लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उत्तर प्रदेश को 'औद्योगिक प्रदेश' बनाने का महाभियान शुरू हो गया है. वर्तमान राज्य सरकार प्रदेश में निवेश का उत्तम वातावरण सृजित करने के लिए शुरू से ही प्रयासरत रही है. तीन सालों में बहुत कुछ बदला है, बदलाव की यह प्रक्रिया जारी है. बेहतर कानून व्यवस्था, सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए नई औद्योगिक नीति का नतीजा है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में 12 वें पायदान से नम्बर दो पर आ चुके हैं. फरवरी 2018 की इन्वेस्टर समिट में बदले माहौल और नीतियों का नतीजा भारी निवेश के रूप में दिखा. हम उद्यमियों का स्वागत करते हैं, आप आइये आपकी हर समस्या तय समय मे दूर होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बातें सोमवार को उच्चस्तरीय प्राधिकृत समिति (प्रदेश स्तरीय उद्योग बंधु) की बैठक में कहीं. फिक्की, एसोचैम, सीआईआई, लघु उद्योग भारती और आईआईए जैसे औद्योगिक संगठनों के प्रमुखों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री जी ने 'उत्तर प्रदेश को निवेशक फ्रेंडली प्रदेश बनाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी दी. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, वस्त्रोद्योग, पर्यटन और फिल्म आदि क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश में पारंपरिक निवेश के अवसरों के अतिरिक्त सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और नागरिक उड्डयन में उपलब्ध असीम सम्भावनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
मेक इन यूपी को बढ़ावा दे रही सरकार
डिफेंस एवं एयरोस्पेस, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, डेटा सेंटर, इलेक्ट्रिक वाहन, फार्मास्युटिकल उद्योग जैसे सेक्टर अब राज्य में निवेश के नए केंद्र हैं. दादरी में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और बोडाकी में ट्रांसपोर्ट हब, ग्रेटर नोएडा क्षेत्र को उत्तरी भारत के सबसे बड़े लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करेंगे. उन्होंने कहा कि जेवर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के साथ ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस-वे के पास का क्षेत्र एक आकर्षक निवेश मंजिल है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति (2017) के साथ 20 से अधिक क्षेत्र-विशिष्ट निवेशोन्मुखी नीतियों के पारदर्शी कार्यान्वयन से राज्य सरकार रोजगार सृजन के लिए निवेश और 'मेक इन यूपी' को बढ़ावा दे रही है.
डिफेंस कॉरिडोर निवेश का सुअवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विकसित की जा रही डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इससे 'मेक इन इंडिया डिफेंस' के लिए राज्य में विद्यमान विशाल एमएसएमई आधार को लाभ मिलेगा. डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की सम्भावना है. नए निवेशकों के लिए उत्तर प्रदेश में 20,000 एकड़ का एक लैंड बैंक तैयार है. इसके अलावा, राज्य सरकार एक व्यापक लैंड बैंक पॉलिसी की योजना बना रही है, जिसमें लैंड लीजिंग, लैंड पूलिंग, एक्सप्रेस-वे के किनारे तेजी से अधिग्रहण, अतिरिक्त भूमि की सब-लीजिंग आदि विषय सम्मिलित होंगे. उन्होंने निवेशकों से कहा कि उत्तर प्रदेश आपकी निवेश योजनाओं सीएसआर गतिविधियों, नवाचार (इनोवेशन) और उद्यमशीलता का सहयोग चाहता है.
प्रदेश सरकार अतिशीघ्र घोषित करेगी अपनी फार्मा नीति, और डेटा नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि गैर-आईटी आधारित स्टार्ट-अप्स को भी प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्ट-अप नीति के दायरे का विस्तार करते हुए उ.प्र.स्टार्ट-अप नीति-2020 तथा उ.प्र. इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफक्चरिंग नीति-2020 जैसी नई नीतियों की घोषणा भी की गई है. इसके अलावा, डेटा सेंटर नीति, फार्मा और नई खाद्य प्रसंस्करण नीति भी शीघ्र घोषित की जाने वाली हैं.
- उद्योग बंधुओं से मुख्यमंत्री ने की यह खास बातें
- प्रचुर संसाधनों के साथ उत्तर प्रदेश देश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में राज्य लगभग 8 प्रतिशत का योगदान करता है. लगभग 24 करोड़ की जनसंख्या के साथ यहां भारत का सबसे बड़ा उपभोक्ता आधार है.
- हमारी सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धि के केन्द्र में राज्य का निवेश मित्र पोर्टल है, जो भारत के सबसे विशाल एवं व्यापक डिजिटल सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्लेटफॉर्म्स में से एक है.
