लखनऊः सीएम योगी आदित्यनाथ के मेगा प्रोजेक्ट एक जिला, एक उत्पाद को अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी. इसके लिये पब्लिसिटी, ब्रांडिंग और मार्केटिंग की खास योजना बनायी गयी है. इसके तहत एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर अब स्टाल लगाये जायेंगे. जहां सिर्फ ओडीओपी उत्पाद की ही ब्रिकी होगी. इसके अलावा ओडीओपी उत्पादों की ब्रांडिंग और प्रचार के लिये हर जिले में स्टेशनों, सरकारी भवनों और प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर ग्लो शाइन बोर्ड लगाये जायेंगे. इन बोर्ड की डिजाइन उस जिले के ओडीओपी उत्पाद के अनुरूप होगी.
साल 2018 में योजना की हुई थी शुरुआत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में वहां के पारंपरिक शिल्पकला, विशिष्ट कृषि के उद्यम को सुगठित उद्योग-कारोबार का दर्जा देने के लिए ओडीओपी योजना का शुभारंभ किया था. मंशा बिलकुल साफ थी कि जिलों के हुनर की परंपरा को व्यावसायिक रूप देकर हुनरमंदों को इस कदर स्वावलंबी बनाना है, जिससे वो अपनी उद्यमिता के विस्तार से रोजगारदाता भी बन सकें. तीन सालों में ओडीओपी से हर जिले में पारंपरिक उद्यम की न सिर्फ मजबूत पहचान बनी है, बल्कि इसके बाजार में भी तेजी से विस्तार हुआ है.
15 साल का होगा अनुबंध
ओडीओपी को बढ़ावा देने के लिए इसके दायरे में आने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी-महोत्सव के आयोजन के साथ सरकार इन उत्पादों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बाजार दिलाने के लिए भी सतत प्रयत्नशील है. सरकार के इन्हीं प्रयासों की कड़ी में रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट पर ओडीओपी स्टाल खोले जाएंगे. इसके लिए इन स्थानों पर जमीन लीज पर लेकर स्टाल लगाने के इच्छुक लोगों को दी जायेगी. स्टाल लगाने वाले के साथ 15 साल का अनुबंध इस शर्त के साथ होगा कि वो सिर्फ ओडीओपी उत्पाद ही बेचेगा. रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट पर देश के अन्य राज्यों के अलावा विदेश से भी काफी सैलानी आते हैं. यहां स्टाल होने पर ओडीओपी के यूनिक प्रोडक्ट उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होंगे और उन्हें बड़ा बाजार भी मिल सकेगा.
ओडीओपी को मिलेगी और धार
सरकार ओडीओपी को सुपर ब्रांड बनाने में भी लगातार प्रयासरत है. ब्रांडिंग के लिए शासन के ओडीओपी सेल ने हर जिले में प्रचार के लिए फंड आवंटित किया है. इसके लिए ग्लो शाइन बोर्ड बनाए जा रहे हैं, जिन्हें स्टेशनों के अलावा प्रमुख सार्वजनिक स्थानों और सरकारी भवनों पर लगाया जाएगा. इन स्थानों पर फुटफाल बहुत अधिक होता है, और यहां आने वाले लोग बार-बार ओडीओपी उत्पाद के बारे में जान सकेंगे. ग्लो शाइन बोर्ड की डिजाइन संबंधित जिले के ओडीओपी उत्पाद के अनुरूप होगी.
यूपी में ओडीओपी उत्पाद
गोरखपुर- टेराकोटा, रेडीमेड गारमेंट, सिद्धार्थनगर- कालानमक, चावल, लखनऊ- चिकनकारी, जरी जरदोजी, वाराणसी- सिल्क साड़ी, अयोध्या- गुड़, गौतमबुद्धनगर- रेडीमेड गारमेंट, प्रयागराज- मूंज से बने उत्पाद, आगरा- चमड़ा उत्पाद, अमरोहा- ढोलक वाद्य यंत्र, अलीगढ़- ताला, हार्डवेयर, औरैया- देसी घी (दूध प्रसंस्करण), अम्बेडकरनगर- वस्त्र उत्पाद (टेक्सटाइल), अमेठी- मूंज से बने उत्पाद, बदायूं- जरी जरदोजी, बागपत- होम फर्निशिंग, बहराइच- गेहूं डंठल उत्पाद, बरेली- जरी जरदोजी, बलिया- बिंदी, बस्ती- काष्ठ कला, बलरामपुर- दाल (खाद्य प्रसंस्करण), भदोही- कालीन, बांदा- शजर पत्थर शिल्प, बिजनौर- काष्ठ कला, बाराबंकी- वस्त्र उत्पाद, बुलंदशहर -सिरेमिक उत्पाद, चंदौली- जरी जरदोजी, चित्रकूट- लकड़ी के खिलौने, इटावा- वस्त्र उद्योग, एटा- घुंघरू, घन्टी व पीतल उत्पाद, फर्रुखाबाद- वस्त्र छपाई, फतेहपुर -बेडशीट, आयरन फैब्रिकेशन वर्क, फिरोजाबाद- कांच के उत्पाद, आजमगढ़- ब्लैक पॉटरी, प्रतापगढ़- आंवला उत्पाद, गाजीपुर- जूट वाल हैंगिंग, गाजियाबाद- अभियांत्रिकी सामग्री, गोंडा- दाल (खाद्य प्रसंस्करण), हापुड़- होम फर्निशिंग, हरदोई- हैंडलूम, हाथरस- हींग, हमीरपुर-जूते, जालौन- हस्तनिर्मित कागज, जौनपुर- दरी (ऊनी कालीन), झांसी- सॉफ्ट टॉयज, कौशाम्बी- खाद्य प्रसंस्करण (केला), कन्नौज- इत्र, कानपुर देहात- एल्युमिनियम बर्तन, कानपुर शहर- चमड़ा उत्पाद, कासगंज- जरी जरदोजी, लखीमपुर खीरी- जनजातीय शिल्प, ललितपुर- जरी सिल्क साड़ी, मेरठ- खेल सामग्री, महोबा- गौरा पत्थर, मिर्जापुर- कालीन, मैनपुरी- तारकशी कला, मुरादाबाद- धातु शिल्प, मथुरा- सैनिटरी फिटिंग, मुजफ्फरनगर- गुड़, मऊ- वस्त्र उत्पाद, पीलीभीत- बांसुरी, रायबरेली- काष्ठ कला, रामपुर- पैचवर्क के साथ एप्लिक वर्क, जरी पैचवर्क, शाहजहांपुर- जरी जरदोजी, शामली- लौह कला, सहारनपुर- लकड़ी पर नक्काशी, श्रावस्ती- जनजातीय शिल्प, संभल- हस्तशिल्प (हॉर्न बोन), सीतापुर- दरी, सोनभद्र- कालीन, सुल्तानपुर मूंज से बने उत्पाद, उन्नाव- जरी जरदोजी, कुशीनगर- केले के रेशे से बने उत्पाद, देवरिया- सजावटी सामान, महराजगंज- फर्नीचर, संतकबीरनगर- पीतल के बर्तन.