लखनऊ: लगातार दूसरी बार सूबे के सीएम पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनसेवा से बढ़कर कोई और पुण्य नहीं है. दायित्वों का प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ निर्वहन करने से आत्मिक संतुष्टि मिलती है. मंत्रियों को जनता और प्रदेश की सेवा करने का एक पुनीत अवसर मिला है. इस अवसर को उपलब्धि में बदलते हुए प्रदेश के विकास व जनता की खुशहाली के लिए हम सभी को निरंतर प्रयासरत रहना होगा. दरअसल, मुख्यमंत्री ने यहां लोक भवन में मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ परिचयात्मक बैठक में राष्ट्रवाद, सुरक्षा, सुशासन व विकास पर विश्वास जताने के लिए प्रदेश की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया.
उन्होंने राज्य की प्रगति और समृद्धि में योगदान करने के लिए विगत राज्य सरकार के मंत्रिगण के प्रति भी आभार प्रकट किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है. कार्यों को नीति एवं नियमों के अन्तर्गत सम्पादित किए जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि फाइलों का निस्तारण समयबद्धता के साथ किया जाना चाहिए. किसी भी स्थिति में पत्रावलियां लंबित नहीं रहनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिगण समय से अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर कार्यों का संपादन करें. परफॉर्मेंस बेस्ड कार्यों पर फोकस हो. उन्होंने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग का कार्य बिना किसी भेदभाव के पूरी पारदर्शिता के साथ होना चाहिए. साथ ही ऑनलाइन ट्रांसफर पद्धति को अपनाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि शासन की स्थानांतरण नीति के अनुरूप ही ट्रांसफर होने चाहिए.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्रिगण का जनता के साथ प्रभावी संपर्क और संवाद होना चाहिए. जनता की शिकायतों व समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनसुनवाई की जाए. प्रभारी मंत्री के रूप में प्रत्येक माह जनपद में जाए. इस दौरान विकास कार्यों की समीक्षा के साथ ही भौतिक सत्यापन करते हुए जनता से इनके संबंध में फीडबैक भी लें. वहीं, जनपद प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रियों के कार्य, व्यवहार और आचरण पर सभी की दृष्टि रहती है. ऐसी स्थिति में आप सभी मंत्रिगण की ओर से सादगी और शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए. मंत्रिगण के सार्वजनिक जीवन से जुड़े दायित्वों एवं कार्यों में परिवार का किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.
इसी प्रकार मंत्रिगण अपने निजी स्टाफ पर भी विशेष ध्यान देते हुए उनकी गतिविधियों पर नजर रखें. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के साथ मंत्रिमंडल की बैठक प्रस्तावित की जाए. प्रदेश के विकास को नई गति प्रदान करने के लिए आईआईएम, लखनऊ में मंत्रिमंडल के सदस्यों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाए.
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