लखनऊ : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय में बीते 23 वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों के स्थायीकरण और नियमितीकरण के लिए सरकार ने बीते दिनों चार सदस्य कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी शिक्षामित्रों की समस्या और उनकी मांगों के संबंध में 15 दिनों के अंदर सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. शासन की ओर से गठित समिति अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह में शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर सकता है. शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर शिक्षा निदेशक बेसिक की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी का गठन किया है. जिसमें निदेशक बेसिक शिक्षा के अलावा निदेशक एनसीईआरटी, वित्त नियंत्रक मध्यान भोजन प्राधिकरण और परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज को सदस्य बनाया गया है.
दूसरे प्रदेशों में दिया जाता है सामान्य कार्य के बराबरी का दर्जा : शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी घोषित कर दिया गया है. इसी तरह राजस्थान में संविदा शिक्षकों को जो प्राथमिक विद्यालय में थे उनको 51 हजार 600 का वेतनमान दिया जा रहा है. इसी तरह चंडीगढ़ में 38 हजार और दिल्ली में 34 हजार 400 रुपये प्रति महीने दिया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार ने सभी शिक्षामित्रों को टेट कराकर परमानेंट कर दिया गया है. जबकि उत्तर प्रदेश में 50 हजार से अधिक टेट पास शिक्षा मित्र भी सहायक अध्यापक नहीं बनाए गए हैं.
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