लखनऊ : दिल्ली के द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता संजय भारद्वाज (Dronacharya Award winner Sanjay Bhardwaj) एक ऐसे क्रिकेट कोच हैं जिनके तीन शिष्य भारत की विश्व चैंपियन टीम के हिस्सा रहे हैं. जिसमें से एक शिष्य ने तो दो विश्वकप में शानदार स्कोर किए थे. इस कोच के शिष्य खिलाड़ी का नाम है गौतम गंभीर. 2007 के टी-20 विश्वकप के फाइनल में और इसके बाद 2011 के एक दिवसीय क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में गौतम गंभीर ने सबसे अधिक रन बनाए थे. इसके अलावा अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान रहे उन्मुक्त चंद की टीम ने ऑस्ट्रेलिया में विश्वकप जीता था, जबकि 2007 के विश्वकप फाइनल मैच की आखिरी गेंद जिस पर पाकिस्तान के मिस्बाह उल हक आउट हुए थे और भारत ने जीत हासिल की थी. जोगिंदर शर्मा भी संजय भारद्वाज के शिष्य रहे हैं.
संजय भारद्वाज का कहना है कि उनके लिए क्रिकेट कोचिंग का लक्ष्य ना केवल अच्छा खिलाड़ी बनाना है बल्कि, अपने देश की भावना को सबसे आगे रखने वाला खिलाड़ी बनाना है. संजय भारद्वाज शुक्रवार को क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए लखनऊ आए हुए थे. जहां ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सभी शिष्य हमेशा खेल को सबसे आगे रखते रहे. वे पैसे के पीछे नहीं भागे. गौतम गंभीर भी एक ऐसे ही क्रिकेटर हैं जो कभी रुपयों के पीछे नहीं भागे. वह जब कक्षा 6 में था तब एकेडमी में क्रिकेट प्रशिक्षण के लिए आया था. तभी से उसके देश के प्रति भावना बहुत प्रबल थी. अपने खेल के दौरान भी उसने यही भावना दिखाई. उसने शानदार कामयाबी हासिल की. दो विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा रहा. अंडर-19 विश्व विजेता टीम के कप्तान रहे दिल्ली के उन्मुक्त चंद भी संजय भारद्वाज के ही शिष्य रहे हैं. भारतीय क्रिकेट टीम में लेग स्पिनर के तौर पर खेल चुके अमित मिश्रा के बारे में उन्होंने कहा कि अमित मिश्रा शानदार क्रिकेटर रहे हैं. वह लंबे समय तक आईपीएल (IPL) भी खेला है. क्रीड़ा भारती और उनके जुड़ाव को लेकर संजय भारद्वाज ने कहा कि खेलों को क्रीड़ा भारती जैसे संगठन की बहुत आवश्यकता है. जब व्यक्ति बड़ा खिलाड़ी बन जाता है तब तो उसको बहुत लोग मददगार मिल जाते हैं, लेकिन जब वह तैयारी कर रहा होता है तो उसको मदद नहीं मिलती. क्रीड़ा भारती इसमें मदद कर रही है.
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