- वर्ष 2018 में सम्पन्न उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त हुए 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्तावों में से लगभग 02 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के लगभग एमओयू कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है, यह भारत में अब तक की एक रिकॉर्ड उपलब्धि है.
- हमारी सरकार ने कोविड -19 महामारी की आपदा से निपटने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं. इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए रोजगार सृजन के लिए नए निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.
-निवेशकों की सुविधा के लिए विभिन्न विभागों में समर्पित नोडल अधिकारियों को नियुक्त करते हुए, सुदृढ़ मॉनीटरिंग के लिए तकनीक आधारित एमओयू ट्रैकिंग पोर्टल स्थापित किया गया है.
- राज्य के 20 विभागों में भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आन्तरिक व्यापार विभाग के बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के 187 सुधारों में से 186 सुधारों को लागू किया गया. इसमें व्यापार से सम्बंधित 12 विनियामक क्षेत्र सम्मिलित थे- जैसे सुलभ सूचना, सिंगल विंडों सिस्टम, श्रम कानूनों में सुधार सहित पर्यावरण से जुड़ी स्वीकृतियों की प्रक्रिया में सुधार आदि शामिल हैं.
- कामगारों और श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा तथा उनके सर्वांगीण विकास के उद्देश्यों से 'उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग' का गठन किया गया है. यह देश में अपनी तरह का प्रथम आयोग है.
- श्रमिकों की स्किल मैपिंग और ग्रेडिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि उद्योग जगत को उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप श्रमिक उपलब्ध हो सकें. - - राज्य सरकार ने हाल ही में बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल तथा मध्यांचल में त्वरित निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति -2020 की घोषणा की है.
- एमएसएमई की स्थापना में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए एमएसएमई एक्ट-2020 लागू किया गया है. इसके अन्तर्गत एमएसएमई उद्योग स्थापना हेतु उद्यमी के प्रपत्र दाखिल करने के 72 घंटे के अन्दर मंजूरी–पत्र जारी किया जाएगा.
भारत सरकार के 'आत्मनिर्भर पैकेज' के अन्तर्गत प्रदेश सरकार द्वारा बैंकों से लगातार अनुश्रवण कर पूर्व से संचालित इकाइयों को 10,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण स्वीकृत एवं वितरित कराया जा चुका है. इन इकाइयों को 15,000 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का लक्ष्य है. बैंकों से लगातार अनुश्रवण कर प्रयास किया रहा है कि अगले एक महीने में यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाए.
-बैंकों से ऐसे उद्यमी संस्थानों की भी सूची प्राप्त की जा रही है, जिन्होंने बैंकों से प्राप्त सूचना के अनुसार ऋण प्राप्त नहीं किया है, ऐसी इकाइयों से सम्पर्क कर प्रयास कराया जाएगा कि प्रदेश में अधिक से अधिक इकाइयों को ऋण की सुविधा मिले.
-बैंकों द्वारा अभी तक विभिन्न ऑनलाइन कैम्पों के माध्यम से लगभग 3 लाख 70 हजार एमएसएमई इकाइयों को 13,382 करोड़ रुपये के ऋण उपलब्ध कराए गए हैं.
- कम से कम 20 लाख इकाइयों को लगभग 80,000 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए जाने का लक्ष्य है. इससे बड़ी संख्या में प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना होगी, जिससे प्रदेश की आर्थिक प्रगति के साथ-साथ रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे.
-पूर्व से विद्यमान इकाइयों को कोरोना कालखंड में आ रही समस्याओं तथा संचालन में आ रही कठिनाइयों का निस्तारण करने के लिए सरकार द्वारा 'एमएसएमई साथी एप' संचालित किया गया है. इसके अन्तर्गत विभिन्न राजकीय विभागों से लंबित भुगतान, जीएसटी के लम्बित भुगतान, विभिन्न बैंकों सहित लम्बित ऋण के प्रार्थना-पत्रों इत्यादि एमएसएमई की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए इकाइयों की मदद कराई जा रही है.
-नए निवेश-प्रस्तावों, विशेष रूप से ऐसे निवेशक जो, विदेशों से अपनी इकाइयां हटाकर यहां स्थापित करना चाहते हैं, ऐसे निवेशकों की सहायता के लिए एक समर्पित हेल्पडेस्क स्थापित की गई है. इसके परिणामस्वरूप लगभग 10 देशों से 7,000 करोड़ रुपये के 50 से अधिक निवेश-प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. इनमें जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि के निवेशक सम्मिलित हैं. लगभग 6,000 करोड़ रुपये के निवेश व प्रस्ताव भारत के निवेशकों से भी प्राप्त हुए हैं.