा जाता है. बता दें, मार्च 1954 से पहले गए लोगों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति और इस तारीख के बाद जाने वालों की संपत्ति को निष्क्रांत संपत्ति में रखा गया है. हजरतगंज में डालीबाग, बालू अड्डा, जियामऊ और आसपास में करीब डेढ़ सौ ऐसी सरकारी संपत्ति हैं, जिन पर अवैध कब्जा है.