लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डीएचएफएल घोटाले को लेकर योगी सरकार रास्ता तलाशने में जुट गई है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार ऊर्जा विभाग को कर्ज देने पर विचार कर रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की शुक्रवार देर शाम जिम्मेदार अधिकारियों के साथ एक बार फिर बैठक हुई है. इसमें कर्मचारियों के डूबे पैसे दिलाने के हर पहलू पर चर्चा की गई है.
ज्ञात हो कि यह घोटाला सामने आने के बाद आरबीआई ने डीएचएफएल के बोर्ड को भंग करते हुए प्रशासक तैनात कर दिया है. डीएचएफएल पर प्रशासक तैनात किए जाने के बाद से कर्मचारी डरे हुए हैं. कर्मचारियों को उनका पैसा मारे जाने की चिंता सता रही है. कर्मचारी संगठन आगे आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बीच सरकार इसका रास्ता निकालने में जुट गई है. जाहिर है सरकार कर्मचारियों को नाराज नहीं करना चाहती है.
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार की शाम अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ बैठक करके इसका हल तलाशने के प्रयास किये हैं. सूत्रों की मानें तो कई पहलुओं पर चर्चा के उपरांत सरकार बिजली विभाग को कर्ज देने के निर्णय पर पहुंची है. सरकार जल्द ही कर्ज देने पर अंतिम फैसला ले सकती है. इस फैसले के बाद सरकार कमर्चारियों को पीएफ वापसी की गारंटी का पत्र जारी कर सकती है.
सरकार ने इसको लेकर कई स्तर पर वार्ता की है. आर्थिक और विधिक मामलों के जानकारों से भी सलाह ले रही है. जानकारों का मानना है कि सरकार के पास बिजली विभाग को कर्ज देने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है. इससे वह कर्मचारियों के पैसे की वापसी कर सके. हालांकि सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है. बता दें कि इस पीएफ घोटाले से विभाग के करीब 45 हजार कर्मचारी प्रभावित हैं.