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लखनऊ: मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन

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Published : Sep 17, 2019, 6:08 AM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी में 24 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर के कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. जमकर नारेबाजी करते हुए सरकार को एक महीने में समस्याओं के समाधान की मांग की.

कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन.

लखनऊ: 24 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के सभी जनपदों से बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट कर्मचारी जीपीओ पहुंचे. यहां सभी ने योगी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए धरना प्रदर्शन किया. जमकर नारेबाजी करते हुए सरकार से एक महीने में समस्याओं के समाधान की मांग की. वहीं मांगों के न पूरा होने पर प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन.

नो वर्क नो पे-
कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों का काम अन्य विभागों के क्लर्क से कहीं अधिक है. कर्मचारियों को 24 घंटे काम करना पड़ता है. इसके बाद भी उनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसके खिलाफ आवाज उठाने पर सरकार कहती है कि नो वर्क नो पे.

यह भी पढ़ें: प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने के लिए हर आदमी की भागीदारी जरूरी : आनंदीबेन पटेल

कैबिनेट बैठक में लिया जाना था निर्णय-
गवर्नमेंट ने जनवरी 2019 में कोर्ट ऑफ रेवेन्यू को अंतरिम आदेश भेजा था. इसमें कहा गया था कि उनकी मांगों को लेकर कैबिनेट बैठक में बात की जाएगी, लेकिन 9 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अब तक कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के हितों की बातों को नहीं रखा गया है, जबकि यूपी सरकार हर हफ्ते कैबिनेट बैठक कर रही है.

यह भी पढ़ें: शामली हादसा: 24 घंटे चला सर्च ऑपरेशन, सभी छह शव बरामद


सरकार उनके हितों को लेकर सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है. 1 महीने के अंदर उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. प्रदेश स्तर पर कलेक्ट्रेट कर्मचारी काम का बहिष्कार करेगा.
सुशील कुमार त्रिपाठी, प्रांतीय अध्यक्ष, मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ

लखनऊ: 24 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के सभी जनपदों से बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट कर्मचारी जीपीओ पहुंचे. यहां सभी ने योगी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए धरना प्रदर्शन किया. जमकर नारेबाजी करते हुए सरकार से एक महीने में समस्याओं के समाधान की मांग की. वहीं मांगों के न पूरा होने पर प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन.

नो वर्क नो पे-
कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों का काम अन्य विभागों के क्लर्क से कहीं अधिक है. कर्मचारियों को 24 घंटे काम करना पड़ता है. इसके बाद भी उनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसके खिलाफ आवाज उठाने पर सरकार कहती है कि नो वर्क नो पे.

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कैबिनेट बैठक में लिया जाना था निर्णय-
गवर्नमेंट ने जनवरी 2019 में कोर्ट ऑफ रेवेन्यू को अंतरिम आदेश भेजा था. इसमें कहा गया था कि उनकी मांगों को लेकर कैबिनेट बैठक में बात की जाएगी, लेकिन 9 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अब तक कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के हितों की बातों को नहीं रखा गया है, जबकि यूपी सरकार हर हफ्ते कैबिनेट बैठक कर रही है.

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सरकार उनके हितों को लेकर सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है. 1 महीने के अंदर उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. प्रदेश स्तर पर कलेक्ट्रेट कर्मचारी काम का बहिष्कार करेगा.
सुशील कुमार त्रिपाठी, प्रांतीय अध्यक्ष, मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ

Intro:अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर आज उत्तर प्रदेश के कलेक्टर कर्मचारियों ने राजधानी में विशाल धरना-प्रदर्शन किया। प्रदेश भर से आए कलेक्ट्रेट कर्मचारियों योगी सरकार के खिलाफ़ आक्रोश व्यक्त करते हुए जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को एक महीने का समय देकर समस्याओ के समाधान करने की मांग की है, उनका कहना है यदि उनकी समस्याओं को नही सुना गया तो प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।


Body:राजधानी लखनऊ में आज उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ द्वारा अपनी 24 सूत्रीय मांगों पर सरकार की नजर अंदाजदी से आक्रोशित प्रदेश के सभी जनपदों बड़ी संख्या में आए कलेक्ट्रेट कर्मचारियों में जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर विशाल धरना प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ ने कहा है कि 2016 में राजस्व परिषद ने अपनी की संतुष्ति में माना है कि कलेक्ट्रेट कर्मचारियों का कार्य अन्य विभागों के कर्मचारियों से अलग है, उनके उनके वेतनमान में बढोत्तरी की जाए, इसके बावजूद भी वेतन ग्रेड में चेंज नही किया जा रहा है।

नो वर्क नो पे
बैनर के पदाधिकारियों का बताया कि वित्त विभाग द्वारा यह माना गया है कि कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों का काम अन्य विभागों के क्लर्क से कहीं अधिक है। कलेक्ट्रेट कर्मचारियों को 24 घंटे काम करना पड़ता है। इसके बाद भी उनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। जिसके खिलाफ आवाज उठाने पर सरकार कहती है कि नो वर्क नो पे।

कैबिनेट बैठक में लिया जाना था निर्णय
पदाधिकारियों ने बताया कि गवर्नमेंट ने जनवरी 2019 में कोर्ट ऑफ रेवेन्यू को अंतरिम आदेश भेजा था। जिसमें कहा गया था कि उनकी मांगों को लेकर कैबिनेट बैठक में बात की जाएगी, लेकिन 9 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है अभी तक कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के हितों की बातों को नहीं रखा गया है जबकि यूपी सरकार हर हफ्ते कैबिनेट बैठक कर रही है।

बैनर के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी का कहना है कि सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचाने के लिए कलेक्ट्रेट कर्मचारी दिन रात एक कर देते हैं। लेकिन उनके हितों को लेकर सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है। सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा है कि यदि 1 महीने के अंदर उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई प्रदेश स्तर पर कलेक्ट्रेट कर्मचारी काम का बहिष्कार करेगा और इससे होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।

बाईट _ सुशील कुमार त्रिपाठी (प्रांतीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ)



Conclusion:रितेश यादव
UP10003
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